हार के बाद एनडीए में जारी है उठापटक … अब अनुप्रिया पटेल ने योगी पर फोड़ा ठीकरा

बोलीं, यदि सीएम ने सही फैसला लिया होता तो यूपी में नहीं हारते

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव में भाजपा की सबसे बुरी हार यूपी में हुई है। इस हार के बाद भाजपा में तो कलह मचा ही हुआ है, अब साथी दल भी भाजपा नेताओं को दोषी ठहराने लगे हैं। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने तो यूपी में हार का ठीकरा सीधे सीएम योगी आदित्यनाथ पर फोड़ते हुए उनके कुछ पैâसलों को हार का जिम्मेदार ठहराया है।
एनडीए के सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में भाजपा को हुए नुकसान का एक कारण ६९ हजार शिक्षकों की भर्ती को लेकर आरक्षण के मसले पर योगी सरकार के द्वारा त्वरित कार्रवाई न करना भी रहा है। अनुप्रि‍या ने एक इंटरव्‍यू में यह बात कही है।

यूपी में एनडीए की हार के बाद भड़कीं मंत्री जी
पिछड़े-दलितों के मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगी अनुप्रिया!
-शिक्षकों की भर्ती के मुद्दे पर सीएम योगी को घेरा

उत्तर प्रदेश में गत लोकसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए गठबंधन को जबरदस्त नुकसान हुआ है। इससे भाजपा नेताओं के बीच तो कलह मची ही हुई है, अब एनडीए में शामिल नेता भी भाजपा पर हल्ला बोल कर रहे हैं। एनडीए में शामिल केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने हार के लिए यूपी के सीएम योगी को जिम्मेदार ठहराया है। पिछले महीने ही अनुप्रिया पटेल ने एससी, एसटी और ओबीसी के अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी नहीं मिलने का मुद्दा उठाया था। इसके बाद उन्होंने ६९ हजार शिक्षकों की भर्ती का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि यह अभी तक नहीं सुलझा है। उन्होंने कहा था कि वह पिछड़े-दलितों के मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगी। तीखे तेवर दिखाते हुए उन्होंने योगी सरकार को घेरने की कोशिश की थी।
अनुप्रिया पटेल ने इंटरव्यू में कहा है कि २०२२ के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने ६९,००० शिक्षक भर्ती मसले को केंद्रीय नेतृत्व के सामने उठाया था और तब केंद्रीय नेतृत्व के दखल के बाद एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए ६,८०० सीटों की बढ़ोतरी की गई थी। लेकिन उसके बाद यह मामला अदालत में फंस गया था। अनुप्रिया ने आगे कहा कि २०२२ के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस मसले को हल करने के लिए बहुत गंभीरता से काम नहीं किया, जबकि यह सरकार की जिम्मेदारी थी कि उसे इस मसले को हल करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस मामले में पिछले २ साल से लगातार आंदोलन चल रहा था और राज्य सरकार इस मसले को सुलझाने के लिए गंभीर कदम नहीं उठा रही थी। इसकी वजह से लोग परेशान थे और इस दौरान कुछ विपक्षी राजनीतिक दल आए और उन्होंने लोगों के बीच ऐसा डर का माहौल बनाना शुरू कर दिया कि अगर एनडीए गठबंधन और नरेंद्र मोदी सत्ता में आते हैं तो फिर वह क्या करेंगे और लोगों ने इस बात पर भरोसा कर लिया और इस वजह से चीजें गलत दिशा में चली गर्इं और इसका असर लोकसभा चुनाव के नतीजे में देखने को मिला। अनुप्रिया ने कहा कि उन्होंने अब जब फिर से इन मुद्दों को उठाया है तो उन्हें इस बात का भरोसा दिया गया है कि इन मुद्दों का समाधान किया जाएगा। अनुप्रिया ने कहा कि जब चीजें लंबे वक्त तक खिंच जाती हैं तो इसका असर जरूर होता है।

ठाणे की क्लस्टर योजना का काला सच! … मनपा के आए बुरे दिन …कर्ज के लिए जमीन को रखेगी गिरवी

अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने को प्रशासनिक मंजूरी

सामना संवाददाता / ठाणे
सिडको के बाद महाप्रीत संस्था ठाणे मनपा क्षेत्र में समूह पुनर्विकास योजना के तहत किसननगर क्षेत्र में भवनों का निर्माण करेगी। इस परियोजना के लिए सरकारी कंपनी महात्मा फुले रिन्यूएबल एनर्जी एंड इंप्रâास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी लिमिटेड (महाप्रीत) संस्था २,५४६ करोड़ रुपए उधार लेने के लिए मनपा की जमीन गिरवी रखेगी। इसे मनपा के बुरे दिन के रूप में करार दिया जा रहा है। इसके लिए मनपा की प्रशासनिक साधारण सभा ने अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने संबंधी प्रस्ताव शासन को मंजूरी के लिए भेजने की अनुमति दे दी है। सरकार इस पर क्या पैâसला लेगी, इस पर सबकी नजर है।
बता दें कि ठाणे शहर में बारिश के मौसम में खतरनाक इमारतें ढह जाती हैं और जानमाल की हानि होती है। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए अनधिकृत और अधिकृत इमारतों को सुनियोजित करने और मूलभूत सुविधाओं के साथ पुनर्विकास करने के लिए एक क्लस्टर योजना लागू की जा रही है। ठाणे मनपा ने इस परियोजना के लिए ४५ शहरी पुर्नद्धार योजनाएं तैयार की हैं। पहले चरण में यह परियोजना सिडको के माध्यम से किसननगर क्षेत्र में क्रियान्वित की जा रही है और यहां परियोजना का वास्तविक कार्य शुरू हो गया है। इस परियोजना के माध्यम से नागरिकों को अधिकार एवं स्वामित्व वाले मकान मिलेंगे। वहीं एक सरकारी कंपनी महाप्रीत के माध्यम से ठाणे शहर के टेकड़ी बंगला हजूरी और किसननगर के शेष क्षेत्रों में एक समूह विकास परियोजना लागू की जाएगी, जिसके लिए महाप्रीत ने ठाणे मनपा के साथ एक समझौता किया है। महाप्रीत कंपनी किसननगर में शहरी पुनरुद्धार योजना संख्या १२ के तहत यूआरसी संख्या ५ और ६ पर समूह योजना लागू करने जा रही है। इस प्रोजेक्ट के लिए महाप्रीत हुडको से २,५४६ करोड़ रुपए का कर्ज लेगी और इसके लिए महाप्रीत संस्था मनपा की जमीन गिरवी रखेगी। ऐसा प्रस्ताव महाप्रीत ने मनपा प्रशासन को दिया था। मनपा की जमीन गिरवी रखने के प्रस्ताव को ठाणे मनपा की आम सभा ने पास कर दिया है। इस प्रस्ताव को राज्य सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद महाप्रीत संस्था को मनपा की जमीन को गिरवी रखने का अधिकार प्राप्त हो जाएगा।

क्लस्टर पुनर्विकास योजना के लिए ठाणे में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम के ड्राइंग में भूखंड संख्या एफ-१ और सी-२९ की कुल भूमि का ५० प्रतिशत, यानी २२,३१७.६० वर्ग मीटर क्षेत्र, देने का निर्णय लिया गया है एक त्रिपक्षीय समझौते के तहत ठाणे मनपा को सरकार के कृषि, पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन विभाग के निर्णय के अनुसार, कृषि विभाग की १.९३२ हेक्टेयर भूमि को ठाणे मनपा को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी गई है और यह भूमि मनपा को हस्तांतरित कर दी गई है।

इस भूमि पर भविष्य के निर्माण के साथ किसननगर में शहरी पुनरुद्धार योजना संख्या १२ के तहत यूआरसी संख्या ५ और ६ में मनपा के स्वामित्व वाली कुल ४१,६३७.६० वर्ग मीटर भूमि महाप्रीत कंपनी हुडको के पास संपत्ति गिरवी रखेगी।

