मुख्यपृष्ठनए समाचारदेवेंद्र की विधायकी बचेगी या जाएगी? ...मुंबई हाई कोर्ट में पहुंचा मामला

देवेंद्र की विधायकी बचेगी या जाएगी? …मुंबई हाई कोर्ट में पहुंचा मामला

-चुनाव में धांधली का है आरोप
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की जीत को चुनौती देने वाली एक चुनाव याचिका मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में दाखिल की गई है। फडणवीस ने नागपुर दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी। कांग्रेस के उम्मीदवार प्रफुल्ल गुडधे पाटील ने यह याचिका दायर कर फडणवीस के विधायक पद को रद्द करने की मांग की है। गर्मी की छुट्टियों के बाद इस याचिका पर न्यायमूर्ति प्रवीण पाटील की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। यह सुनवाई खुले न्यायालय में न होकर जज के चेंबर में की गई। फडणवीस विधायक बने रहेंगे या नहीं, इसका निर्णय अब न्यायालय में होना है। अब देखना दिलचस्प होगा कि देवेंद्र फडणवीस की विधायकी चली जाती है या बच जाती है।
बता दें कि फडणवीस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील मनोहर ने, जबकि गुडधे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा ने लगभग दो से ढाई घंटे तक जोरदार तर्क-वितर्क किया। सुनवाई में दोनों पक्षों के बीच जोरदार बहस के बाद न्यायालय ने निर्णय सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं। १६ जून को लिखित जवाब देने को कहा है।
सुनवाई के दौरान फडणवीस और अन्य पक्षों ने इन याचिकाओं का विरोध दिवानी प्रक्रिया संहिता की ऑर्डर ७ रूल ११ और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा ८६(१) के तहत किया। उनका कहना था कि याचिका जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा ८१(१) के मापदंडों को पूरा नहीं करती, इसलिए उसे प्रारंभिक चरण में ही खारिज किया जाए। वहीं याचिकाकर्ता पक्ष का कहना था कि याचिका पूरी तरह कानूनी रूप से उचित है और फडणवीस पक्ष की आपत्तियां निराधार हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि फडणवीस पक्ष की मंशा मामले की कार्रवाई को टालने की है।
फडणवीस पर ये हैं आरोप
याचिका में कहा गया है कि चुनाव में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। ईवीएम के माध्यम से चुनाव कराने से पहले जिन प्रक्रियाओं को पूरा करना आवश्यक था, चुनाव आयोग ने वे पूरी नहीं कीं। यहां तक कि ईवीएम से चुनाव कराने की अधिसूचना भी आयोग ने जारी नहीं की, ऐसा आरोप गुडधे ने लगाया।
इसके अलावा चुनाव परिणाम आने के बाद हारने वाले उम्मीदवारों ने सीसीटीवी फुटेज और फॉर्म नंबर १७ की मांग की थी, जो नहीं दी गई। विविपैड की ५ पर्चियों की पुनर्गणना की अनुमति नियमों के अनुसार है, कई लोगों ने इसके लिए भुगतान भी किया था, लेकिन फिर भी गणना नहीं की गई।

अन्य समाचार