सामना संवाददाता / मुंबई
बदलापुर में स्कूली छात्राओं के यौन शोषण और हाल ही में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने की घटना ने महाराष्ट्र में राजनीतिक और सामाजिक माहौल को गर्म कर दिया है। लेकिन सरकारी एजेंसियां हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं और आरोपी फरार है। इस पर राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार) पार्टी के नेता जितेंद्र अव्हाड ने सरकार पर निशाना साधा है उन्होंने कहा है कि यह सरकार का नया ‘फरार प्लान’ है। जितेंद्र आव्हाड ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि विशालगढ़ में इतना बड़ा मामला हुआ, आरोपी फरार है। बदलापुर के स्कूल में बच्चियों का यौन शोषण, आरोपी संचालक फरार, छत्रपति शिवाजी महाराज की बनाई घटिया मूर्ति, आरोपी मूर्तिकार फरार। सरकार की योजना है कि यदि तुम सत्ताधारी दल के आदमी हो तो निश्चििंत रहो, तुम बलात्कार करते हो, तुम दंगा करते हो, कोई बात नहीं,तुम फरार रहो तुम्हें कोई पकड़ने नहीं आएगा। जितेंद्र आव्हाड ने सरकार पर आरोप लगाया है कि यह सरकार की नई ‘फरार रहो योजना’ है, अपराधियों के लिए संरक्षण योजना है।
सरकार की शुरू है ‘फरार रहो योजना’ …जितेंद्र आव्हाड ने शिंदे सरकार को घेरा
क्लीन बोल्ड : कांसे वाली फर्राटा गर्ल
अमिताभ श्रीवास्तव
पेरिस में पैराओलिंपिक चल रहे हैं। हिंदुस्थान कमाल दिखा रहा है। देश की फर्राटा गर्ल ने गजब ढा दिया है। वो कांसे वाली फर्राटा गर्ल बन गई हैं। जी हां, हिंदुस्थान की प्रीति पाल ने महिलाओं की टी३५, १०० मीटर स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। पेरिस पैरालिंपिक्स २०२४ में प्रीति ने अपने निजी सर्वश्रेष्ठ समय १४.२१ सेकंड में रेस पूरी की। २३ साल की प्रीति पाल का ब्रॉन्ज पेरिस पैरालिंपिक्स में पैरा-एथलेटिक्स में हिंदुस्थान का पहला मेडल है। चीन की झू जिया (१३.५८) और गुओ कियानकियान (१३.७४) ने क्रमश: गोल्ड व सिल्वर मेडल जीते। प्रीति पाल पैरालिंपिक्स इतिहास में दीपा मलिक, अवनि लेखरा, भाविना पटेल और मोना अग्रवाल के बाद मेडल जीतने वाली पांचवीं हिंदुस्थानी एथलीट बनीं। यह भी बता दें कि टी-३५, १०० मीटर की दौड़ होती क्या है? टी-३५ वर्गीकरण उन एथलीटों के लिए है जिनमें हाइपरटोनिया, एटैक्सिया और एथेटोसिस के साथ-साथ सेरेब्रल पाल्सी जैसी समन्वय संबंधी समस्याएं हैं।
फिर से खड़ी
होऊंगी पोडियम पर
पैराओलिंपिक में देश को पहला गोल्ड मेडल दिलवाने वाली निशानेबाज की भूख अभी खत्म नहीं हुई है। वो अभी फिर से पोडियम पर खड़ी होकर मेडल गले में पहनना चाहती हैं। ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने वाली पैरा निशानेबाज अवनि लेखरा का ध्यान पेरिस पैरालिंपिक में और अधिक पदक जीतने पर लगा है और उनका कहना है कि वह अपनी बची हुई दो स्पर्धाओं में भी पोडियम पर आना चाहती हैं। अवनि महिलाओं की १० मीटर एयर राइफल (एसएच१) निशानेबाजी स्पर्धा लगातार दो पैरालिंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली हिंदुस्थानी बन गर्इं। तीन साल पहले टोक्यो पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली २२ वर्षीय अवनि ने शानदार २४९.७ अंक हासिल कर तीन साल पहले के अपने ही पैरालिंपिक रिकॉर्ड २४९.६ को तोड़ दिया। अवनि ने ऐतिहासिक जीत के बाद कहा कि मुझे खुशी है कि इस बार भी एरीना में बजने वाला पहला राष्ट्रगान हिंदुस्थान का राष्ट्रगान था। मुझे अभी दो और स्पर्धाओं में हिस्सा लेना है इसलिए मैं देश के लिए और पदक जीतने पर ध्यान लगाए हुए हूं।
