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पंचनामा : पीरियड से परेशान लड़की ने की आत्महत्या … अभी भी है लोगों में जागरूकता की कमी?

क्या कहता है मेडिकल साइंस?
 घर वालों को किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?

संदीप पांडेय

लड़कियों का पहला पीरियड (मासिक धर्म) एक जैविक प्रक्रिया है। ऐसा लड़कियों में प्यूबर्टी आने पर होता है। लड़कियों में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन जैसे फीमेल हॉर्मोन के स्त्रावित होने पर उनका पीरियड शुरू हो जाता है। माहवारी के दौरान महिलाओं और लड़कियों को असहनीय दर्द होता है। क्या कभी किसी ने ऐसा सोचा है कि लड़की का पहला मासिक धर्म उसके लिए इतना ज्यादा दर्दनाक हो जाएगा कि वह दर्द से तिलमिला कर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेगी। ऐसा ही एक मामला मलाड के मालवानी इलाके से सामने आया है। जहां पर एक १४ साल की लड़की ने फर्स्ट माहवारी के दर्द से परेशान होकर सुसाइड कर ली।
पीरियड पर पहले से बात करना बहुत जरूरी
लड़की ने आत्महत्या जैसा कदम इसलिए उठाया क्योंकि उसे पीरियड्स के बारे में कम और गलत जानकारी थी। इसलिए मां को बेटी से पीरियड के बारे में बात करना बेहद जरूरी होता है। उन्हें बेटी को पहले पीरियड के बारे में सकारात्मक तरीके से समझाना चाहिए। उन्हें माहवारी के बारे में और उससे जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात के बारे में जानकारी देनी चाहिए। इससे लड़की के मन में महावारी को लेकर सारी शंकाएं दूर होगी साथ ही उसके मन में बैठा डर भी पूरी तरह से हट जाएगा।
मां को देनी चाहिए सीख
मां सेनेटरी नैपकिन खरीदने जाते वक्त बेटी को भी अपने साथ ले जाएं। उन्हें यह बताएं कि सेनेटरी नैपकिन खरीदना कोई शर्म वाली बात नहीं है। उन्हें सेनेटरी पैड खरीदना, किराने का सामान खरीदने जैसा आम है। उन्हें महावारी के दौरान होने वाले लक्षणों जैसे बदन दर्द, पेट दर्द, मुहांसें, स्तनों में दर्द, मूड fिस्वंग्स और आलस के बारे में भी बताएं। लड़कियों के पहले पीरियड के लिए उनके पास पीरियड सर्वाइवल किट के साथ-साथ पैड और टिश्यू होना मददगार साबित होता है। उनके बैग में भी यह होना जरूरी होता है। बेटी को पैड पहनने की सीख के साथ हाइजीन की भी जानकारी देना जरूरी है।
शारीरिक संरचना पर आधारित 
बता दें कि भारत के कई हिस्सों में आज भी लड़कियों और महिलाओं के पीरियड को गंदा और अपवित्र माना जाता है। मासिक धर्म से गुजर रही ग्रामीण लड़कियों और महिलाओं को पूजा कक्ष और रसोई में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। लड़कियों में माहवारी ८ साल की उम्र से ही शुरू हो जाते हैं जबकि ज्यादातर लड़कियों में उनका पहला पीरियड १२ साल की उम्र तक आता है। वहीं कुछ में यह १५ साल की उम्र तक आते हैं। पहला मासिक धर्म का आना हर लड़कियों के अलग-अलग विकास पर निर्भर करता है। यह एकदम सामान्य बात है। पीरियड्स, मूत्र और मल त्यागने जैसी एक सामान्य शारीरिक क्रिया है। इसे लेकर घबराना नहीं चाहिए। कुछ अनियमितताओं के कारण चिंता नहीं होनी चाहिए। डॉक्टर कहते हैं कि पीरियड्स आने पर उदास होने की कोई बात नहीं है। पीरियड नारीत्व में प्रवेश का एक संकेत है।

बेटियों की काउंसलिंग करें पैरेंट्स
माता-पिता को अपनी बेटियों की काउंसलिंग करनी चाहिए और उन्हें यह समझाना चाहिए कि यह एक सामान्य शारीरिक क्रिया है और इसमें कोई घबराने की बात नहीं है, लेकिन साथ ही उन्हें यह भी समझाना चाहिए कि यदि वे किसी यौन गतिविधि में शामिल हाती हैं और उनका मासिक धर्म रुक जाता है तो उन्हें तुरंत इसकी जानकारी देनी चाहिए। यह बात माता-पिता से छुपाए नहीं। परामर्श एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
डॉ. डिंपल वी. चुडगर, गायनेकोलॉजिस्ट

सर्वाइकल कैंसर की तरह बड़ा विषय
मैं यह बिल्कुल मानती हूं कि कुछ लड़कियों को इतना ज्यादा दर्द होता है कि वह बेड से उठ नहीं पाती हैं। कभी-कभी तो उन्हें इसके लिए अस्पताल में एडमिट होना पड़ता है। देश के मेडिकल विभाग को पीरियड्स पर संज्ञान लेना चाहिए और रिसर्च करनी चाहिए कि इसकी परमानेंट दवाई क्या है? इसका परमानेंट इलाज क्या हो सकता है? यह कोई छोटा विषय नहीं है। इस पर सरकार को भी ध्यान देना चाहिए। जिस तरह से सर्वाइकल वैंâसर अब एक बड़ा विषय बन गया है, उसी तरह से इसे भी गंभीरता से लेना चाहिए।
शीतल मेहता, छात्रा

लड़कियों को दर्द से मिले मुक्ति
पहले पीरियड्स में किसी की जान जा सकती है, यह बहुत बड़ा विषय है। हालांकि, जब मुझे पहली बार पीरियड आया था तो मुझे कोई समस्या नहीं हुई थी और न ही मुझे दर्द हुआ था। फिलहाल, अब काफी दर्द होता है लेकिन पहले पीरियड्स के वक्त मुझे पता भी नहीं चला था। भारत सरकार को इस पर काम करना चाहिए, इसकी कोई अच्छी दवाई लानी चाहिए। जिससे लड़कियों को इस बेतहाशा दर्द से मुक्ति मिल सके।
आरती घोष, मुंबई

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