कृपया ध्यान दें! ध्वस्त किया जा रहा ऐतिहासिक सायन पुल…जुलाई 2026 तक यातायात बंद

राजेश जायसवाल / मुंबई

१०० साल से अधिक पुराने ऐतिहासिक सायन पुल को तोड़ने का काम शुरू हो चुका है। यह पुल ब्रिटिश काल में बनाया गया था और जो वित्तीय राजधानी के प्रमुख स्थलों में से एक था, जिसे अब ध्वस्त किया जा रहा है। हाल ही में केरल के वायनाड और बिहार में भारी बारिश के कारण पुल गिरने की घटनाओं के बाद सुरक्षा को ध्यान में रखकर ११२ साल पुराना यह पुल तोड़ा जा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार, १ अगस्त २०२४ से ३१ जुलाई २०२६ तक सायन रोड ओवर ब्रिज को यातायात के लिए अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया है। केंद्रीय रेलवे और बृहन्मुंबई महानगरपालिका के समन्वय से पुराने पुल को तोड़कर उसकी जगह एक नया आधुनिक पुल बनाया जाएगा।
सायन पुल के ध्वस्तीकरण और पुनर्निर्माण के दौरान नई ट्रैफिक व्यवस्था के तहत, माटुंगा ट्रैफिक डिविजन और डॉ. बीए रोड से पश्चिम की ओर सायन ओवरब्रिज के माध्यम से एलबीएस रोड या संत रोहिदास रोड की ओर जाने वाले वाहन और कुर्ला ट्रैफिक डिविजन से एलबीएस रोड या संत रोहिदास रोड की ओर पूर्व की ओर सायन ओवरब्रिज के माध्यम से डॉ. बीए रोड की ओर जाने वाले यातायात को डायवर्ट किया गया है। यह डायवर्जन ३१ जुलाई २०२६ तक प्रभावी रहेगा। सायन पुल पर यातायात बंद किए जाने के बाद भयंकर जाम देखने को मिल रहा है। जानकारी न होने वाले वाहन चालक विपरीत दिशा में चलते नजर आ रहे हैं।

‘मातोश्री’ पर ‘एकलव्य’ पुस्तक का विमोचन 

मुंबई। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)  मध्य प्रदेश इकाई के मोहन पालीवाल द्वारा 8 वर्षों के अथक प्रयास से लिखी पुस्तक ‘बालासाहेब का एकलव्य’ का विमोचन गत दिनों मातोश्री पर शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे, युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे के कर कमलों द्वारा किया गया।

हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख श्री बालासाहेब ठाकरे के साथ जो समय बिताया व राष्ट व महाराष्ट्र के सैकड़ों शिवसैनिकों के संघर्ष की कहानी को इस पुस्तक में दर्शाया गया है। यह पुस्तक डिजिटल पर भी उपलब्ध है।

हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे द्वारा पालीवाल को 30 वर्ष पूर्व लिखे पत्र (हस्तलिखित पत्र) को शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे को दिया गया।

पुस्तक के विमोचन के अवसर पर किताब के लेखक मोहन पालीवाल, अशोक तिवारी, रवींद्र केवीसकर, एम.पी.पालीवाल, योगेश पालीवाल, सुनील शर्मा,  लव पालीवाल, कुश पालीवाल, निकिता आलोक पालीवाल सहित सैकड़ों शिवसैनिक उपस्थित थे।

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी की तरफ से `प्रेमचंद जयंती’ संपन्न