भारी उलटफेर
यूएस ओपन में भारी उलटफेर हो गया। पहले अल्काराज हारकर बाहर हुए तो अब दुनिया के दिग्गज टेनिस खिलाड़ी और मौजूदा विजेता नोवाक जोकोविच यूएस ओपन के तीसरे दौर में उलटफेर का शिकार होकर बाहर हो गए हैं। ऑस्ट्रेलिया के एलेक्सी पोपीरिन ने उन्हें चार सेटों तक चले मुकाबले में ६-४, ६-४, २-६, ६-४ से मात दी। दूसरी सीड जोकोविच की कोशिश थी कि वह इस टूर्नामेंट को जीतकर अपने ग्रैंड स्लैम खिताबों की संख्या को २५ तक पहुंचा दें, लेकिन एलेक्सी ने ऐसा होने नहीं दिया, बल्कि २०१७ के बाद ये पहली बार होगा जब सर्बिया का ये दिग्गज पूरे साल में चारों ग्रैंड स्लैम खेलने के बाद एक भी नहीं जीत सका हो। २०१७ से पहले ऐसा २०१० में हुआ था। जोकोविच ने इसी के साथ यूएस ओपन में अपने सबसे खराब रिकॉर्ड की बराबरी भी कर ली है। वह इससे पहले तीसरे राउंड या उससे पहले साल २००५ में हारकर बाहर हुए थे। उस समय जोकोविच को ऑस्ट्रेलिया के ही लेटन हेविट ने हराया था। वह अब इस टीम के डेविस कप वैâप्टन हैं। आर्थर एश स्टेडियम में जब एलेक्सी ने उन्हें हराया तो हेविट वहीं मौजूद थे।
अवनि की जीत पर चहका बॉलीवुड
पेरिस पैरालिंपिक-२०२४ में इतिहास रचते हुए अवनि लेखरा ने जैसे भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाया, पूरे देश के साथ ही बॉलीवुड में खुशी की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया के जरिए सितारे उन्हें बधाई दे रहे हैं। करीना कपूर से लेकर आयुष्मान खुराना तक ने अवनि की जीत पर खुशी जाहिर की है। करीना कपूर ने इंस्टाग्राम पर एथलीटों का एक कोलाज पोस्ट करते हुए लिखा, ‘बहुत-बहुत बधाई।’ आयुष्मान खुराना ने विजेताओं की तस्वीर साझा करते हुए लिखा- ‘पैरालिंपिक में भारत के लिए कितना अद्भुत दिन है। बहुत गर्व महसूस हो रहा है।’ सोनाली बेंद्रे ने भी बधाई देते हुए लिखा- ‘पदक फिर से घर आ गए।’ प्रोड्यूसर जैकी भगनानी, रकुल प्रीत सिंह और सोनू सूद ने भी भारतीय एथलीट्स की उपलब्धि पर खुशी जाहिर की।
मैं सिल्वर से खुश हूं…
शूटर मनीष नरवाल ने पेरिस पैरालिंपिक्स २०२४ में पी१-मेन्स १० मीटर एयर पिस्टल एसएच१ में रजत पदक जीत लिया है। उन्होंने २३४.९ का स्कोर दर्ज कर अपना दूसरा पैरालिंपिक मेडल जीता। टोक्यो पैरालिंपिक्स में मनीष ने मिक्स्ड ५० मीटर पिस्टल एसएच१ इवेंट में गोल्ड जीता था। भारत ने पेरिस पैरालिंपिक्स में २ घंटे के अंतराल में ४ पदक जीते हैं। भारतीय पैरा शूटर मनीष नरवाल ने फाइनल में २३४.९ अंक हासिल किए, जिससे वह गोल्ड मेडल से चूक गए, जिसे रिपब्लिक ऑफ कोरिया के जो जियोंगडु ने २३७.४ अंक के साथ अपने नाम कर लिया। २२ वर्षीय मनीष ने कहा, ‘मैंने कड़ी मेहनत की है और मैं अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद कर रहा था। आज मैंने गोल्ड के लिए खेला, लेकिन मैं सिल्वर से खुश हूं।’ भारतीय शूटर ने आगे कहा, ‘मैं भारत के लोगों और सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने मेरी मदद की- कोच, सपोर्ट स्टाफ। उन्होंने मेरी बहुत मदद की।’
नेशनल क्रश!
