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उद्धव ठाकरे और शरद पवार के पक्ष में जनता की लहर!…भुजबल के बयान से मची खलबली

-अबकी बार ४०० पार करना असंभव… इस बार कठिन है एनडीए का मार्ग

सामना संवाददाता / मुंबई

लोकसभा चुनाव में इस बार एनडीए का मार्ग कठिन है। इतना ही नहीं, अबकी बार ४०० पार करना भी इनके लिए असंभव है। महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार की तरफ जनता की लहर है, क्योंकि दोनों नेताओं के प्रति लोगों में अपार सहानुभूति पैदा हो गई है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बारामती की लड़ाई भी बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह का बयान देकर मंत्री छगन भुजबल ने राजनीतिक गलियारे में खलबली मचा दी है।
उल्लेखनीय है कि शिवसेना और राकांपा में तोड़फोड़ कराने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र में चुनाव का सामना करना मुश्किल दिख रहा है। इसी का नतीजा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचार सभाओं की लाइनें लग गई हैं। हालांकि, इन सबके बावजूद अजीत पवार गुट के वरिष्ठ नेता व मंत्री छगन भुजबल ने एक बयान दिया है, जिससे संकेत मिलता दिखाई दे रहा है कि जनता की राय शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और राकांपा (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार के पक्ष में है। एक खबरिया चैनल पर बातचीत के दौरान भुजबल ने कई मुद्दों पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भाजपा की राह अब २०१४ और २०१९ की तरह आसान नहीं है। उन्होंने दावा किया है कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टियों को तोड़ा गया है इसलिए लोगों की सहानुभूति उनके पक्ष में है, जिसका फायदा उन्हें लोकसभा चुनाव में मिलने की संभावना है। भुजबल ने यह भी कहा कि इस साल एनडीए की राह भी काफी कठिन है।
पवार परिवार में मतभेद से दुखी
छगन भुजबल ने यह भी कहा है कि बारामती में पवार परिवार की लड़ाई दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह पल थोड़ा भावुक है। इतने सालों तक एक साथ चुनाव लड़ने वाला परिवार अब अलग हो गया है। कुछ लोगों को यह पसंद नहीं है कि अभी क्या चल रहा है। गलती किसकी है, यह अलग बात है, लेकिन जो अभी हो रहा है वह न होता तो बेहतर होता। इस तरह से भुजबल ने खेद भी प्रकट किया।
नासिक सीट पर जताई नाराजगी
इसके अलावा भुजबल ने नासिक सीट को लेकर अपनी नाराजगी भी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने नासिक सीट के लिए मेरा नाम सुझाया था। इस तरह मैंने इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली थी। इस बीच अन्य निर्वाचन क्षेत्रों से उम्मीदवारी की घोषणा की जा रही थी, लेकिन नासिक पर फैसला नहीं किया गया था। मैं आखिरकार पीछे हट गया, क्योंकि मैं उम्मीदवारी के लिए नहीं रोते हुए बैठूंगा इसलिए मैं पीछे हट गया।

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