मुख्यपृष्ठनए समाचारपहले चरण में भाजपा साफ!... माहौल कह रहा है कि भाजपा के...

पहले चरण में भाजपा साफ!… माहौल कह रहा है कि भाजपा के लिए 80-8 की ओर बढ़ा यूपी

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ

19 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में पहले फेज के तहत 80 में से 8 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी। पीलीभीत, सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद और रामपुर लोकसभा सीट के मतदाता अपने मत का प्रोयग करेंगे। बता दें कि पिछले आम चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इन आठ सीटों में से केवल तीन सीट हासिल हुई थीं। ये 3 सीट पीलीभीत, कैराना और मुजफ्फरनगर थीं। समाजवादी पार्टी ने मुरादाबाद और रामपुर सीटें जीतीं, बहुजन समाज पार्टी को सहारनपुर, बिजनौर और नगीना सीटों पर फतह मिली थी। इस बार प्रथम चरण के चुनाव में भाजपा का खाता खुलने की संभावना बहुत कम है।
पीलीभीत कई दशकों से मेनका गांधी और वरुण गांधी का गढ़ रहा है। 2019 में वरुण गांधी ने यहां रिकॉर्ड 7.04 लाख वोटों के साथ जीत हासिल किया। समाजवादी पार्टी के हेमराज वर्मा 4.48 लाख से अधिक वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। 2014 में मेनका गांधी ने 5.46 लाख से अधिक वोटों के साथ पीलीभीत सीट जीती और समाजवादी पार्टी के बुद्धसेन वर्मा को हराकर 52.1 प्रतिशत वोट प्राप्त किया था। पांच वर्ष जनता के बीच रह कर जनहित के मुद्दों को उठाने वाले वरुण गांधी का भाजपा ने टिकट काट दिया, जिसकी बहुत बड़ी नाराजगी है। वरुण गांधी पूरे चुनाव घर मे बैठ गए। भाजपा को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
सहारनपुर विविध प्रकार की राजनीतिक घटनाओं का गवाह रहा है, जिसमें शुरुआती प्रभुत्व कांग्रेस का रहा, उसके बाद जनता दल और अन्य पार्टियों का रहा। 2019 में यह सीट भाजपा के पास से बसपा के पास चली थी। 2019 में बसपा के हाजी फजलुर रहमान ने 5.14 लाख से अधिक वोटों और 41.7 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सीट जीते। उनके बाद बीजेपी के राघव लखनपाल रहे, जिन्हें 4.91 लाख वोट मिले। 2014 में, भाजपा के राघव लखनपाल ने 4.72 लाख से अधिक वोटों और 39.6 प्रतिशत वोट शेयर से सीट जीती थी।
2018 के उपचुनाव में मिले झटके को छोड़कर, 2014 से कैराना भाजपा का गढ़ रहा है। 2014 में भाजपा के हुकुम सिंह ने 5.65 लाख से अधिक वोटों और 50.6 प्रतिशत वोट शेयर से यह सीट जीती थी। हुकुम सिंह के निधन के बाद 2018 में हुए उपचुनाव में आरएलडी की तबस्सुम हसन ने सिंह की बेटी मृगांका सिंह के खिलाफ जीत हासिल की थी। 2019 के चुनावों में सीट वापस भाजपा ने जीत ली। 2019 में, भाजपा के प्रदीप कुमार ने 5.66 लाख से अधिक वोटों और 50.4 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सीट जीती थी, लेकिन मोदी सरकार की किसान विरोधी चरित्र के कारण भाजपा की हार लगभग सुनिश्चित है।
16 लाख मतदाताओं वाला मुजफ्फरनगर 2014 से भाजपा का गढ़ रहा है। 2019 के आम चुनावों में, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान दिवंगत आरएलडी प्रमुख अजीत सिंह के साथ करीबी मुकाबले में विजयी हुए। जहां बालियान को 5.73 लाख से अधिक वोट और 49.5 प्रतिशत वोट शेयर मिले, वहीं सिंह को 5.67 लाख से अधिक वोट और लगभग 49 प्रतिशत वोट शेयर मिले। 2014 में बालियान ने बसपा के कादिर राणा को 4.3 लाख से अधिक वोटों के भारी अंतर से हराया था। बालियान को 6.53 लाख से अधिक वोट और 59 प्रतिशत वोट शेयर हासिल हुए थे। इस बार भाजपा के फायरब्रांड नेता संगीत सोम की बगावत के कारण भाजपा बुरी तरह हारती दिख रही है।