हमेशा एथलेटिक और कैजुअल में नजर आनेवाली पेरिस ओलिंपिक में दो ब्रॉन्ज मेडल जीतनेवाली मनु भाकर जब अमिताभ बच्चन के शो ‘केबीसी-१६’ के स्पेशल एपिसोड के लिए साड़ी पहनकर पहुंची तो उनके इस एथनिक अंदाज को देखते ही सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई। साड़ी में बलां की खूबसूरत नजर आ रहीं २२ वर्षीया मनु को लोगों ने नेशनल क्रश घोषित कर दिया है। मनु इस आइवरी प्रिâल साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही हैं। मनु ने अपने इस साड़ी लुक को बहुत ही मिनिमम रखा। साड़ी के साथ जहां मनु ने गले में कुछ नहीं पहना, वहीं कानों में बहुत ही छोटे स्टड्स और बालों को एक बन में बांधकर गजरा बांधे नजर आर्इं। बता दें कि पेरिस ओलिंपिक में दो ब्रॉन्ज मेडल जीतनेवाली मनु भाकर और पहलवान अमन सेहरावत जल्द ही केबीसी-१६ के स्पेशल एपिसोड में नजर आनेवाले हैं।
शिलालेख : घातक है अंधविश्वास
हृदयनारायण दीक्षित
अंधविश्वास बढ़ रहा है। अंधविश्वास राष्ट्रजीवन के लिए घातक है। देश को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। आखिरकार, वैज्ञानिक दृष्टिकोण का मतलब क्या है? संसार प्रत्यक्ष है। विज्ञान कार्य कारण की व्याख्या है। भारतीय दर्शन में तर्क और प्रतितर्क का विशेष महत्व है। आधुनिक विज्ञान सब कुछ जानने की जिज्ञासा है। प्राचीन काल में ऋषि सृष्टि रहस्यों पर विचार करते थे। ऋग्वेद में जिज्ञासा है कि मरुत (वायु) किस शक्ति से वर्षा करते हैं और किस देश से आते हैं? सूर्य प्रत्यक्ष हैं। संपूर्ण जगत के लिए उपास्य हैं। भौतिक सत्य हैं। ऋषि की जिज्ञासा है कि ‘वह रात्रि में किस क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं।’ वैदिक समाज को सूर्य के दर्शन में आनंद मिलता था। सूर्य पर अनेक सूक्त हैं। आधुनिक विज्ञान ने अनेक सौरमंडल जान लिए हैं। ऋग्वेद में इसी से मिलती-जुलती जिज्ञासा है कि सूर्य हैं कितने? यहां सूर्य पर एक मजेदार प्रश्न है कि सूर्य आकाश से क्यों नहीं गिरता? उसका आधार क्या है? ऋग्वेद में ऐसे सैकड़ों प्रश्न हैं। क्या इन प्रश्नों को वैज्ञानिक नहीं माना जा सकता? विज्ञान का जन्म और विकास ऐसा ही प्रश्न बेचैन जिज्ञासा से हुआ है।
विज्ञान भौतिक जगत के अणु, परमाणुओं व गोचर प्रपंचों का अध्ययन है। चरक संहिता प्राचीन ज्ञान का महान ग्रंथ है। चरक संहिता में आत्मा को द्रव्य बताया गया है। यही बात इसके पहले वैशेषिक दर्शन में है। प्राचीन विज्ञान की जड़ें प्राचीन संस्कृति में हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने बड़ी उन्नति की है। अथर्ववेद के एक ऋषि ने सफेद बालों को काला करने की दवा खोजी थी। इसे विज्ञान कहेंगे या अध्यात्म। कभी-कभी प्राचीनता के समर्थक भी अतिउत्साह में आधुनिक काल में हुई खोजों को प्राचीन बताते हैं। यह विषय विशेष शोध के लायक है। भारतीय काव्य परंपरा में आकाश मार्ग और विमान के उल्लेख हैं। विमान की बात कल्पना हो सकती है। विमान