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महाराष्ट्र को नशाखोर बनाने की साजिश …कुत्ता गोली!

महाराष्ट्र में सरकार है या नहीं, इसे लेकर लोगों के मन में भ्रम बना हुआ है। सरकार का कोई अस्तित्व ही दिखाई नहीं देने की वजह से महाराष्ट्र ड्रग्स की बिक्री और सेवन का एक बड़ा बाजार बन गया है। नासिक में नशीले ‘मैंड्रेक्स’ की गोलियां बनाने की फैक्ट्री राजनैतिक आशीर्वाद से ही चलाई जा रही थी और उस कारखाने का कर्ता-धर्ता ललित पाटील ससून अस्पताल से फरार हो गया था, लेकिन कहा जा रहा है कि मुंबई पुलिस ने उसे चेन्नासेंद्रम से गिरफ्तार कर लिया। ‘मैं फरार नहीं हुआ, मुझे भगाया गया। सही समय पर मैं इन सबका भंडाफोड़ करूंगा’, ललित पाटील ने गिरफ्तारी के बाद यह कहा है। ललित पाटील का ससून से फरार होना और उसकी गिरफ्तारी यह एक फिक्सिंग है और इसके पीछे महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में शिंदे गुट के दो मंत्रियों का हाथ होने का आरोप कांग्रेस के नाना पटोले, रवींद्र धंगेकर ने लगाया है। मंत्रालय की छठी मंजिल से गुंडों, माफियाओं की मदद हो, इसके लिए पुलिस और जेल प्रशासन में हस्तक्षेप किया जाता है। चुनाव से पहले ‘३०२’ के कई अपराधियों को रिहा कर उनका इस्तेमाल राजनीति के लिए किया जाएगा और इस प्रक्रिया की शुरुआत भी हो गई है। हत्या के मामले में जमानत पर बाहर आए पूर्व पुलिस अधिकारियों पर जेल में मौजूद अपराधियों तथा वर्तमान सत्ताधारियों के बीच समन्वय स्थापित करने की जिम्मेदारी दी गई है और यह महाशय इस कार्य में जुट गए हैं, राज्य के ताजा घटनाक्रम को देखकर यही प्रतीत होता है। गृहविभाग के आशीर्वाद के बिना यह संभव नहीं है। राज्य में अब पुलिस की धमक नहीं रह गई है। क्योंकि पुलिस अधिकारियों को भी ‘घाती’ या घर का काम करनेवाला बताकर रख दिया गया है। नागपुर में गृहमंत्री के घर की चौखट पर ही भाजपा के युवा पदाधिकारी ने पुलिस उपायुक्त का कॉलर पकड़कर धक्का-मुक्की की फिर भी राज्य के पुलिस महानिरीक्षक, नागपुर के ‘मिंधे’ पुलिस कमिश्नर आंखों पर पट्टी बांधे बैठे रहे। यह तस्वीर महाराष्ट्र के लिए अच्छी नहीं है। उसमें भी नशे के व्यापारियों को राजाश्रय मिलने लगे तो राज्य की स्थिति ‘उड़ता पंजाब’ की तरह तो नहीं हो जाएगी, ऐसा जनता को लगने लगा है। बगल के गुजरात राज्य के बंदरगाहों, हवाई अड्डों पर हजारों करोड़ के नशीले पदार्थ पकड़े जाते हैं, जो माल जब्त नहीं किए जा सके, उसके पैर निकल आते हैं और वह महाराष्ट्र आ जाता है। महाराष्ट्र के कई शहर और जिले नशे की गिरफ्त में आ गए हैं और नशे के ‘समृद्धि’ ठेकेदार बिंदास एक पीढ़ी को बर्बाद कर रहे हैं। नासिक जैसा सुसंस्कृत, शिक्षित शहर आज इसकी गिरफ्त में फंस गया है। नशे की कई गोलियां, तरह-तरह का नशा स्कूल, कॉलेज, रास्ते पर, पान की गुमटी पर मिल रहे हैं और अच्छे परिवार के लड़के-लड़कियां इन नशे की चपेट में फंस गए हैं। नशीले पदार्थ के कारण नैराश्य की भावना आती है और इसी भावना के चलते