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‘राज’नीति : राजनीति छोड़ेंगे हेमाराम

रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू

राजस्थान सरकार में वन मंत्री हेमाराम चौधरी ने अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी है। हाल ही में उन्होंने गुढ़ामालानी में एक सभा कर लोगों को अपनी इच्छा से अवगत करवाया तो वहां उपस्थित लोग भावुक हो गए और हेमाराम से अगला चुनाव लड़ने की मांग करने लगे। मगर अपनी बात के धनी हेमाराम चौधरी ने सभी को साफ शब्दों में कह दिया कि उन्होंने एक बार जबान दी है तो वे मुकरेंगे नहीं और किसी भी सूरत में अगला विधानसभा चुनाव नहीं ल़ड़ेंगे। उन्होंने कहा कि अब नए लोगों को आगे लाने का समय आ गया है। इसलिए वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी, जिसको भी प्रत्याशी बनाएगी वे हर तरह से उसका साथ देंगे। हेमाराम चौधरी राजस्थान कांग्रेस में जाटों के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। वे कई बार विधायक, मंत्री व नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। चर्चा है हेमाराम अपनी बेटी सुनीता चौधरी को टिकट दिलवाना चाहते हैं।
अपनों के गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बारे में एक कहावत मशहूर है कि वे अपने साथियों के लिए अंत तक लड़ाई लड़ते हैं। यह बात शत-प्रतिशत सही है। हालांकि, राजनीति स्वार्थ की होती है और अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए बड़े-बड़े राजनेता भी पलटी मार जाते हैं। मगर अशोक गहलोत कुछ अलग हटकर ही हैं। वे दोस्ती और दुश्मनी बड़ी शिद्दत से निभाने के लिए मशहूर हैं। २०१८ में वो प्रदेश में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। २०२० में जब सचिन पायलट ने अपने समर्थक विधायकों के साथ बगावत की थी तब १४ निर्दलीय व पांच छोटे दलों के विधायक उनके साथ खड़े रहे थे। ऐसे में अशोक गहलोत अब उनमें से कई विधायकों को कांग्रेस का टिकट दिलवाना चाहते हैं। पार्टी के कई नेता उन विधायकों को टिकट देने का विरोध कर रहें है। मगर गहलोत संकट में अपनी मदद करने वाले सभी विधायकों के पक्ष में कांग्रेस आलाकमान के पास खुलकर पैरवी कर रहे हैं।
दीया कुमारी की धमक
राजसमंद से भाजपा सांसद व जयपुर राजघराने की पूर्व राजकुमारी दीया कुमारी इन दिनों भाजपा में पूरी धमक दिखा रही है। पिछले दिनों जयपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली का संचालन कर वे चर्चा में आई थीं। भाजपा ने उन्हें अपनी पहली ही लिस्ट में राजस्थान की सबसे सुरक्षित विद्याधर नगर सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया है, जहां से पूर्व मंत्री नरपतसिंह राजवी वर्तमान में विधायक हैं। राजवी पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के दामाद हैं। राजवी का टिकट काट कर दीया कुमारी को मिलने से प्रदेश की राजनीति में उनका कद बड़ा हो गया है। हाल ही में उन्होंने मेवाड़ राजघराने के विश्वराज सिंह मेवाड़ व पूर्व केंद्रीय मंत्री कल्याण सिंह कालवी के पोते भवानी सिंह कालवी को भाजपा में शामिल करवा कर राजपूत वोटों को भाजपा से जोड़ने का काम किया है। दीया कुमारी सवाई माधोपुर से २०१३ में विधायक भी रह चुकी हैं। विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की चर्चा चल रही है।
खड़गे की सभा से पायलट गायब
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी फिर से सरकार बनाने के प्रयास में लगी है। इसीको लेकर बारां में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पार्टी की ओर से पूर्वी नहर परियोजना को लेकर भाजपा के खिलाफ एक बड़ी जनसभा का आयोजन करवाया था, जिसे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित पार्टी के कई बड़े नेताओं ने संबोधित किया था। मगर जनसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट की अनुपस्थिति कांग्रेसी हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। कहा जा रहा है कि सचिन पायलट टेरिटोरियल आर्मी में वैâप्टन से मेजर पद पर अपने प्रमोशन के लिए परीक्षा देने गए हुए थे। इस कारण जनसभा में उपस्थित नहीं हो सके। मगर राजनीति के जानकारों का कहना है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जनसभा में शामिल नहीं होकर सचिन पायलट ने कांग्रेस पार्टी को अपनी तरफ से मैसेज दे दिया है कि यदि उनकी उपेक्षा होती रही तो वे भी चुनाव में सक्रिय भूमिका नहीं निभाएंगे।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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