रामदिनेश यादव / मुंबई
दूसरी बार सत्ता में आने के बाद से महायुति सरकार लाडली बहनों को लगातार धोखा दे रही है। आए दिन किसी न किसी बहाने उनके पैसे कम कर रही है तो बड़ी संख्या में लाडली बहनों की छंटाई हो रही है। कभी अपात्र ठहराकर तो कभी दूसरी योजनाओं में लाभार्थी होने का हवाला देकर उन्हें इस योजना से बाहर कर रही है। अब एक बार फिर सिर्फ पुणे की २० लाख लाडली बहनें आईटी के रडार पर हैं। इन बहनों पर आयकर विभाग के माध्यम से सरकार ने जांच शुरू की है। इनके खाते की पूरी जांच हो रही है। इनके पैनकार्ड के जरिए इनके आमदनी को खंगाल रही है, ताकि इन्हें अपात्र बताकर इस योजना से बाहर किया जा सके। सूत्रों की मानें तो इसके बाद धीरे-धीरे राज्यभर से लगभग एक करोड़ से अधिक लाडली बहनों को आईटी की जांच के जरिए इस योजना से बाहर किया जा सकता है।
महिला बालविकास विभाग के अनुसार, यह योजना गरीब बहनों के लिए थी। इसके बावजूद कुछ आर्थिक रूप से सक्षम महिलाओं ने भी इस योजना के लिए आवेदन कर लाभ उठाया है। इसकी संभावना राज्य सरकार ने जताते हुए अब आयकर विभाग से इस योजना के तहत लाभार्थी महिलाओं की जांच शुरू की है। सूत्रों के अनुसार, अब इस संबंध में आयकर विभाग से जानकारी भी प्राप्त हो रही है।
इस कारण पुणे जिले की लगभग २० लाख लाडली बहनें अब सरकार के रडार पर आ गई हैं। राज्यभर में यह योजना बड़े पैमाने पर लागू है, लेकिन इसमें आर्थिक रूप से सक्षम महिलाओं के लाभ उठाने की शिकायतें सामने आई थीं। इसके बाद अब पुणे समेत पूरे राज्य में आयकर विभाग के डेटा के आधार पर छानबीन शुरू है। इस योजना का कई अपात्र महिलाओं ने भी लाभ उठाया था। राज्य की लगभग दो हजार सरकारी महिला कर्मचारियों द्वारा इस योजना का लाभ उठाने का मामला उजागर हुआ था, जिसके बाद उनके नाम हटाए गए थे।
विशेष सॉफ्टवेयर से होगी जांच
राज्य सरकार ने इसके लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसमें लाभार्थियों की सूची दर्ज है। इस सूची की तुलना अब आयकर विभाग के डेटा से की जाएगी। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार से आधिकारिक अनुमति मांगी थी। केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने ३ जून २०२५ को एक अधिसूचना जारी कर महिला व बाल विकास विभाग को आयकर भरने वाली महिलाओं का डेटा प्राप्त करने की अनुमति दी है।