देश में फैल रहा जीका! …स्वास्थ्य मंत्रालय छिपा रहा है सही जानकारी

रोग को रोकने में हो रहा फेल

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र समेत हिंदुस्थान के कई राज्यों में जीका वायरस पहुंच चुका है। अकेले महाराष्ट्र में ही इस वायरस से संक्रमित ५६ मरीज मिल चुके हैं। इसका सबसे ज्यादा प्रकोप पुणे में देखा जा रहा है। यहां अब तक ५० मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय महाराष्ट्र समेत पूरे देश में वायरस के आंकड़ों को छिपाने की कोशिश कर रहा है। दूसरी तरफ वायरस को लेकर किए जा रहे तमाम दावे झूठे साबित हो रहे हैं, क्योंकि रोग को रोकने के लिए हर तरह के प्रयास नाकाम साबित हो रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक साल २०२४ में जीका वायरस के केवल १३ मामले ही सामने आए हैं। इसमें कर्नाटक में तीन, जबकि महाराष्ट्र में १० मामलों का समावेश है। हालांकि महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस साल राज्य में अब तक जीका से ५६ लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिसमें २१ गर्भवती महिलाएं संक्रमित हुई हैं। बताया गया है कि सर्वाधिक ५० मरीज पुणे में दर्ज किए गए हैं। इसके बाद संगमनेर में चार, जबकि सांगली और कोल्हापुर में क्रमश: एक-एक मरीज का समावेश है। रोग की रोकथाम के लिए मौजूदा समय में रोजाना छह हजार से अधिक संदिग्धों के नमूनों की जांच की जा रही है। प्रदेश में अब तक १,२८,२३१ लोगों की जांच की जा चुकी है। इसमें से ९०७ गर्भवती महिलाओं का समावेश है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि महाराष्ट्र में १० मरीजों की जानकारी देकर आखिरकार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय क्या छिपाने की कोशिश कर रहा है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निवारक गतिविधियों जैसे घरेलू प्रजनन जांचकर्ताओं का प्रावधान, आशा, कीटनाशक, फॉगिंग मशीनों की भागीदारी, प्रशिक्षण सहायता, जागरूकता गतिविधियां आदि के लिए बजटीय सहायता प्रदान की जा रही है।
स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में जानकारी देते हुए बताया है कि मंत्रालय सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना और सेवाओं में सुधार के उद्देश्य से विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

मोदी के दावे जमीं पर… भारत के लिए ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनना आसान नहीं

यह कहना दुस्साहस है कि भारत मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बन जाएगा। दुर्भाग्य से भारत जैसे देश में सार्वजनिक प्रशासन में प्रतिक्रिया समय, पारदर्शिता, जवाबदेही, गति और उत्कृष्टता में अभी भी सुधार की जरूरत है।’

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही यह दावा कर रहे हों कि भारत तेजी से ग्लोबल मैन्युपैâक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है, लेकिन अब उनके दावे जमीं पर धड़ाम होते नजर आ रहे हैं। दरअसल, इन दिनों इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति का बयान इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। देश की प्रमुख आईटी कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने मैन्युपैâक्चरिंग क्षेत्र में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने की भारत की क्षमता पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि चीन की जीडीपी भारत से छह गुना ज्यादा है। ऐसे में भारत के लिए मैन्युपैâक्चरिंग हब जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना एक दुस्साहस है। देश में मैन्युपैâक्चरिंग क्षेत्र में विकास के लिए सरकार की भागीदारी और सार्वजनिक प्रशासन में सुधार लाना जरूरी है।
नारायण मूर्ति ने आगे कहा कि चीन को पीछे छोड़ने और भारत को ग्लोबल मैन्युपैâक्चरिंग हब बनाने के सपनों में देश को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भारत के लिए मैन्युपैâक्चरिंग हब और ग्लोबल लीडर जैसे भारी-भरकम शब्दों के इस्तेमाल पर आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि चीन पहले ही दुनिया की फैक्ट्री बन चुका है। दुनिया के सुपरमार्केट्स और घरों में लगभग ९० प्रतिशत चीन में निर्मित वस्तुओं का इस्तेमाल हो रहा है। चीन का जीडीपी भारत की तुलना में छह गुना अधिक है। ऐसे में यह कहना हमारे लिए बहुत ही दुस्साहस है कि भारत मैन्युपैâक्चरिंग क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बन जाएगा। जीडीपी वह महत्वपूर्ण चुनौती है, जिसे भारत को पाटने की जरूरत है।