-विद्यार्थियों की प्रस्तुति ने कार्यक्रम को बनाया यादगार

सामना संवाददाता / मुंबई

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई एवं हिंदी साहित्य भारती, मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में कोपरखैरने, नई मुंबई स्थित क्राइस्ट एकेडमी एंड जूनियर कॉलेज के सभागार में बुधवार, 31 जुलाई को `प्रेमचंद जयंती’ समारोह का सफल आयोजन किया गया। विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत कहानियों और उनके नाट्य-मंचन ने समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों एवं दर्शकों के लिए यादगार बन गया।
इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे, विशिष्ट अतिथि के रूप में मुंबई आकाशवाणी के वरिष्ठ उद्घोषक व महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के सदस्य आनंद प्रकाश सिंह, क्राइस्ट एकेडमी के निदेशक फादर जैसन एवं हिंदी साहित्य भारती, मुंबई के महामंत्री एड. राजीव मिश्र उपस्थित रहे। उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत प्रेमचंद साहित्य से किया गया, जो एक नई पहल रही। समारोह के आरम्भ में अतिथियों के स्वागत में छात्राओं द्वारा प्रस्तुत शास्त्रीय नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति ने उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया। तत्पश्चात विद्यालय के विभिन्न छात्र-छात्राओं द्वारा मुंशी प्रेमचंद की कहानियों की प्रस्तुतियां हुईं। इस कार्यक्रम में बड़े घर की बेटी और बूढ़ी़ काकी की नाट्य प्रस्तुति ने दर्शकों की आंखें नम कर दीं। मुख्य अतिथि डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने अपने उद्बोधन में मुंशी प्रेमचंद की कहानियों की प्रासंगिकता पर न केवल प्रकाश डालते हुए छात्रों की भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए उन्हें प्रोत्साहित भी किया। “प्रेमचंद का साहित्य समाज का आईना है” यह कहते हुए विशिष्ट अतिथि आनंद प्रकाश सिंह ने उपस्थित प्रतिभागियों को प्रस्तुति के टिप्स भी बताए। फादर जैसन ने विद्यालय में प्रतिवर्ष प्रेमचंद जयंती को उत्सव के रूप में मनाने की बात कही। हिंदी साहित्य भारती के प्रदेश महामंत्री एड. राजीव मिश्र ने मुंशी प्रेमचंद की कहानियों को जीवन-दर्शन की आधारभूत संकल्पना के रूप में परिभाषित करते हुए प्रतिभागियों को उत्साहित किया। कार्यक्रम में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। इस अवसर पर हिंदी साहित्य भारती की प्रदेश मंत्री व बाल साहित्यकारा रीता कुशवाहा, वरिष्ठ साहित्यकारा मंजू गुप्ता, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. पूजा अलापुरिया सहित हिंदी विभाग की शिक्षिका दीपाली गुंड, कांचन जयसवाल, राजकुमारी आहूजा, विद्या होवाल, नम्रता निकम, सोनी जितेंद्र मिश्र एवं छाया गुप्ता की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। समारोह का सफल संचालन सिमरा शेख और अथर्व धुरी के द्वारा किया गया। समारोह के अंत में सांस्कृतिक कार्य विभाग के सह-निदेशक एवं महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के सदस्य सचिव सचिन निम्बालकर ने समारोह में पधारे सभी गणमान्य अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

उद्धव ठाकरे का फडणवीस को अल्टीमेटम … अब तुम रहोगे या मैं! शिवसैनिकों को दिया आदेश…‘हाथ उठाया तो छोड़ो मत, बेहिचक दो जवाब’ 

‘रंगशारदा’ में आयोजित शाखाप्रमुखों के सम्मेलन में दिखा अभूतपूर्व जोश
सामना संवाददाता / मुंबई
शिवेसनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे का अत्यंत उग्र रूप कल शिवसैनिकों ने देखा। बांद्रा के रंग शारदा सभागार में शिवसैनिकों का मार्गदर्शन करते हुए उद्धव ठाकरे आक्रामक हो गए थे। फर्जी केस में फंसाने की कोशिश करनेवाले उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर वे मानो सचमुच टूट पड़े। ‘अब तुम रहोगे या मैं’ इस तरह का अल्टीमेटम उन्होंने फडणवीस को दे डाला। इस दौरान उन्होंने ‘कोई हाथ उठाता है तो उसे मत छोड़ो और उसे बेहिचक जवाब दो’ इस तरह का आदेश भी शिवसैनिकों को दिया।
शिवसेना शाखाप्रमुखों का सम्मेलन कल रंगशारदा सभागार में हुआ। इस दौरान उन्होंने देवेंद्र फडणावीस पर आलोचनाओं की बौछार कर दी। उन्होंने कहा कि फडणवीस ने मुझे और आदित्य ठाकरे को जेल में डालने की साजिश रची थी। यह कहानी मुझे पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बताई थी। लेकिन अब चुप नहीं रहना है। लड़ाई के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके सैनिक हर-हर महादेव का नारा लगाते हुए दुश्मन पर टूट पड़ते थे। वैसे ही हमें आनेवाले शत्रु पर अब टूट पड़ना है। उद्धव ठाकरे के इतना कहते ही रंगशारदा सभागार छत्रपति शिवाजी महाराज की जय, हर-हर महादेव जैसे नारों से गूंज उठा। उद्धव ठाकरे के आदेश देते ही शिवसैनिकों में मानो एक अलग जोश दिखाई दिया। लोकसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी और शिवसेना की शानदार जीत पर भी उद्धव ठाकरे ने बात की। उन्होंने कहा कि शिवसैनिकों की अथक मेहनत से यह सफलता मिली है। लोकसभा में इससे भी बड़ी जीत की उम्मीद थी। उद्धव ठाकरे ने कहा कि चुनाव नतीजों के बाद देश के कई बड़े नेताओं ने संवाद साधा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि महाविकास आघाड़ी और शिवसेना ने देश को नई दिशा दिखाई है।

