मुख्यपृष्ठधर्म विशेषआध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र बना अयोध्या!

आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र बना अयोध्या!

अयोध्या में श्रीराम मंदिर में रामलला के ऐतिहासिक प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद लाखों श्रद्धालु रामलला विराजमान के दर्शन के लिए उमड़ रहे हैं। दुनियाभर से भक्त भगवान श्रीराम के दर्शन के लिए जुट रहे हैं और आधिकारिक संख्या ६२ लाख है। अयोध्या अब धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है। इस्कॉन के भक्तों ने इस भव्य उत्सव में भाग लिया, जिसमें कई वरिष्ठ इस्कॉन भक्त और संन्यासी जैसे प.पू लोकनाथ स्वामी, प.पू राधानाथ स्वामी, परमपूज्य भक्ति पुरुषोत्तम स्वामी, प.पू भक्ति रसामृत स्वामी, प.पू भक्ति विनोद स्वामी शामिल थे। प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने के लिए देवकीनंदन दास, युधिष्ठिर गोविंद दास आदि को आमंत्रित किया गया।
अयोध्या पवित्र सरयू नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। इसका इतिहास त्रेता युग से जुड़ा है और यह भगवान रामचंद्र का जन्मस्थान है। ऐतिहासिक रूप से अयोध्या पर सूर्यवंशी राजाओं का शासन रहा है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, अयोध्या सप्तपुरियों में से एक पवित्र स्थली है, जो जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्रदायिनी है। कई तपस्वी और तीर्थयात्री आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त करने हेतु पवित्र स्थानों के दर्शन करने और विभिन्न साधुओं से सुनने के लिए प्रतिदिन यहां एकत्रित होते हैं। अयोध्या का जैन धर्म से भी गहरा नाता है, क्योंकि यह भगवान ऋषभदेव की जन्मस्थली है।
वर्तमान में अयोध्या में इस्कॉन का एक प्रचार केंद्र है, जो अयोध्या में और उसके आस-पास विभिन्न उपदेश और आउटरीच गतिविधियां चलाता है, जैसे विश्वविद्यालय में प्रचार, जगन्नाथ रथ यात्रा, सीता रसोई के तहत दैनिक १,००० थालियां, मुफ्त भोजन वितरण, साप्ताहिक हरिनाम संकीर्तन, ‘संडे लव फिस्ट।’ अयोध्या में इस विशेष अवसर को देखते हुए, इस्कॉन इंडिया की कार्यकारिणी समिति ने भव्य तरीके से भाग लेने का निर्णय किया। इस दिव्य अवसर पर पूरे दिल से भाग लेने के लिए विभिन्न गतिविधियों की योजना बनाई गई।
लाखों रामभक्तों को भोजन प्रसादम वितरण
चाहे भूकंप हो, महामारी हो, युद्ध हो या ऐतिहासिक घटनााएं हों, इस्कॉन शानदार पवित्र भोजन वितरित करने के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। भव्य प्रसादम प्रदान करने और वितरित करने के लिए अयोध्या में उदासीन आश्रम के पास आवंटित भूखंड पर श्रीमान गौरांग प्रभुजी के नेतृत्व में आधुनिक सुविधाओं के साथ एक मेगा रसोई स्थापित की गई थी। कृष्ण को अर्पित पवित्र भोजन कई स्थानों पर वितरित किया गया था और सबसे महत्वपूर्ण अयोध्या के मेयर पं. गिरीशपति त्रिपाठी जी का परिसर रामपथ पर स्थित है। प्रतिदिन बदले हुए मेन्यु के साथ पूरा भोजन परोसा जाता था। आनेवाले वीआईपी मेहमानों और वरिष्ठ भक्तों के लिए एक निर्धारित स्थान था। प्रतिदिन १०,००० लोगों को भोजन प्रसाद वितरित किया गया।
दैनिक हरिनाम संकीर्तन
महाप्रभु ने दावा किया कि उनके नाम का जाप हर शहर और गांव में किया जाएगा और अयोध्या धाम भी इससे अछूता नहीं रहा। हर दिन भक्त बैलगाड़ी पर गौर निताई और श्रील प्रभुपाद के विग्रहों की शोभा यात्रा निकालते, साथ ही विभिन्न देशों के भक्त हर शाम मुख्य संकीर्तन में शामिल होते थे, जो मुख्य मंदिर के सामने शुरू होता था। राम मंदिर के द्वार से शुरू होकर प्रतिष्ठित लता मंगेशकर चौक पर समापन होता था। सभी आयु वर्ग के भक्त हरे कृष्ण महामंत्र की धुन पर जप और नृत्य करते।
यह अयोध्या धाम में श्रील प्रभुपाद की प्रसन्नता के लिए एक सामूहिक प्रचार प्रयास और अत्यंत कठिन सेवा थी। जैसा कि इस्कॉन कम्युनिकेशन उत्तर प्रदेश के सह निदेशक और इस्कॉन अयोध्या के सहप्रभारी देवशेखर विष्णुदास जी ने स्पष्ट सार रूप में प्रस्तुत किया, ‘अयोध्या धाम में इस्कॉन का यह पूरा प्रयास ऐतिहासिक था और इसका अयोध्या धाम के लोगों के मन पर स्थायी प्रभाव पड़ेगा। यह एक संपूर्ण प्रयास था।’

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