चीन में काम करते हैं, हमारी तरह बहस नहीं
बंगलुरु में इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी इंडस्ट्रीज असोसिएशन के टेक समिट-२०२४ में कहा है, `चीन का जीडीपी भारत का ६ गुना है। वहां लोग काम करते हैं, हमारी तरह बहस नहीं करते।’ उन्होंने कहा, `चीन पहले ही दुनिया की पैâक्ट्री बन चुका है।’ बकौल मूर्ति, भारत का ग्लोबल मैन्युपैâक्चरिंग हब बनने का सपना अभी बहुत दूर है। समिट के दौरान नारायण मूर्ति ने कहा कि जहां आईटी इंडस्ट्री निर्यात पर फलता-फूलता है। वहीं, मैन्युपैâक्चरिंग क्षेत्र घरेलू योगदान और सरकारी समर्थन पर बहुत अधिक निर्भर करता है। मैन्युपैâक्चरिंग के लिए कुल मिलाकर घरेलू योगदान अधिक है।

मौसमी बीमारियों की मार मुंबई मनपा हुई बेजार … स्वाइन फ्लू का जारी है कहर डेंगू, मलेरिया और स्टमक फ्लू भी दे रहा टेंशन

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मौसमी बीमारियों की बढ़ती रफ्तार से न केवल मुंबईकर, बल्कि मनपा भी बेजार हो चुकी है। शहर में स्वाइन फ्लू का लगातार कहर जारी है और महामारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसी के साथ ही मुंबई में डेंगू, मलेरिया और स्टमक फ्लू के मामलों में भी जोरदार तरीके से बढ़ोतरी हुई है। ये बीमारियां मनपा के स्वास्थ्य विभाग को टेंशन दे रही हैं।
उल्लेखनीय है कि मुंबई में मौसमी बीमारियों का संकट कायम है। जुलाई में मुंबई में मलेरिया, स्वाइन फ्लू, डेंगू, गैस्ट्रो, लेप्टो, चिकनगुनिया बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक एक से ३१ जुलाई के बीच मलेरिया के ७९७, डेंगू के ५३५, गैस्ट्रो के १२३९, चिकनगुनिया के २५, लेप्टो के १४१, हेपेटाइटिस के १४६ और स्वाइन फ्लू के १६१ मामले मिले हैं।

घर-घर सर्वे कर रहे स्वाथ्य कर्मी
मनपा स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक स्वास्थ्यकर्मी घर घर जाकर सर्वे कर रहे हैं। इसके साथ ही रैपिड और रिस्पांस टीम की ओर से उपाय योजनात्मक कार्रवाई की जा रही है। बताया गया है कि जुलाई में कुल ११,९४,७४८ घरों का सर्वे किया गया है। इस अवधि में ५५,७९,८१९ नागरिकों का भी सर्वे किया गया है। इसके अलावा ८४,११६ प्रोफिलैक्सिस वैâप्सूल का वितरण किया गया है, जबकि १,६६,१७३ नागरिकों के खून के नमूने लिए गए। गैस्ट्रो को कंट्रोल करने के लिए ६८,०२१ ओआरएस बांटा गया। पानी को शुद्ध रखने के लिए क्लोरीन के ६९,८६७ टैबलेट वितरित किए गए हैं।

चूहों का किया जा रहा खात्मा
लेप्टो को कंट्रोल करने के लिए जहरीली दवाओं का इस्तेमाल करके ९६६ चूहों को मारा गया है। इसके साथ ही पिंजरे से ३,४०९ और (रात्रि पाली मूषक संहार संस्था) के माध्यम से २३,६२८ चूहों को मारा गया।

विफल हो रहे मलेरिया और डेंगू को रोकने के उपाय
मनपा की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दक्षा शाह ने बताया है कि डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए निर्माण स्थलों, इमारतों और झोपड़पट्टियों में मच्छर जनित क्षेत्रों की पहचान की जा रही है। इसके तहत जुलाई में कुल ३०,००९०७ निर्माण स्थलों, इमारतों, झोपड़पट्टियों और कंटेनरों की जांच की गई। इस दौरान ३०,४५४ मच्छरजनित स्थलों को नष्ट किया गया है। इसके साथ ही १,५५११ फॉगिंग मशीनों की मदद से ६,०८,२९४ इमारतों और झोपड़पट्टियों में धुएं मारे गए। इसके बावजूद मौसमी बीमारियों को कंट्रोल करने में मनपा को कड़ी कसरत करनी पड़ रही है।

