लौट आये ये

वादे कसमें अपने वो
जिद के रिश्ते अपने वो
दाएं बाएं दो आंखें जो
तेरे चेहरे इसमें जो
सब करीब है अपने ये
लौट आये ये
भूली बिसरी उस यादों में
ढूंढ़कर जो लाया तुझे
रग-रग में समाए जो
खास होकर आये जो
देखूं इस भीड़ से निकल के,
आये जो खुशबू-सा उड़के
छू लूं तेरे खामोशी को,
जो तू बोले ये
लौट आये ये
गुल बिखरे हैं लब पे ये
लफ्ज टूटे हैं तुझपे ये
जमीं पे पैर नहीं कबसे ये
बहार है महकी सी सांसों में
प्यासे होंठों के एहसासों पे
दिल खयाल में, रात दिन
खुशियों में बिताए ये
लौट आये ये
– मनोज कुमार
गोंडा, उत्तर प्रदेश

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