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झांकी : `सरल’ हुआ जटिल

अजय भट्टाचार्य

डिजिटल युग में मतदाताओं से संपर्क स्थापित करने के लिए `सरल ऐप’ के लॉन्च के साथ अपने वैâडर को एकजुट करने की जो कोशिश शुरू हुई, वह भाजपा के कार्यकर्ताओं के लिए गले की हड्डी बन गई है। इसके लिए एक कार्यकर्ता को उस मतदाता के साथ एक सेल्फी लेनी होती है, जिसके पास वह पहुंचता है और उसे ऐप पर पोस्ट करना होता है। इसके पीछे भाजपा का चुनावी प्रबंधन का मकसद यह था कि जमीनी स्तर पर काम पूरा होना सुनिश्चित हो और कार्यकर्ता इसके बारे में झांसा न दे सकें। अतीत में ऐसे आलसी कार्यकर्ताओं के मामले सामने आए थे, जिन्होंने घर-घर जाने की जहमत नहीं उठाई और बस फॉर्म भर दिए। सरल ऐप ने अधिक उम्र के कम तकनीक-प्रेमी श्रमिकों के लिए भी इसे मुश्किल बना दिया है। मुश्किल यह आ रही है कि कार्यकर्ता घर-घर, दर-दर पहुंच तो जाते हैं लेकिन सामने वाले लोग सेल्फी लेने से मना कर रहे हैं। मेहनत के बावजूद आलसी होने का ठप्पा लगने से वैâडर बेचैन हैं।
खतरे में मंगलसूत्र
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूर्व सांसद और बाहुबली धनंजय सिंह को हत्या और वसूली के मामले में मिली जमानत से जौनपुर लोकसभा चुनाव में भाजपा की परेशानी बढ़ गई है। यह जमानत आदेश तब जारी हुआ, जब धनंजय को शनिवार को जौनपुर जिला जेल से बरेली जेल में शिफ्ट किया जा रहा थ। वे रास्ते में ही थे, तभी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। इस बीच धनंजय सिंह की पत्नी और बसपा उम्मीदवार श्रीकला सिंह ने कहा कि मेरी मांग का सिंदूर और मंगलसूत्र खतरे में है। श्रीकला सिंह ने कहा कि धनंजय सिंह को अचानक से बरेली जेल में शिफ्ट करना हम लोगों को परेशान कर रहा है। उन्होंने पति और अपनी हत्या की आशंका जताते हुए प्रधानमंत्री से मांग का सिंदूर और मंगलसूत्र बचाने की गुहार लगाई है। श्रीकला ने अभय सिंह का नाम लिए बिना कहा कि जिन लोगों ने मेरे पति पर एके-४७ से जानलेवा हमला किया था, वो लोग आज सत्ता में हैं। डर है कि ये लोग मेरे पति की हत्या की कोशिश कर सकते हैं। श्रीकला को बसपा ने जौनपुर में अपना उम्मीदवार बनाया है। जौनपुर से बसपा उम्मीदवार ने कहा कि विपक्षियों को डर सता रहा है कि धनंजय सिंह बाहर आ गए तो हार का सामना करना पड़ सकता है इसलिए उनको फर्जी मुकदमों में फंसाने का षड्यंत्र रच सकते हैं। मैं देश के प्रधानमंत्री से पूछना चाहती हूं कि विपक्ष की सरकार बनने पर आप मंगलसूत्र छिन जाने की बात करते हैं। आज आपकी सरकार में ही मेरे मंगलसूत्र पर संकट है। क्या आपका ध्यान इस पर नहीं जाएगा?
पर्दे के पीछे?
भाजपा रूपाला के खिलाफ क्षत्रिय आंदोलन को बढ़ावा देने वाले पर्दे के पीछे के खिलाड़ियों का पता लगाने की कोशिश कर रही है, जो अब पार्टी को भी निशाना बना रहा है। राजकोट से शुरू हुई आग अब पूरे राज्य में पैâल गई है और यहां तक कि इस मामले को शांत कराने के लिए भेजे गए रत्नाकर, महासचिव (संगठन) और हर्ष सांघवी भी राजपूतों को समझाने में विफल रहे हैं। उन्होंने पूरे सौराष्ट्र और उत्तरी गुजरात की यात्रा की फिर भी आंदोलन अब ग्रामीण स्तर पर भी गति पकड़ता दिख रहा है। भाजपा नेता अब इस बात को लेकर उत्सुक हैं कि आग में घी डालने का काम कौन कर रहा है। पार्टी के दिग्गज नेता सीआर पाटील दो बार सार्वजनिक माफी मांग चुके हैं, जबकि रूपाला हर मौके पर माफी मांगते हैं, लेकिन इससे क्षत्रियों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। इस बीच राजपूत आंदोलन को लेकर गुजरात भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। कथित तौर पर आलाकमान राज्य के नेताओं से इस मुद्दे को हल्के में लेने और कम से कम शुरुआत में इसे हल करने के लिए इसे परषोत्तम रूपाला पर छोड़ने के लिए नाराज है। स्थानीय नेतृत्व ने सोचा कि रूपाला जैसा `पका हुआ’ नेता मामले को सुलझाने में सक्षम होगा। दूसरी ओर रूपाला को लगा कि `आग’ बुझाने के लिए `मदद’ जल्दी पहुंचनी चाहिए थी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने चुटकी लेते हुए कहा, `सभी स्तरों पर अति आत्मविश्वास के कारण आत्मविश्वास कम हो गया है’।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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