शॉर्ट रूट की ट्रेनें बनीं समस्या! … घाटकोपर-सीएसएमटी लोकल बिना ‘होम प्लेटफार्म’ के चलाना गंभीर

अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेन की सेवाएं बीते कई दिनों से देरी से चल रही हैं। जिसका असर यात्रा करने वाले यात्रियों पर पड़ रहा है। मध्य रेलवे की लेट चलने वाली लोकल ट्रेनों की वजह से यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में हमेशा देर होती है। इस देरी का मुख्य कारण शॉर्ट रूट की ट्रेनें बताई जा रही है। घाटकोपर-सीएसएमटी लोकल बिना ‘होम प्लेटफार्म’ के चलाई जा रही हैं, जिससे यात्री संगठनों ने नाराजगी जताई है। घाटकोपर-सीएसएमटी अप और डाउन के बीच छह लोकल ट्रिप्स चलाई जा रही हैं, जिससे मध्य रेलवे की पंक्चुअलिटी डाउन हो रही है। इसके चलते ठाणे से डोंबिवली के बीच बढ़ती भीड़ के कारण यात्रियों की जान जोखिम में है। यात्री संगठनों ने नई समय सारणी में घाटकोपर-सीएसएमटी लोकल का विस्तार ठाणे या डोंबिवली तक करने की मांग की है।
कई वर्षों से लंबित कलवा-ऐरोली लिंक का काम यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है। कलवा कारशेड की लोकल में कलवा के नागरिकों को चढ़ने के लिए ‘होम प्लेटफार्म’ की मांग की गई थी, लेकिन प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया। साथ ही कई रेलवे मार्ग के काम लंबित हैं, जिससे लोकल ट्रिप्स की संख्या बढ़ाने में दिक्कत हो रही है। घाटकोपर-सीएसएमटी लोकल ट्रिप्स के लिए १५-२० मिनट अतिरिक्त समय बर्बाद होता है, जिससे अन्य लोकल ट्रेन सेवाओं का शिड्यूल बिगड़ जाता है। घाटकोपर-सीएसएमटी लोकल सेवाओं का विस्तार ठाणे तक करने की मांग वर्षों की जा रही है, लेकिन रेलवे प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। व्यापारी वर्ग के लिए चलने वाली इन लोकल ट्रेनों की वजह से नौकरीपेशा, स्टूडेंट और अन्य यात्रा करनेवाले लोगों को नुकसान हो रहा है। घाटकोपर में ‘होम प्लेटफार्म’ न होने के बावजूद यहां से लोकल चलाई जाती हैं, जिसके कारण मोटरमैन और ट्रेन मैनेजर को काफी सतर्क रहना पड़ता है। मुंबई रेलवे यात्री संघ के अध्यक्ष मधू कटीयन ने बताया कि तीन फेरों के लिए दो अतिरिक्त कर्मचारियों की आवश्यकता होती है।

सुबह के समय घाटकोपर-सीएसएमटी अप और डाउन लोकल ट्रिप्स के कारण मध्य रेलवे की पंक्चुअलिटी बिगड़ रहा है। इन लोकल ट्रिप्स का विस्तार करने से घाटकोपर के यात्रियों सहित अन्य यात्रियों को भी लाभ होगा और मध्य रेलवे की पंक्चुअलिटी सुधारकर ट्रिप्स की संख्या बढ़ाई जा सकेगी। कलवा से लोकल चलाने से इनकार किया जाता है क्योंकि ‘होम प्लेटफार्म’ नहीं है, जबकि घाटकोपर में ‘होम प्लेटफार्म’ न होने के बावजूद लोकल ट्रिप्स शुरू हैं।
– सिद्धेश देसाई, अध्यक्ष, कलवा-पारसिक यात्री संगठन
‘होम प्लेटफार्म’ के बिना लोकल चलाना गंभीर है। छह लोकल ट्रिप्स के कारण अन्य लोकल ट्रेनों को देर होती है। मध्य रेलवे प्रशासन को इन लोकल ट्रिप्स को रद्द कर ठाणे, डोंबिवली, कल्याण की अप और डाउन लोकल चलानी चाहिए।
– सुभाष गुप्ता, अध्यक्ष, रेल यात्री परिषद