की कल्पना के लिए भी वैज्ञानिक चित्त चाहिए। प्राचीन काल में विमान थे या नहीं थे यह शोध का विषय है। इतिहास और पुरातत्व का है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के लिए साक्ष्य चाहिए। प्राचीन आख्यान के एक मजेदार पात्र हैं नारद। वह बिना किसी वाहन के दुनिया के किसी भी कोने की यात्रा कर लेते हैं। नारद का उल्लेख ऋग्वेद, महाभारत और रामायण में है। नारद यत्र-तत्र सर्वत्र भ्रमण करते हैं। वैदिक भारत में तर्कशास्त्र और दर्शन का विकास हो रहा था। आधुनिक काल में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने का काम यहां के विद्वानों ने किया। प्राचीन भारत अंधविश्वासी नहीं था। ऋग्वेद में प्रकृति के भीतर एक सारभूत नियम व्यवस्था का उल्लेख है। डॉ. राधाकृष्णन के अनुसार ‘ईश्वर भी प्राकृतिक संविधान में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।’ प्राचीन विज्ञान में सृष्टि के गोचर प्रपंचों की गहन जिज्ञासा थी। तैत्तिरीय उपनिषद् (उत्तर वैदिक काल) में भृगु को पिता ने बताया ‘अन्न ही संपूर्णता है। अन्न से प्राण हैं।’ यहां प्रत्यक्ष वैज्ञानिक भौतिकवाद है। फिर कहा ‘प्राण ही सर्वस्व हैं। प्राण के कारण प्राणी हैं।’ यहां भी कोई अंधविश्वास नहीं। आगे बताया कि ‘मन ही सब कुछ है और फिर बताया कि विज्ञान ही सब कुछ है। विज्ञान से ही प्राणी जन्म लेते हैं। जीवित रहते हैं और विज्ञान में ही समा जाते हैं।’ यहां विज्ञान शिखर है। विज्ञान अर्थात प्रकृति के अकाट्य नियम। अंत में कहा कि लेकिन ‘आनंद ही सर्वस्व है। अन्न, मन, प्राण या विज्ञान सबका उद्देश्य आनंद ही है।’ प्रयोगसिद्धि विज्ञान की प्रमुख कसौटी है। व्यक्तिगत अनुभूति वैज्ञानिक नहीं होती। सार्वजनिक सिद्धि जरूरी है। भारी-भरकम उपकरण या प्रयोगशालाएं ही किसी ज्ञान को विज्ञान नहीं बनाते। आर्इंस्टीन ने लिखा है ‘जिसने भी उन औजारों और विधियों का व्यवहार सीख लिया है, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में वैज्ञानिक प्रतीत होते हैं, मैं उसे वैज्ञानिक नहीं मानूंगा। मैं उन व्यक्तियों की बात कर रहा हूं, जिनमें वैज्ञानिक मानसिकता-साइंटिफिक मेंटालिटी जीवंत है।’ यहां वैज्ञानिक मानसिकता पर ही जोर है। वैज्ञानिक मानसिकता क्या है? भारत अंधविश्वास मुक्त और जिज्ञासु था। धरती, आकाश और सौरमंडल को जानने व जांचने को बेचैन था। इसलिए प्राचीन ज्ञान-विज्ञान को कोरा मिथक कहना राष्ट्रजीवन का सीधा अपमान है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण में ज्ञान की कोई अवस्था अंतिम नहीं होती। ज्ञान निरंतर विकासमान प्रक्रिया है। न प्राचीन विज्ञान पूर्ण था और न ही आधुनिक विज्ञान ही पूर्ण है। गणित विज्ञान की आत्मा है। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार ‘शून्य के अंक का आविष्कार संभवत: हिंदुओं ने किया।’ लिखा है कि १ से १० अंकों के प्रतीक अधिकतर भारत में उत्पन्न हुए। अरबों ने उनका प्रयोग किया। उन्हें हिंदू अरेबिक अंक कहा जाता है।’ संस्कृत में शति १० सूचक और १०० के लिए शतम् है। एस.एन. सेन ने ‘हिस्ट्री आफ साइंसेज इन इंडिया’ में लिखा है ‘शब्दांक और दाशमिक स्थानगत मूल व्यवस्था में व्यवहार एक अन्य अपूर्व भारतीय विकास है। गणित का विकास विश्लेषक प्रतिभा का उत्कृष्ट प्रमाण है। दशमलव पद्धति विश्व को भारत की देन है।’ नीढेम ने ‘साइंस एंड सिविलाइजेशन इन चाइना’ में लिखा, ‘शून्य का प्रयोग १२४७ ई. में चीन में मिलता है। धारणा है कि वह सीधे भारत से प्राप्त किया गया है।’ गणित और विज्ञान का जन्म भारत में हुआ। १ के साथ शून्य लगाकर बना १० महत्वपूर्ण अंक है। ऋग्वेद के अनुसार ‘१० दिशाएं हैं। इंद्रियां भी १० हैं। विराट पुरुष १० अंगुल में विश्व घेरता है।’ १०० अंक का भी उल्लेख है-१०० शरद् का जीवन चाहिए।’ शून्य वाली संख्या मजेदार ढंग से बढ़ती है ‘वरुण १०० औषधियां रखते हैं और हजार भी।’ पुरुष सहस्र शिरो वाला, सहस्र पैरों वाला है।’ मैक्डनल और कीथ ने वैदिक साहित्य से अनेक संख्याओं का उल्लेख किया है। उन्होंने समय माप के दाशमिक विभाजन का भी ब्योरा दिया है। बीज गणित का विकास यहां हुआ। हड़प्पा स्थापत्य प्राचीन रेखागणित का साक्ष्य है। जर्मन विद्वान डॉ. थामस के अनुसार हड़प्पा सभ्यता के मापक यंत्र गणित ज्ञान की गवाही है। पृथ्वी की गतिशीलता और गुरुत्व अथर्ववेद में है। वेदों में हजारों वनस्पतियों का उल्लेख है। यहां धातु उद्योग भी है। वस्त्र उद्योग भी है। भारत को प्राचीन ज्ञान, विज्ञान पर गर्व है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण हमारा उत्तराधिकार है। भारत के वैज्ञानिकों ने उत्कृष्ट कार्य किए हैं। प्राचीन ज्ञान का स्वाभिमान और आधुनिक विज्ञान की ग्राह्यता में भारत का भविष्य उज्ज्वल है।
(लेखक उत्तर प्रदेश विधानसभा के
पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार हैं।)
अमेरिकी बलों ने १५ आतंकियों को किया ढेर
अमेरिकी सेना ने इराक के पश्चिमी क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट समूह के संदिग्ध आतंकवादियों को निशाना बनाकर हवाई हमले किए हैं। इस हमले में १५ लोग मारे गए हैं और ७ अमेरिकी सैनिक भी घायल हो गए हैं। अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड ने कहा है कि आतंकवादी कई हथियारों, ग्रेनेड और विस्फोटक आत्मघाती बेल्टों’ से लैस थे। बता दें कि इराक और सीरिया में आतंकवादियों को उनके स्वघोषित खिलाफत से बेदखल करने के बाद अमेरिकी सेना की इस्लामिक स्टेट समूह से लड़ाई वर्षों से जारी है। इराकी बलों ने कहा कि यह हमला देश के अनबर रेगिस्तान में किया गया था। अमेरेकी सेना के सेंट्रल कमांड ने कहा कि इस अभियान का लक्ष्य पूरे क्षेत्र आईएसआईएस के शीर्ष आतंकवादियों की क्षमता को बाधित करना था। इराकी सेना ने एक बयान में कहा कि हवाई हमलों में आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया गया था।
चावला कांड से नासा ने लिया सबक!