लोकसभा चुनाव में मोदी के छूटे पसीने
विधानसभा में भी उतारेंगे गर्मी!
-उद्धव ठाकरे की सीधी चेतावनी

जब मुंबई को खत्म किया जा रहा है तो ऐसे में मैं हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकता। शिवसेना एक दोधारी तलवार है।

कल बांद्रा के रंगशारदा सभागार में शिवसेना के शाखाप्रमुखों का सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस अवसर पर शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने केंद्र की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। उद्धव ठाकरे ने तंज कसते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस तरह लड़ाई लड़ी कि उनके पसीने छूट गए। अब मुझे उनका भाषण देखने का मन हो रहा है। वे इतने सालों तक क्या अंडे सेते रहे? इस तरह का गुस्सेभरा सवाल भी उन्होंने किया। उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं ऐसा ही हूं, कोई मेरे आड़े आया तो उसे मैं तोड़ डालता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी आगामी विधानसभा चुनाव में प्रचार करने आएंगे तो उनकी बची खुची गर्मी हम उतार देंगे।
उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि वह चोरों और राजनीतिक गद्दारों की पार्टी है। भाजपा के मंसूबे राज्य को भिखारी बनाने की है। उन्होंने कहा कि जब मुंबई को खत्म किया जा रहा है तो ऐसे में मैं हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकता। शिवसेना एक दोधारी तलवार है।

ठेकेदार मेरा लाडला, अडानी मेरा लाडला योजनाएं
इस दौरान उद्धव ठाकरे ने ‘घाती’ सरकार की भी जमकर खबर ली। उन्होंने कहा कि अभी मुंबई के अस्तित्व की लड़ाई चल रही है। फिलहाल, मुंबई में ठेकेदार मेरा लाडला, अडानी मेरा लाडला योजनाएं चल रही हैं। हर तरफ पानी ही पानी भर रहा है। आरे की जमीन को मुंबई बैंक की झोली में डाला जा रहा है। उद्धव ठाकरे ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि बूट चाटनेवाले लाचार ‘घाती’ कुर्सी के लिए मां की कोख पर वार कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने कहा कि कोई पैसा दे रहा हो तो भी मां से गद्दारी मत करिए। उन्होंने कहा कि जिन्हें जाना है वे चले जाएं, लेकिन भीतर रहते हुए भितरघात न करें। उन्होंने कहा कि मैं सीना ठोकते हुए कहता हूं कि शिवसेनाप्रमख के शिवसैनिकों को साथ लेकर मैं जीतकर दिखाउंगा। उन्होंने दृढ़ विश्वास के साथ कहा कि मुझे शिवेसना नाम चाहिए और वह मुझे जरूर मिलेगा। कोर्ट का पैâसला चाहे जब आए, लेकिन उससे पहले मशाल का प्रचार जोरदार तरीके से करें, ताकि यह महाराष्ट्र के हर घर में पहुंच सके। इस बीच उन्होंने यह भी कहा कि उत्सवों के माध्यम से घातियों की गद्दारी दुनिया के सामने ले जाएं।

संपादकीय : वायनाड का प्रकोप!