रेप का इरादा था तो भी मिलेगी सजा! …‘गैंगरेप’ के मामले में मुंबई हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी

-‘साझा इरादे’ का सबूत दोष साबित होने के लिए काफी
सामना संवाददाता / मुंबई
‘रेप नहीं किया लेकिन उस वक्त इरादे थे, तो भी सजा के हकदार हैं’, यह कहना है मुंबई हाई कोर्ट का। हाई कोर्ट ने नागपुर में चार लोगों द्वारा किए गए गैंगरेप के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर गैंगरेप के ‘साझा इरादे’ का सबूत है तो यह दोष साबित होने के लिए काफी है।
बता दें कि हाई कोर्ट ने गैंगरेप के चार दोषियों को २० साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने गैंगरेप में सीधे शामिल होने के कारण सजा देने के लिए रेप करना ही जरूरी नहीं माना, बल्कि गैंगरेप की नीयत रखना भी कारण माना। रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने साफ कहा कि यौन उत्पीड़न में प्रत्यक्ष भागीदारी अपराध को एस्टेबलिश करने के लिए जरूरी नहीं है। नागपुर पीठ ने गैंगरेप के लिए चारों लोगों की सजा को बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति सनप ने कहा, दोनों आरोपी पीड़ित को घसीटकर एक पेड़ के पीछे ले गए, जबकि बाकी दो ने पीड़ित के दोस्त को दबोच लिया। यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से उनकी ‘नॉलेज’ और इरादे को दर्शाती है जिससे वे समान रूप से दोषी बनते हैं। इन चारों को १४ जून, २०१५ को एक महिला के साथ गैंगरेप के लिए २० अगस्त, २०१८ को २० साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। न्यायमूर्ति गोविंदा सनप ने चार आरोपियों द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया, जिन्होंने चंद्रपुर सेशन कोर्ट द्वारा दी गई अपनी सजा को चुनौती दी थी। बता दें कि महिला और उसका दोस्त एक मंदिर में दर्शन करने के बाद एक पेड़ के नीचे बैठे थे, जब आरोपियों ने वन विभाग के अधिकारी बनकर उनसे संपर्क किया और १०,००० रुपए मांगे। दोनों ने जब उन्हें भुगतान करने में अपनी दिक्कत बताई तो उनके साथ न सिर्फ मारपीट की गई, बल्कि उनके मोबाइल फोन भी छीन लिए गए। इसके बाद संदीप और शुभम ने उसके साथ गैंगरेप किया, जबकि कुणाल और अशोक ने उसके दोस्त को पकड़े रखा, ताकि वह वारदात को रोक न पाए। बाद में दोस्त ने पुलिस को सूचना दी और मेडिकल जांच में गैंगरेप की पुष्टि हुई।

नाराज नितिन गडकरी ने जीएसटी पर लिखी वित्तमंत्री को चिट्ठी

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
जनता से जुड़े मुद्दों पर बीजेपी को एक बार फिर अपनों ने ही घेरा है। इसी कड़ी में नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी लिखकर जीवन बीमा व मेड‍िकल बीमा पॉलिसी पर १८ फीसदी जीएसटी नहीं वसूलने की मांग की है।
दरअसल, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री और भाजपा नेता नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री सीतारमण से जीवन और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर १८ प्रतिशत जीएसटी हटाने की अपील की है। बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को लेकर नागपुर डिविजन लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन एम्प्लॉइज एसोसिएशन ने गडकरी को ज्ञापन दिया है। इसी बयान की पृष्ठभूमि में गडकरी ने सीतारमण को पत्र लिखा है। लेटर में गडकरी ने लिखा है कि उन्हें नागपुर मंडल जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ ने इसके लिए आग्रह किया है। उन्होंने लिखा कि मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स से उन परिवारों के सपनों पर असर पड़ेगा, जो अपनों के लिए सुरक्षा चाहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखते हुए गडकरी ने कहा कि यह जीवन की अनिश्चितताओं पर कर लगाने के समान है। सड़क एवं परिवहन मंत्री ने ने कहा, ‘नागपुर मंडल जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ ने मुझे बीमा उद्योग से संबंधित मुद्दों के बारे में एक ज्ञापन सौंपा है और इसे आपके समक्ष उठाने की मांग की है। संघ द्वारा उठाया गया मुख्य मुद्दा जीवन और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को वापस लेने से संबंधित है।’

