विमान हादसा!

जीवन के अंतिम सांस जहां लेने हैं
वह स्थान आपके पास नहीं आता
आप स्वयं चलकर पहुंचते
जिसे लिख गया विधाता।
स्थान, समय और साथ
जब मिल होते पास-पास
तभी मानव लेता जीवन की अंतिम सांस।
कुछ ने घर से निकलने का
शुभ मुहूर्त निकलवाया होगा
होगी यही अंतिम यात्रा है
इसका अनुमान न होगा।
मन से बहुत प्रसन्न थे
अपनों से जा कर मिलेंगे
कोई जा रहा था अपनों से बिछड़ के।
विमान अभी-अभी तो उड़ा था
पहला और अंतिम पड़ाव शीघ्र ही आ गया।
भारतीय और विदेशी सभी एकसाथ थे उड़ान में
क्या पता था एक ही चिता में साथ जलेंगे।
दो सौ पैंसठ जीवन दीप एक साथ बुझेंगे।
विश्वास कुमार का कुछ अलग लिखा था भाग्य
जाको राखे साइयां मार सके न कोय
पानी के बुदबुदे सा ही जीवन होय।
हमारी संवेदनाएं उन सभी के साथ
जो चले गए और जो
अपनों को खो कर हुए अनाथ।
-बेला विरदी

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