दक्षिण के स्वर्ग के तौर पर पहचाना जाने वाला केरल पिछले दो दिनों में मानो नरक में तब्दील हो गया है। प्रकृति के भीषण प्रकोप के कारण हुए भूस्खलन ने केरल के वायनाड में भयंकर कहर बरपाया है। केरल में भूतो न भविष्यति जैसी मूसलाधार बारिश हो रही है। प्रकृति द्वारा धारित इस रुद्रावतार ने पश्चिमी घाट के पहाड़ों को खत्म कर दिया और इस भूस्खलन में वायनाड के मानचित्र से चार गांव गायब हो गए। इस हादसे में अब तक करीब १६० लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन सैकड़ों लोग अभी भी मलबे में दबे हैं, इसलिए मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है। ३० जुलाई २०१४ को महाराष्ट्र के पुणे जिले का मालीण गांव इसी तरह के भूस्खलन में जमींदोज हो गया था। उस घटना के ठीक १० साल बाद ३० जुलाई को केरल में भूस्खलन के कारण चार गांव मलबे में दब गए। मालीण में १५१ लोगों की मौत हो गई थी। फिर पिछले साल रायगढ़ जिले का इरशालवाड़ी गांव भूस्खलन में दब गया, जिसमें ८४ लोगों की मौत हो गई। उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में तो मौत का तांडव मच गया था। बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई, पहाड़ों पर निर्माण, सड़कों, पुलों के लिए विस्फोट और पहाड़ों में अवैध खनन के कारण मालीण, इरशालवाड़ी और अब वायनाड जैसे भूस्खलन के हादसे बार-बार हो रहे हैं। विकास के नाम पर प्रकृति का चल रहा कत्लेआम अंतत: इंसान के जड़ तक ही पहुंचेगा, दशकों से इस तरह की चेतावनी देने वाले पर्यावरणविदों पर ध्यान देने का समय किसे है? पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर पर्वत शृंखलाओं और पहाड़ियों को साफ किया जा रहा है। बेशुमार पेड़ों का कत्लेआम किया जा रहा है। इसके अलावा स्थानीय नेताओं और उनके चमचे सरकारी अधिकारियों के साथ हाथ मिलाकर पहाड़ों को काट रहे हैं। पहाड़ों में जेसीबी घुसाकर खुलेआम मुरुम, पत्थर और मिट्टी जैसी मुफ्त खनिज संपदा की लूट की जा रही है। इसके कारण पिछले कुछ वर्षों में दक्षिण से लेकर उत्तर तक कई राज्यों में मिट्टी के कटाव के कारण भूस्खलन और पहाड़ों के दरक कर गिरने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। केरल में भी यही हुआ। सोमवार को पूरे दिन हुई भारी बारिश के बाद आधी रात के बाद वायनाड और आसपास के इलाकों में पहाड़ों के दरकने और गिरने से बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ, जब लोग गहरी नींद में सो रहे थे। मंगलवार रात २ बजे से सुबह ६ बजे तक ऊंचे पर्वत शृंखलाओं की विशाल चोटियों से पहाड़ियां दरकती हुई गिरती रहीं। इससे पहले कि लोगों को पता चलता पानी और कीचड़ के भयानक मलबे के साथ साथ-साथ चट्टान और मिट्टी के प्रचंड वेग ने वायनाड के ४ गांवों को निगल लिया। सेना, वायुसेना और एनडीआरएफ की टीमों ने तुरंत बचाव अभियान शुरू किया और सौभाग्य से मलबे में फंसे १,००० लोगों की जान बचाने में सफल रहीं। हालांकि, केरल में भारी बारिश के कारण बचाव कार्य में बाधा आ रही है। चारुलमाला पूरा गांव मलबे में दब गया है। राहत एवं बचाव कार्य में जुटी टीमें इसके नीचे फंसे लोगों को बचाने का प्रयास कर रही हैं। मुंडक्कई, अट्टमाला और नुलुपुझा गांवों के घर, पुल, सड़कें, वाहन सभी बह गए हैं। प्रत्येक भूस्खलन आपदा में जब भारी जनहानि होती है तो दु:ख जताकर शोक व्यक्त किया जाता है। मृतकों के परिजनों को कुछ लाख की सहायता देकर और दो-चार दिनों तक पर्यावरण की रक्षा की चिंता आदि जताकर सरकार और अधिकारियों की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है। उसके बाद ‘आ जाओ मेरे यारों’ की तर्ज पर फिर से पर्वत शृंखलाओं और पहाड़ी चोटियों की सफाई का काम शुरू हो जाता है। अगर प्रकृति का बेशुमार नरसंहार अब भी रोका नहीं गया तो मालीण, इरशालवाड़ी और वायनाड जैसी आपदाएं भविष्य में भी जारी रहेंगी। वायनाड के प्रकोप के बाद भी क्या केंद्रीय सरकार को समझदारी आएगी? जब तक केंद्र सरकार इसे केवल राज्यों की जिम्मेदारी मानकर हाथ न झटकते हुए प्रकृति और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कोई सख्त नीति नहीं बनाएगी, तब तक केरल जैसी आपदाएं कहीं न कहीं जारी रहेंगी!

फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद से राज्य में गिरा है राजनीति का स्तर! … संजय राऊत का जोरदार हमला

सामना संवाददाता / मुंबई
देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही महाराष्ट्र में राजनीति का स्तर गिरा है। ऐसे में यदि राज्य में शांति और खुशहाली लानी है तो सत्ता परिवर्तन करना होगा। इस तरह का जोरदार हमला करते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने कहा कि वेश बदलकर दिल्ली जाने वाले नेता हारून अल रशीद के बेटे हैं।
दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए संजय राऊत ने कहा कि महाराष्ट्र में नाटक, फिल्म, संगीत और राजनीति की महान परंपरा है। मराठी लोग मराठी नाटकों और परंपराओं को भी पसंद करते हैं इसलिए हमारे नए विष्णुदास बारामती से हैं। इसके लिए विष्णुदास इसलिए कहना पड़ेगा, क्योंकि विष्णु का १३वां अवतार दिल्ली में है और उनकी जो नाट्यकला सामने आई है, यह अभिनय, कला, निर्देशन के पीछे की पटकथा भी धीरे-धीरे सामने आएगी। लेकिन महाराष्ट्र को इस घटनाक्रम का आनंद लेना चाहिए। फिर वो एकनाथ शिंदे होंगे, जो अक्सर मौलवी के वेश में कई बार दिल्ली पहुंचते थे। पहले अहमद पटेल और फिर अमित शाह से मुलाकात की थी। उनके अपने ही कह रहे हैं कि उन्होंने उस रात कई वेश बदले थे। छगन भुजबल ने बेलगाम के सीमावर्ती इलाके में वेश बदलकर लड़ाई लड़ी और महाराष्ट्र को यह पसंद आया। उस भेष बदलने के लिए भुजबल ने लाठियां खाईं और जेल की सजा भी काटी। इस तरह से लोगों ने राष्ट्र और महाराष्ट्र के लिए ऐसी भूमिकाएं निभाई हैं, लेकिन पिछले ढाई साल में देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजीत पवार ने ऐसी भूमिकाएं निभाई, जिनमें हारून अल रशीद की तरह दाढ़ी-मूंछ वाले नेता घूम रहे थे। यह सभी हारून अल रशीद के बेटे हैं। हारून अल रशीद नाम का एक व्यक्ति था, जो वेश बदलकर घूमता था और देखता था कि कहां क्या हो रहा है। इसी वजह से मैंने कल मांग की है कि राष्ट्रीय सुरक्षा किस तरह से खतरे में आ सकती है, इसका उत्तम उदाहरण एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार ने देश के सामने पेश किया है।

 

हार के बाद एनडीए में जारी है उठापटक … अब अनुप्रिया पटेल ने योगी पर फोड़ा ठीकरा

बोलीं, यदि सीएम ने सही फैसला लिया होता तो यूपी में नहीं हारते

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव में भाजपा की सबसे बुरी हार यूपी में हुई है। इस हार के बाद भाजपा में तो कलह मचा ही हुआ है, अब साथी दल भी भाजपा नेताओं को दोषी ठहराने लगे हैं। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने तो यूपी में हार का ठीकरा सीधे सीएम योगी आदित्यनाथ पर फोड़ते हुए उनके कुछ पैâसलों को हार का जिम्मेदार ठहराया है।
एनडीए के सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में भाजपा को हुए नुकसान का एक कारण ६९ हजार शिक्षकों की भर्ती को लेकर आरक्षण के मसले पर योगी सरकार के द्वारा त्वरित कार्रवाई न करना भी रहा है। अनुप्रि‍या ने एक इंटरव्‍यू में यह बात कही है।

