अनिल मिश्र / रांची
कल अमदाबाद में एयर इंडिया की उड़ान AI-171 के दुर्घटनाग्रस्त होने से 241 लोगों की असमय मौत होने पर आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने अपनी प्रतिक्रिया में कही। इन्होंने आगे कहा कि यह हादसा केंद्र की मोदी सरकार की विमानन सुरक्षा में घोर लापरवाही और संकट प्रबंधन की विफलता का प्रतीक है। हम मृतकों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाते हैं और मोदी सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहते हैं कि हादसे से पहले पायलट की ‘मे-डे’ कॉल के बावजूद त्वरित कार्रवाई नहीं हुई। बोइंग 787 की तकनीकी खराबी की आशंका रख-रखाव में कमी को दर्शाती है। यह सरकार की सुरक्षा नीतियों की विफलता है। पिछले हादसों से कोई सबक नहीं 2020 कोझिकोड हादसा : एयर इंडिया एक्सप्रेस उड़ान IX-1344 के रनवे से फिसलने से 21 मौतें। जांच में रनवे की खराब स्थिति और सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमी उजागर हुई, लेकिन सिफारिशें आज तक लागू नहीं हुईं। 2018 मंगलुरु घटना: एयर इंडिया विमान में तकनीकी खराबी, लेकिन जांच के बाद भी रख-रखाव मानकों में सुधार नहीं किया गया ।
श्री नायक ने आगे कहा कि अहमदाबाद हादसे की जांच के लिए AAIB और उच्च-स्तरीय समिति गठित की गई, लेकिन पूर्व हादसों की जांच (जैसे कोझिकोड) में देरी और निष्कर्षों को दबाने का इतिहास रहा है। सरकार ने जांच सिफारिशों पर अमल नहीं किया, जिससे दोषियों को संरक्षण मिला। इन्होंने यह भी आरोप लगाते हुए कहा की एयर इंडिया के निजीकरण के बाद लागत कटौती के चलते रख-रखाव और प्रशिक्षण पर असर पड़ा। अहमदाबाद हादसे में तकनीकी खराबी इसका उदाहरण है। निजीकरण ने सुरक्षा को खतरे में डाला है। कमजोर नियामक: डीजीसीए में कर्मचारी और विशेषज्ञों की कमी से सुरक्षा मानकों की निगरानी कमजोर। संकट प्रबंधन में विफलता: हादसे के बाद राहत कार्य में देरी और समन्वय की कमी। मेघनगर में हॉट से टकराने से मेडिकल छात्र हताहत हुए, लेकिन आपात सेवाएं अपर्याप्त रहीं।
राजनीतिक प्राथमिकताएं: विमानन सुरक्षा के बजाय दिखावटी परियोजनाओं पर ध्यान दिया गया । टाटा के द्वारा सभी मृतक पैसेंजर्स को एक एक करोड़ देना काफी कम है। कानूनी प्रावधान की तुलना में: टाटा ग्रुप की 1 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सहायता मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के न्यूनतम मुआवजे (1.4 करोड़ रुपए) से कम है।
इस बीच नायक ने केंद्र सरकार से मांग किया की अमदाबाद हादसे की स्वतंत्र, समयबद्ध और पारदर्शी तरीके जांच हो और जांच निष्कर्षों को सार्वजनिक कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए, साथ ही साथ विमानन सुरक्षा के लिए डीजीसीए को सशक्त करें और रख-रखाव मानकों को सख्त करें। निजीकरण की नीतियों की समीक्षा हो। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह अपनी जिम्मेदारी स्वीकार कर ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए।