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राजनैतिक विपक्षियों, पूर्व जजों और बुद्धिजीवियों के बाद जनता का यलगार! … पीएम की हेट स्पीच हो बंद

२,२०० प्रबुद्ध नागरिकों ने अंधे-बहरे हो चुके चुनाव आयोग को लिखा पत्र

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब नफरती भाषण यानी हेट स्पीच शुरू कर दी है। वे कांग्रेस के घोषणापत्र के बारे में तो गलत बातें बोल ही रहे हैं, उसी बहाने वो मुसलमानों पर भी निशाना साधते हुए कई आरोप लगा रहे हैं। इससे देश के चुनावी माहौल में कड़वाहट घुलती जा रही है। यही कारण है कि राजनैतिक विपक्षियों, पूर्व जजों और बुद्धिजीवियों के बाद अब जनता ने भी यलगार कर दिया है। इसके तहत २,२०० से अधिक प्रबुद्ध नागरिकों ने अंधे-बहरे हो चुके चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मोदी की हेट स्पीच पर रोक लगाने की मांग की है।
नागरिकों ने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुसलमानों के खिलाफ उनकी नफरत भरी टिप्पणियों पर कार्रवाई शुरू करने के लिए कहा है। नागरिकों ने इसे ‘खतरनाक और भारत के मुसलमानों पर सीधा हमला’ बताते हुए चुनाव आयोग से कहा, ‘प्रधानमंत्री ने २१ अप्रैल को राजस्थान में चुनाव प्रचार के दौरान भाषण दिया, जिसने देश के संविधान का सम्मान करने वाले लाखों नागरिकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।’ मोदी ने २१ अप्रैल को बांसवाड़ा में कहा था, ‘इससे पहले जब उनकी (यूपीए) सरकार सत्ता में थी, उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है, जिसका मतलब है कि वे आपकी संपत्ति को इकट्ठा करेंगे और जिनके ज्यादा बच्चे हैं, उन घुसपैठियों को बांट देंगे। क्या आपकी मेहनत का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा, उन्होंने यह भी कहा, ‘कांग्रेस का यह घोषणापत्र कह रहा है कि वे माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे और फिर उसका वितरण करेंगे। मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। भाइयों-बहनों, ये अर्बन नक्सली सोच आपका मंगलसूत्र भी नहीं बचने देगी, इतनी दूर तक जाएगी।’ चुनाव आयोग का ध्यान आकर्षित करते हुए नागरिकों के समूह ने कहा कि वोट मांगने के लिए मोदी की भाषा दुनिया में ‘लोकतंत्र की जननी’ के रूप में हिंदुस्थान के कद को गंभीर रूप से कमजोर करती है। पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा, ‘इस तरह के नफरत भरे भाषण के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में चुनाव आयोग की विफलता केवल इसकी विश्वसनीयता और स्वायत्तता को कमजोर करेगी, जिसे आपसे पहले अनुकरणीय अधिकारियों द्वारा सुरक्षित और बरकरार रखा गया है।’

१७,५०० से अधिक लोगों द्वारा हस्ताक्षरित ‘संविधान बचाओ नागरिक अभियान’ के एक अन्य पत्र में आरोप लगाया गया कि मोदी ने ‘इस आचार संहिता और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, १९५१ का घोर उल्लंघन किया है। यह ‘सांप्रदायिक भावनाओं’ को भड़काने के साथ-साथ मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं में नफरत को भड़काने और बढ़ाने वाला भी है।

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