नासिक में अब तक सौ से भी अधिक लड़के-लड़कियों द्वारा आत्महत्या करने की बात सामने आई है। ‘कुत्ता गोली’ नामक नशे के खतरनाक प्रकार ने मालेगांव से लेकर नासिक तक हाहाकार मचा दिया है। इसके नशे के बाद कई युवक चोरी, लूटमारी, हत्याएं कर रहे हैं। नासिक, पुणे में कोयता गैंग ने कहर मचाया है और इसके पीछे भी कुत्ता गोली का नशा है। प्रगतिशील महाराष्ट्र के भाग्य में एक लापरवाह सरकार के आने की वजह से राज्य की संस्कृति की गाड़ी इस तरह ढलान की तरफ बढ़ रही है। चार दिनों पहले सोलापुर से २० करोड़ के ड्रग्स पकड़े गए। नासिक, पुणे से भी ऐसे ही ड्रग्स मिल रहे हैं। मुंबई-ठाणे के धनाढ्य इलाकों और होटलों में ड्रग्स का सेवन बढ़ गया है और वह आसानी से उपलब्ध हो रहा है यह गृहमंत्री की विफलता है। स्थानीय पुलिस की मिलीभगत के बिना नशे का व्यापार चल ही नहीं सकता। पुलिस ‘ऊपर’ हफ्ता देकर अपने वर्तमान पदों तक पहुंचे हैं। इसलिए उन्हें उनकी वसूली करनी पड़ती है, लेकिन इस हफ्ताखोरी की वजह से महाराष्ट्र नशे में डोल रहा है। नगर के सामाजिक कार्यकर्ता हेरंब कुलकर्णी पर हुए जानलेवा हमले के पीछे भी यही नशे के व्यापारी हो सकते हैं। स्कूल-कॉलेज के पास मौजूद पान की गुमटी हटाई जाए, सिगरेट-तंबाकू की बिक्री बंद की जाए, जैसी मांगें उन्होंने की थी और महानगरपालिका को कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया था। इसी के बाद उन पर हमला हुआ। नशीले पदार्थों के व्यापार पर नियंत्रण के लिए ‘एनसीबी’ नामक केंद्रीय तंत्र कार्यरत है। उस तंत्र के आर्यन खान मामले का प्रताप सामने आने पर वहां के भ्रष्ट, फर्जी कामकाज का काला चिट्ठा ही सामने आ गया। दो-पांच ग्राम के नशे की धर-पकड़ करनेवाले इस तंत्र की नजर में नासिक का नशे का कारखाना व सैकड़ों करोड़ की ‘मैंड्रेक्स’ की खेप नजर में आई ही नहीं। महाराष्ट्र का ‘पंजाब’ बने, शिकागो-बैंकॉक बने, नाइजेरिया की तरह नशाखोर के नाम से यह राज्य बदनाम हो कहीं कोई यह साजिश तो नहीं रच रहा है? महाराष्ट्र की संपूर्ण सरकार पर सत्ता का नशा ‘कुत्ता गोली’ की तरह चढ़ गया है। जहां से भी मिले वहां से पैसा खींचो। फिर वह नशे के व्यापार का क्यों न हो! सरकार की नीतिमत्ता इस कदर नीचे आ गई है। मुंबई की पुलिस कोविड सेंटर, खिचड़ी के पीछे पड़कर राजनैतिक विरोधियों को बदनाम करने में लगी है, लेकिन नशे के व्यापारी, ड्रग्स माफिया बेफिक्र होकर घूम रहे हैं। ससून अस्पताल में एक ड्रग्स माफिया मंत्री के आशीर्वाद से नौ महीने तक आतिथ्य भोगता है और एक दिन फरार हो जाता है। हो-हल्ला मचने के बाद वह पकड़ा जाता है। गिरफ्तार ललित पाटील मुंह पर लगे बुर्वेâ के पीछे से ‘मुझे भगाया गया’ यह कहता है। घाती सरकार और उनके गृहमंत्री के ये चिथड़े हैं। गुजरात ड्रग्स माफियाओं का अंतर्राष्ट्रीय हब बन गया है। गुजरात का माल महाराष्ट्र में आ रहा है। महाराष्ट्र को नशेड़ी बनाने की साजिश का पर्दाफाश करना ही होगा।

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