उमेश गुप्ता/वाराणसी
सारनाथ थाना क्षेत्र के अंतर्गत शनिवार को उस समय माहौल गरमा गया जब यह जानकारी फैली कि महाराजा सुहेलदेव राजभर स्मृति द्वार पर लिखे ‘राजभर’ शब्द को शरारती तत्वों द्वारा हटा दिया गया है। इससे आक्रोशित राजभर समाज के सैकड़ों लोग स्मृति द्वार के पास इकट्ठा हो गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे।
बताया जा रहा है कि यह वही स्मृति द्वार है जिसका 10 जून को उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री रविंद्र जायसवाल ने उद्घाटन किया था। समाज के नेताओं का आरोप है कि किसी योजना के तहत स्मृति द्वार से ‘राजभर’ शब्द हटाया गया ताकि महाराजा सुहेलदेव के राजभर समाज से जुड़े होने को दबाया जा सके।
राजभर समाज के प्रतिनिधियों में संजय सिंह (विधायक प्रतिनिधि और भाजपा जिला उपाध्यक्ष) ने कहा कि “यह केवल नाम मिटाने का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे इतिहास और अस्मिता पर हमला है। माननीय मंत्री अनिल राजभर ने हमें जानकारी दी और उनके निर्देश पर हम यहां एकत्र हुए हैं। जब तक ‘राजभर’ शब्द को पुनः स्मृति द्वार पर नहीं लिखा जाता और दोषियों पर मुकदमा दर्ज नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा।”
वहीं सुभासपा जिलाध्यक्ष उमेश राजभर ने कहा कि “यह समाज के साथ अन्याय है। राजनीतिक साजिश के तहत हमारे समाज के इतिहास को मिटाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन राजभर समाज अब चुप बैठने वाला नहीं है। हमने प्रशासन को ज्ञापन देकर सख्त कार्रवाई की मांग की है।”
घटना की सूचना मिलते ही सारनाथ थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया।
राजभर समाज के नेताओं ने स्पष्ट किया कि यदि जल्द से जल्द दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई और ‘राजभर’ शब्द पुनः अंकित नहीं किया गया, तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।