माहौल हमारे पक्ष में एकजुट होकर काम करो

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी पर तीखा प्रहार किया और आरोप लगाया कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव में लगे झटके से सबक लेने के बजाय आज भी विभाजन और डर पैâलाने की अपनी नीति पर कायम है। उन्होंने कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में पार्टी नेताओं से यह आह्वान भी किया कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद माहौल पार्टी के पक्ष में है, लेकिन आत्मसंतुष्ट और अति आत्मविश्वासी नहीं बनना है तथा एकजुट होकर काम करना है।
संसदीय दल के प्रमुख के तौर पर दिए गए अपने भाषण में सोनिया गांधी ने मोदी सरकार, भाजपा एवं आरएसएस पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा, `हमें लगता था कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव में लगे बड़े झटके से सही सबक लेगी। इसके बजाय, वह समुदायों को विभाजित करने, भय और शत्रुता पैâलाने की अपनी नीति पर कायम है।’ सोनिया गांधी ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के मार्ग में दुकानदारों के नाम प्रदर्शित करने के शासनादेश से जुड़े विवाद का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए कहा कि सौभाग्य से उच्चतम न्यायालय ने सही समय पर हस्तक्षेप किया, लेकिन यह केवल एक अस्थाई राहत हो सकती है। उन्होंने दावा किया, `नौकरशाही को आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति देने के लिए नियमों को अचानक बदल दिया गया।’
संसदीय दल की बैठक में बोलीं सोनिया गांधी

बजट के खिलाफ  १० ट्रेड यूनियनों का ‘हल्ला बोल!’ …९ अगस्त से होगा बजट विरोध का शंखनाद

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
मोदी सरकार के खिलाफ अब १० केंद्रीय ट्रेड यूनियनें हल्ला बोल करनेवाली हैं। मामला २०२४-२५ के बजट से जुड़ा है। बजट से निराश ये ट्रेड यूनियनें आगामी ९ अगस्त को पूरे देश में यलगार करते हुए केंद्र सरकार के बजट के खिलाफ प्रदर्शन करेंगी।
१० ट्रेड यूनियनों के ज्वाइंट प्लेटफॉर्म सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने ये प्रदर्शन करने का एलान किया है। इस बारे में सीटू ने बयान जारी कर वित्त वर्ष २०२४-२५ के बजट का विरोध करते हुए कहा कि ये विश्वासघात है और जरूरी आर्थिक मुद्दों को दबाने की कोशिश की गई है और केवल कॉर्पोरेट्स का ध्यान रखा गया है। ट्रेड यूनियनों ने कहा, ९ अगस्त १९४२ को भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश राज से मुक्ति की भावना को प्रज्वलित किया था। इसी महत्वपूर्ण दिन हम एनडीए सरकार के दमनकारी और देश विरोधी बजट के खिलाफ विरोध का शंखनाद करने जा रहे हैं। ९ अगस्त से बजट के विरोध की शुरुआत होगी जो १४ अगस्त तक जारी रहेगी। सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने अपने बयान में कहा, एनडीए सरकार का २०२४-२५ का बजट नागरिकों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है और भाजपा लोकसभा चुनावों में अपनी हार से सबक लेने में नाकाम रही है। ये राजनीतिक और आर्थिक अपराध है। बेरोजगारी, ग्रामीण आर्थिक संकट, महंगाई, खाद्य महंगाई जैसे मुद्दे जो सबसे महत्वपूर्ण हैं उन्हें बजट में नजरअंदाज कर दिया गया है। इकोनॉमिक सर्वे में स्पष्ट कहा गया है कि भारत के उद्योगपति और बिजनेस एलाइट भारी मुनाफे में तैर रहे हैं। ऐसे में सरकार की प्राथमिकता कॉर्पोरेट्स पर ज्यादा टैक्स लगाने की होनी चाहिए थी, जिससे विकास के कार्यों के लिए रेवेन्यू जुटाया जा सके। लेकिन बजट में इसके उलट विदेशी कॉर्पोरेट टैक्स को ४० फीसदी से घटाकर ३५ फीसदी कर दिया गया है।