समाजवादी पार्टी और उसके कद्दावर नेता आजम खान के पूर्व गढ़ रामपुर में पिछले एक दशक में सपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला रहा। 2014 में भाजपा के डॉ. नेपाल सिंह 3.58 लाख से अधिक वोटों और 37.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ विजयी हुए, फिर 2019 में आजम खान ने 5.59 लाख से अधिक वोटों और 52.7 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सीट जीती। 2019 के घृणास्पद भाषण मामले में तीन साल की कैद की सजा के कारण खान को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद 2022 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने सीट वापस जीत ली। यह सीट भाजपा की राज्य सरकार की खुली दबंगई के कारण सपा हारी थी।
पीतल नगरी के नाम से मशहूर मुरादाबाद निर्वाचन क्षेत्र पिछले दशक में समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (बसपा) के बीच झूलता रहा है। 2019 में समाजवादी पार्टी के डॉ. एसटी हसन ने 6.49 लाख से अधिक वोट हासिल किए और 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर हासिल किया। 2014 में भाजपा के कुंवर सर्वेश कुमार ने 4.85 लाख से अधिक वोटों और 43 प्रतिशत वोट शेयर से सीट जीती थी। इस बार फिर कांटे की लड़ाई में मुस्लिम वोट निर्णायक होगा। यह वोट एक मुश्त भाजपा के विरुद्ध पोल होने की प्रबल संभावना है।
बिजनौर निर्वाचन क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें शामिल हैं। पिछले दशक में भाजपा से बसपा में बदलाव देखा गया है। 2019 में बसपा के मलूक नागर ने 5.56 लाख से अधिक वोटों और 51 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सीट जीती।2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के कुंवर भारतेंद्र ने 4.86 लाख से ज्यादा वोट और 45.9 फीसदी वोट शेयर हासिल कर यह सीट हासिल की थी। इस बार यह सीट रालोद को गयी है। ठाकुरों के बगावत के चलते सीट फंस गयी है।
नगीना सीट पर 2019 में बसपा के गिरीश चंद्र ने 5.68 लाख से ज्यादा वोट हासिल कर बीजेपी के यशवंत सिंह को हराया था। सिंह दूसरे स्थान पर रहे, क्योंकि उन्हें 4 लाख से अधिक वोट मिले। 2014 के आम चुनावों में, भाजपा के यशवंत सिंह ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से 3.67 लाख से अधिक वोटों और 39 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी।

इन उम्मीदवारों के भाग्य का कल जनता करेगी फैसला
पीलीभीत में जितिन प्रसाद (भाजपा) भगवंत सरन गंगवार (सपा), अनीस अहमद खान (बसपा)
सहारनपुर में राघव लखनपाल (भाजपा), माजिद अली (बसपा), इमरान मसूद (कांग्रेस)
कैराना में प्रदीप कुमार (भाजपा), श्रीपाल सिंह (सपा),  इकरा हसन (सपा)
मुजफ्फरनगर में संजीव बालियान (भाजपा), हरिन्द्र मलिक (सपा), दारा सिंह प्रजापति (बसपा)
रामपुर में घनश्याम लोधी (भाजपा), जीशान खान (बीएसपी), सपा से मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी
मुरादाबाद में सर्वेश सिंह (भाजपा), मो. इरफान सैफी (बसपा), रुचिबीरा (सपा)
बिजनौर में चंदन चौहान (आरएलडी), विजेंद्र सिंह (बसपा), यशवीर सिंह (सपा)
नगीना में ओम कुमार (भाजपा), सुरेंद्र पाल सिंह (बसपा), मनोज कुमार (सपा)

अन्य समाचार