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‘राज’नीति : गहलोत का दर्द

रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू

आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजस्थान में पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया, राजेंद्र यादव, पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा, आलोक बेनीवाल, विजयपाल मिर्धा, खिलाड़ी बैरवा, समेत कांग्रेस के कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दर्द छलका है। गहलोत ने कहा है कि जिन नेताओं को कांग्रेस ने पहचान दी और उन्हें राज्य मंत्री व केंद्रीय मंत्री बनाया और उन्हें पार्टी में बड़े पदों पर बिठाया। आज वही नेता पार्टी के मुश्किल वक्त में छोड़कर भाग रहे हैं। कांग्रेस नेताओं के जाने से नाराज पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा है। उन्होंने लिखा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि उनके ऊपर केंद्रीय एजेंसियों का दबाव है इसलिए वो भाजपा में जा रहे हैं। ये समय किसी के दबाव में आगे झुकने का नहीं, बल्कि लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष करने का है। हर व्यक्ति तनाव में है। इन तनाव और दबाव का मुकाबला सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही कर सकती है और लोकतंत्र को सुरक्षित रख सकती है।

कांग्रेस का गठबंधन
राजस्थान की कुल २५ सीटों में से १५ पर भाजपा ने प्रत्याशी घोषित कर दिए है, लेकिन १० सीटों पर अभी प्रत्याशी घोषित होने बाकी हैं। वहीं राजस्थान में कांग्रेस की पहली लिस्ट में दस लोगों के नाम घोषित हुए हैं। राजस्थान में कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस नागौर, बाड़मेर, बांसवाड़ा, सीकर सीट पर छोटे दलों से गठबंधन कर चुनाव लड़ सकती है। नागौर की जाट बहुल सीट पर हनुमान बेनीवाल सांसद थे। २०१९ में उन्होंने भाजपा से गठबंधन कर चुनाव जीता था, लेकिन इस बार भाजपा ने नागौर सीट से ज्योति मिर्धा को उतारा है। ऐसे में चर्चा है कि हनुमान बेनीवाल की पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर नागौर व बाड़मेर से चुनाव लड़ सकती है। सीकर सीट पर कांग्रेस का माकपा से गठबंधन होने की बात चल रही है। गठबंधन होने पर माकपा सीकर सीट पर चुनाव लड़ सकती है। बांसवाड़ा सीट पर कांग्रेस का भारतीय आदिवासी पार्टी से गठबंधन होने पर कांग्रेस बांसवाड़ा सीट छोड़ सकती है। फिलहाल, कांग्रेस में गठबंधन को लेकर बैठकों का दौर जारी है।

यादव नेताओं में होगी टक्कर
राजस्थान की अलवर लोकसभा सीट पर इस बार दो यादव नेताओं में कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। कांग्रेस यहां से लगातार दो बार चुनाव हार रही थी इसलिए इस बार उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह के स्थान पर मुंडावर से नवनिर्वाचित विधायक ललित यादव को मैदान में उतारा है। दूसरी तरफ भाजपा सांसद बाबा बालकनाथ के तिजारा से विधायक बन जाने के कारण पार्टी ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को टिकट दी है। अभी तक यहां से यादव बनाम राजपूत का मुकाबला होता था, मगर इस बार कांग्रेस ने अपनी चुनावी रणनीति बदलकर यादव मतदाताओं के बहुलता वाले अलवर क्षेत्र में भारी मतों से विधायक का चुनाव जीतने वाले युवा नेता ललित यादव को मैदान में उतार दिया है। ललित यादव ने पिछला विधानसभा चुनाव ३४,००० से अधिक मतों से जीता था। भाजपा प्रत्याशी भूपेंद्र यादव के मैदान में आने से पहले चुनावी मुकाबला को एक तरफ भाजपा के पक्ष में माना जा रहा था, मगर कांग्रेस ने ललित यादव को प्रत्याशी बनाकर चुनावी मुकाबले को रोचक बना दिया है।

भाटी ने धड़कनें बढ़ा दी
राजस्थान के बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक बने छात्र नेता रविंद्र सिंह भाटी ने बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री वैâलाश चौधरी की धड़कनें बढ़ा दी है। बाड़मेर जैसलमेर से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री वैâलाश चौधरी को दूसरी बार प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस ने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। चर्चा है कि कांग्रेस हनुमान बेनीवाल की पार्टी से चुनावी गठबंधन कर बाड़मेर सीट उनके लिए छोड़ सकती है। शिव से निर्दलीय विधायक बने रविंद्र सिंह भाटी ११ मार्च से देव दर्शन यात्रा पर निकल गए हैं। इसके तहत वह विभिन्न क्षेत्रों के मंदिरों में जाकर देव दर्शन तो करेंगे ही, साथ ही अपने लोगों के बीच जाकर रायशुमारी भी करेंगे कि वह आगे लोकसभा चुनाव लड़े या नहीं। भाटी पहले भाजपा में शामिल होकर विधानसभा चुनाव की टिकट मांग रहे थे, मगर भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया, तब उन्होंने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और विधायक बन गए।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त
स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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