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नौकरी की राह में रोड़ा एआई से डरे ग्रेजुएट्स!.. तकनीकी क्रांति में करियर की चुनौती

सामना संवाददाता / मुंबई

तकनीक की दुनिया में कदम रखते ही आज के ग्रेजुएट्स के मन में एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है। क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) हमारी नौकरियों के रास्ते में रुकावट बनेगा? एक ताजा सर्वे से पता चला है कि ७० फीसदी से ज्यादा नए ग्रेजुएट्स को लगता है कि एआई और ऑटोमेशन टूल्स के बढ़ते इस्तेमाल के कारण उन्हें मनपसंद नौकरी पाना मुश्किल हो सकता है।
दिलचस्प बात यह है कि ९२ फीसदी छात्र मानते हैं कि यदि वे एआई और ऑटोमेशन में दक्षता हासिल कर लें तो उनका करियर नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है। यह सर्वे दुनियाभर के ९,००० से ज्यादा ग्रेजुएट्स पर आधारित है, जिसमें भारत के भी १,२५० छात्र शामिल थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि एआई से जुड़े करियर में रुचि तेजी से बढ़ रही है। २०२४ में जहां ५९ फीसदी छात्रों ने एआई करियर को प्राथमिकता दी थी, वहीं २०२५ में यह संख्या ६३ फीसदी हो गई है।
छात्रों का मानना है कि आने वाले समय में सिर्फ डिग्री से काम नहीं चलेगा, बल्कि तकनीकी कौशल (एआई, ब्लॉकचेन, जनरेटिव टेक्नोलॉजी) और सॉफ्ट स्किल्स का मेल ही उन्हें आगे बढ़ाएगा। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि फाइनेंस सेक्टर लगातार तीसरे साल छात्रों की सबसे पसंदीदा इंडस्ट्री बना हुआ है, जहां ३८ फीसदी छात्रों को सबसे ज्यादा भरोसा है। इसके बाद आईटी सेक्टर (३२ फीसदी) और एजुकेशन सेक्टर (२१ फीसदी) हैं।
दिलचस्प बात यह है कि ४० फीसदी छात्र ग्रेजुएशन के तुरंत बाद नौकरी शुरू करना चाहते हैं यानी एआई का डर है, लेकिन तैयारियां भी पूरी हैं। आने वाला दौर तकनीक और टैलेंट दोनों का होगा जो सीखेगा, वही टिकेगा।

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