यूपी में एनडीए की हार के बाद भड़कीं मंत्री जी
पिछड़े-दलितों के मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगी अनुप्रिया!
-शिक्षकों की भर्ती के मुद्दे पर सीएम योगी को घेरा

उत्तर प्रदेश में गत लोकसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए गठबंधन को जबरदस्त नुकसान हुआ है। इससे भाजपा नेताओं के बीच तो कलह मची ही हुई है, अब एनडीए में शामिल नेता भी भाजपा पर हल्ला बोल कर रहे हैं। एनडीए में शामिल केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने हार के लिए यूपी के सीएम योगी को जिम्मेदार ठहराया है। पिछले महीने ही अनुप्रिया पटेल ने एससी, एसटी और ओबीसी के अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी नहीं मिलने का मुद्दा उठाया था। इसके बाद उन्होंने ६९ हजार शिक्षकों की भर्ती का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि यह अभी तक नहीं सुलझा है। उन्होंने कहा था कि वह पिछड़े-दलितों के मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगी। तीखे तेवर दिखाते हुए उन्होंने योगी सरकार को घेरने की कोशिश की थी।
अनुप्रिया पटेल ने इंटरव्यू में कहा है कि २०२२ के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने ६९,००० शिक्षक भर्ती मसले को केंद्रीय नेतृत्व के सामने उठाया था और तब केंद्रीय नेतृत्व के दखल के बाद एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए ६,८०० सीटों की बढ़ोतरी की गई थी। लेकिन उसके बाद यह मामला अदालत में फंस गया था। अनुप्रिया ने आगे कहा कि २०२२ के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस मसले को हल करने के लिए बहुत गंभीरता से काम नहीं किया, जबकि यह सरकार की जिम्मेदारी थी कि उसे इस मसले को हल करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस मामले में पिछले २ साल से लगातार आंदोलन चल रहा था और राज्य सरकार इस मसले को सुलझाने के लिए गंभीर कदम नहीं उठा रही थी। इसकी वजह से लोग परेशान थे और इस दौरान कुछ विपक्षी राजनीतिक दल आए और उन्होंने लोगों के बीच ऐसा डर का माहौल बनाना शुरू कर दिया कि अगर एनडीए गठबंधन और नरेंद्र मोदी सत्ता में आते हैं तो फिर वह क्या करेंगे और लोगों ने इस बात पर भरोसा कर लिया और इस वजह से चीजें गलत दिशा में चली गर्इं और इसका असर लोकसभा चुनाव के नतीजे में देखने को मिला। अनुप्रिया ने कहा कि उन्होंने अब जब फिर से इन मुद्दों को उठाया है तो उन्हें इस बात का भरोसा दिया गया है कि इन मुद्दों का समाधान किया जाएगा। अनुप्रिया ने कहा कि जब चीजें लंबे वक्त तक खिंच जाती हैं तो इसका असर जरूर होता है।

ठाणे की क्लस्टर योजना का काला सच! … मनपा के आए बुरे दिन …कर्ज के लिए जमीन को रखेगी गिरवी

अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने को प्रशासनिक मंजूरी

सामना संवाददाता / ठाणे
सिडको के बाद महाप्रीत संस्था ठाणे मनपा क्षेत्र में समूह पुनर्विकास योजना के तहत किसननगर क्षेत्र में भवनों का निर्माण करेगी। इस परियोजना के लिए सरकारी कंपनी महात्मा फुले रिन्यूएबल एनर्जी एंड इंप्रâास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी लिमिटेड (महाप्रीत) संस्था २,५४६ करोड़ रुपए उधार लेने के लिए मनपा की जमीन गिरवी रखेगी। इसे मनपा के बुरे दिन के रूप में करार दिया जा रहा है। इसके लिए मनपा की प्रशासनिक साधारण सभा ने अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने संबंधी प्रस्ताव शासन को मंजूरी के लिए भेजने की अनुमति दे दी है। सरकार इस पर क्या पैâसला लेगी, इस पर सबकी नजर है।
बता दें कि ठाणे शहर में बारिश के मौसम में खतरनाक इमारतें ढह जाती हैं और जानमाल की हानि होती है। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए अनधिकृत और अधिकृत इमारतों को सुनियोजित करने और मूलभूत सुविधाओं के साथ पुनर्विकास करने के लिए एक क्लस्टर योजना लागू की जा रही है। ठाणे मनपा ने इस परियोजना के लिए ४५ शहरी पुर्नद्धार योजनाएं तैयार की हैं। पहले चरण में यह परियोजना सिडको के माध्यम से किसननगर क्षेत्र में क्रियान्वित की जा रही है और यहां परियोजना का वास्तविक कार्य शुरू हो गया है। इस परियोजना के माध्यम से नागरिकों को अधिकार एवं स्वामित्व वाले मकान मिलेंगे। वहीं एक सरकारी कंपनी महाप्रीत के माध्यम से ठाणे शहर के टेकड़ी बंगला हजूरी और किसननगर के शेष क्षेत्रों में एक समूह विकास परियोजना लागू की जाएगी, जिसके लिए महाप्रीत ने ठाणे मनपा के साथ एक समझौता किया है। महाप्रीत कंपनी किसननगर में शहरी पुनरुद्धार योजना संख्या १२ के तहत यूआरसी संख्या ५ और ६ पर समूह योजना लागू करने जा रही है। इस प्रोजेक्ट के लिए महाप्रीत हुडको से २,५४६ करोड़ रुपए का कर्ज लेगी और इसके लिए महाप्रीत संस्था मनपा की जमीन गिरवी रखेगी। ऐसा प्रस्ताव महाप्रीत ने मनपा प्रशासन को दिया था। मनपा की जमीन गिरवी रखने के प्रस्ताव को ठाणे मनपा की आम सभा ने पास कर दिया है। इस प्रस्ताव को राज्य सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद महाप्रीत संस्था को मनपा की जमीन को गिरवी रखने का अधिकार प्राप्त हो जाएगा।

क्लस्टर पुनर्विकास योजना के लिए ठाणे में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम के ड्राइंग में भूखंड संख्या एफ-१ और सी-२९ की कुल भूमि का ५० प्रतिशत, यानी २२,३१७.६० वर्ग मीटर क्षेत्र, देने का निर्णय लिया गया है एक त्रिपक्षीय समझौते के तहत ठाणे मनपा को सरकार के कृषि, पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन विभाग के निर्णय के अनुसार, कृषि विभाग की १.९३२ हेक्टेयर भूमि को ठाणे मनपा को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी गई है और यह भूमि मनपा को हस्तांतरित कर दी गई है।

इस भूमि पर भविष्य के निर्माण के साथ किसननगर में शहरी पुनरुद्धार योजना संख्या १२ के तहत यूआरसी संख्या ५ और ६ में मनपा के स्वामित्व वाली कुल ४१,६३७.६० वर्ग मीटर भूमि महाप्रीत कंपनी हुडको के पास संपत्ति गिरवी रखेगी।

देश में फैल रहा जीका! …स्वास्थ्य मंत्रालय छिपा रहा है सही जानकारी

रोग को रोकने में हो रहा फेल

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र समेत हिंदुस्थान के कई राज्यों में जीका वायरस पहुंच चुका है। अकेले महाराष्ट्र में ही इस वायरस से संक्रमित ५६ मरीज मिल चुके हैं। इसका सबसे ज्यादा प्रकोप पुणे में देखा जा रहा है। यहां अब तक ५० मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय महाराष्ट्र समेत पूरे देश में वायरस के आंकड़ों को छिपाने की कोशिश कर रहा है। दूसरी तरफ वायरस को लेकर किए जा रहे तमाम दावे झूठे साबित हो रहे हैं, क्योंकि रोग को रोकने के लिए हर तरह के प्रयास नाकाम साबित हो रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक साल २०२४ में जीका वायरस के केवल १३ मामले ही सामने आए हैं। इसमें कर्नाटक में तीन, जबकि महाराष्ट्र में १० मामलों का समावेश है। हालांकि महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस साल राज्य में अब तक जीका से ५६ लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिसमें २१ गर्भवती महिलाएं संक्रमित हुई हैं। बताया गया है कि सर्वाधिक ५० मरीज पुणे में दर्ज किए गए हैं। इसके बाद संगमनेर में चार, जबकि सांगली और कोल्हापुर में क्रमश: एक-एक मरीज का समावेश है। रोग की रोकथाम के लिए मौजूदा समय में रोजाना छह हजार से अधिक संदिग्धों के नमूनों की जांच की जा रही है। प्रदेश में अब तक १,२८,२३१ लोगों की जांच की जा चुकी है। इसमें से ९०७ गर्भवती महिलाओं का समावेश है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि महाराष्ट्र में १० मरीजों की जानकारी देकर आखिरकार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय क्या छिपाने की कोशिश कर रहा है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निवारक गतिविधियों जैसे घरेलू प्रजनन जांचकर्ताओं का प्रावधान, आशा, कीटनाशक, फॉगिंग मशीनों की भागीदारी, प्रशिक्षण सहायता, जागरूकता गतिविधियां आदि के लिए बजटीय सहायता प्रदान की जा रही है।
स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में जानकारी देते हुए बताया है कि मंत्रालय सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना और सेवाओं में सुधार के उद्देश्य से विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

मोदी के दावे जमीं पर… भारत के लिए ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनना आसान नहीं

यह कहना दुस्साहस है कि भारत मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बन जाएगा। दुर्भाग्य से भारत जैसे देश में सार्वजनिक प्रशासन में प्रतिक्रिया समय, पारदर्शिता, जवाबदेही, गति और उत्कृष्टता में अभी भी सुधार की जरूरत है।’

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही यह दावा कर रहे हों कि भारत तेजी से ग्लोबल मैन्युपैâक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है, लेकिन अब उनके दावे जमीं पर धड़ाम होते नजर आ रहे हैं। दरअसल, इन दिनों इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति का बयान इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। देश की प्रमुख आईटी कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने मैन्युपैâक्चरिंग क्षेत्र में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने की भारत की क्षमता पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि चीन की जीडीपी भारत से छह गुना ज्यादा है। ऐसे में भारत के लिए मैन्युपैâक्चरिंग हब जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना एक दुस्साहस है। देश में मैन्युपैâक्चरिंग क्षेत्र में विकास के लिए सरकार की भागीदारी और सार्वजनिक प्रशासन में सुधार लाना जरूरी है।
नारायण मूर्ति ने आगे कहा कि चीन को पीछे छोड़ने और भारत को ग्लोबल मैन्युपैâक्चरिंग हब बनाने के सपनों में देश को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भारत के लिए मैन्युपैâक्चरिंग हब और ग्लोबल लीडर जैसे भारी-भरकम शब्दों के इस्तेमाल पर आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि चीन पहले ही दुनिया की फैक्ट्री बन चुका है। दुनिया के सुपरमार्केट्स और घरों में लगभग ९० प्रतिशत चीन में निर्मित वस्तुओं का इस्तेमाल हो रहा है। चीन का जीडीपी भारत की तुलना में छह गुना अधिक है। ऐसे में यह कहना हमारे लिए बहुत ही दुस्साहस है कि भारत मैन्युपैâक्चरिंग क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बन जाएगा। जीडीपी वह महत्वपूर्ण चुनौती है, जिसे भारत को पाटने की जरूरत है।

चीन में काम करते हैं, हमारी तरह बहस नहीं
बंगलुरु में इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी इंडस्ट्रीज असोसिएशन के टेक समिट-२०२४ में कहा है, `चीन का जीडीपी भारत का ६ गुना है। वहां लोग काम करते हैं, हमारी तरह बहस नहीं करते।’ उन्होंने कहा, `चीन पहले ही दुनिया की पैâक्ट्री बन चुका है।’ बकौल मूर्ति, भारत का ग्लोबल मैन्युपैâक्चरिंग हब बनने का सपना अभी बहुत दूर है। समिट के दौरान नारायण मूर्ति ने कहा कि जहां आईटी इंडस्ट्री निर्यात पर फलता-फूलता है। वहीं, मैन्युपैâक्चरिंग क्षेत्र घरेलू योगदान और सरकारी समर्थन पर बहुत अधिक निर्भर करता है। मैन्युपैâक्चरिंग के लिए कुल मिलाकर घरेलू योगदान अधिक है।