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को लाने में नासा कोई गलती नहीं करना चाहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे ही एक केस में कई अंतरिक्ष यात्रियों की हादसे में मौत हो गई थी। ऐसे में नासा अब सावधानी से काम ले रहा है। सुनीता विलियम्स और उनके साथी को अगले साल फरवरी में धरती पर वापस लाया जाएगा। नासा लगातार उनकी वापसी में देरी कर रहा है। अधिकारियों ने कहा कि सुनीता विलियम्स ८ महीने तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में रहेंगी।
सुनीता को लेकर लौटेगा स्पेसक्राफ्ट
नासा ने बताया है कि बोइंग का स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट अगले हफ्ते इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) से पृथ्वी पर आएगा। बकौल नासा, अगर मौसम ठीक रहा व तकनीकी समस्या नहीं हुई तो स्पेसक्राफ्ट ६ सितंबर को उड़ान भरेगा। गौरतलब है कि सुनीता विलियम्स इसी स्पेसक्राफ्ट से आईएसएस गई थीं और इसमें समस्या आने के कारण वह अब तक लौट नहीं सकी हैं।
केदारनाथ में गिरा हेलिकॉप्टर … जगह-जगह फैला मलबा
केदारनाथ और गौचर के बीच भीमबली के पास एक हेलिकॉप्टर गिरा है। दरअसल, केस्ट्रल एविएशन का एक हेलिकॉप्टर २४ मई को खराब हो गया था। ६ यात्रियों को लेकर जा रहे हेलिकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी थी। हेलिकॉप्टर उतरने से पहले हवा में ८ बार लहराया था, तभी से यह हेलीपैड पर खड़ा था। इसकी रिपेयरिंग होनी थी, इसलिए श्घ्-१७ हेलिकॉप्टर से लिफ्ट किया जा रहा था। तभी यह हेलिकॉप्टर नीचे गिर गया। हादसे में किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं हैं।
हेलिकॉप्टर को ठीक करने के उद्देश से वायु सेना के एमआई १७ हेलीकॉप्टर की मदद से हैंग करके गौचर हवाई पट्टी पहुंचाया जा रहा था। इस दौरान एमआई १७ डिसबैलेंस होने लगा। खतरे को भांपते हुए पायलट ने खाली स्थान देखते हुए हेलिकॉप्टर को घाटी में ड्रॉप कर दिया। दरअसल, २४ मई को लैंडिंग के दौरान तकनीकी खराबी आने से जिस हेलिकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी थी, उसे ही आज सुबह एयरलिफ्ट किया जा रहा था। इस दौरान श्घ्-१७ डिसबैलेंस होने लगा। खतरे को देखते हुए पायलट ने हेलिकॉप्टर को घाटी में ही ड्रॉप कर दिया।