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होली की मिठाइयां खाना संभल-संभलकर! …घातक कृत्रिम रंगों पर कौन करेगा कार्रवाई?

एफडीए ने पल्ला झाड़ा
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
होली के मौके पर बाजारों में मावे से बनी मिठाइयां, कचरी समेत अन्य कई खाद्य पदार्थों की भरमार रहती है। सुदंर दिखने के लिए इन खाद्य पदार्थो में रोडामाइन जैसे खतरनाक रसायन का प्रयोग होता है। कॉटन वैंâडी और गोभी मंचूरियन ही नहीं, बल्कि इस रसायन के चलते होली के त्योहार पर घरों में प्रयोग कर बनानेवाले चिप्स, कचरी जैसे खाद्य पादार्थों के साथ ही स्ट्रीट फूड, शरबत आदि रंगीन तो दिखाई देते हैं, लेकिन इनमें मिला रंग केमिकल बहुत अधिक खतरनाक होते हैं। इसके साथ ही रंगों में भी घातक केमिकल होते हैं। यह सेहत के लिए काफी ज्यादा नुकसानदायक होता है। चिकित्सकों ने भी बताया है कि इसके प्रयोग के चलते बड़े-बुजुर्गों से लेकर बच्चों और महिलाओं में भी वैंâसर जैसी गंभीर बीमारी हो रही है। इसके साथ ही स्किन डिजीज, लीवर से जुड़ी हुई समस्या और किडनी फेलियर जैसी दिक्कतें भी सामने आ रही हैं। ऐसे में सावधानी बरतें अन्यथा खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं।
होली के त्योहार को लेकर जहां घरों में तैयारियां शुरू हो गई हैं तो वहीं इस त्योहार पर भारी मुनाफा कमाने के चक्कर में मिलावट का कारोबार भी सजने लगा है। खाद्य पदार्थ में मिलावट सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक है।
चिप्स, पापड़, तेल, घी, बेसन, सूजी, गुझिया में मिलावट के साथ पनीर जैसे खाद्य पदार्थ में पाउडर और खोवा में उबला शकरकंद व एसेंस डाला जाता है। आलम ये है कि मिलावट इतनी सटीकता के साथ की जाती है कि आम आदमी इसे पहचान ही नहीं सकता है और वैज्ञानिक पद्धति से वह इसकी जांच कर नहीं सकता है। इसके साथ ही बाजारों में मिलने खाद्य पदार्थों रोडामाइन डी और सेकरीन समेत रंगों में खतरनाक केमिकल मिले हुए होते हैं। चिकित्सकों की मानें तो मिलावट और केमिकल युक्त पदार्थों का लगा ये बाजार न केवल इस रंगों के त्योहार को बदरंग करेगा, बल्कि लोगों की किडनी और लीवर से लेकर आंखों की तक को खतरे में डाल देगा। साथ ही कैंसर को भी न्योता दे सकता है। इसके अलावा गैस, कब्ज, एसिडिटी जैसी बीमारियां इन मिलावटी सामानों को खाने के बाद बोनस के रूप में मिलेंगी। हालांकि इस बार भी हर बार की तरह फूड विभाग मिलावट पर नकेल कसने का दावा कर रहा है।
मॉनिटरिंग जरूरी
मेंटल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक व एमडी मेडिसिन डॉ. नेताजी मुलिक ने कहा कि मिठाइयों आदि में केमिकल युक्त हैवी मेटल मिश्रित होता है। इन फूडों में सस्ते एडल्ट्रेशन मिलाते हैं। कुल मिलाकर चमकीला और दिखावेपन के चक्कर में स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। खोवा भी मिलावटी होता है, जिस पर मॉनिटरिंग जरूरी है। इन केमिकल युक्त मिलावटों के कारण नेप्रâोपैथी इंजरी हो सकता है। कुछ केमिकल हार्ट और लीवर को प्रभावित हो सकता है। कई मामलों में ये केमिकल किडनी और लीवर को हमेशा के लिए डैमेज कर सकता है। ऐसे में इस तरह के खाद्य पदार्थों के सेवन से बचने की कोशिश करें।
कैंसर को बढ़ावएगा आर्टिफिशियल मिश्रण
ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. शिवम शिंगला ने कहा कि कॉटन कैंडी और गोभी मंचूरियन समेत स्ट्रीट फूड में केमिकल खतरनाक होते हैं। इसके साथ ही रसगुल्ले साफ करने के लिए शैंपू का इस्तेमाल होता है। यह भी सेहत के लिए घातक है। फिलहाल शरीर के लिए हर तरह का केमिकल हानिकारक होता है। उसके शरीर में जाने से एक ऑक्सीडेंट बस्ट फीड एडिकल इंजरी होने का रिस्क रहता है, क्योंकि इस तरह के केमिकल शरीर में मौजूद नॉर्मल टिशु को घायल करते हैं। ऐसे में टिशू इंजरी को रिकवर करते समय कैंसर की तरफ चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि मिठाइयों में कलर, स्ट्रीट फूड या च्यवनप्राश के भीतर जो भी हम आर्टिफिशियल मिश्रण कर रहे हैं, ये कहीं न कहीं कैंसर को बढ़ाएगा।
आंखों की जा सकती है रोशनी
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. हर्षवर्धन घोरपडे ने कहा कि केमिकल युक्त रंगों से आंखों में इंफेक्शन और एलर्जी हो सकती है। बाहर की काली पुतली डैमेज हो सकती है। आंखों के परदे डैमेज होने से अल्सर हो सकता है। केमिकल के आंखों में जाने से परदे में सूजन आने से रोशनी भी कम हो सकती है। कॉर्निया का रंग सफेद हो जाने पर दिखना बंद हो जाएगा।

स्किन में कर सकते हैं घाव
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. कमलाकर जावले ने कहा कि इस समय बाजारों में कई तरह के घातक केमिकल युक्त रंग मिलने लगे हैं। ये कलर स्किन के लिए बहुत घातक हो सकते हैं। स्किन का डर्माटाइटिस हो सकता है। रंगों में मिश्रित कांच के छोटे टुकड़ों से स्किन में घाव हो सकते हैं। बर्निंग इचिंग होने का डर रहता है। इसके साथ ही पर्मानेंट कलर इस्तेमाल करने से उसे निकालना भारी पडेगा। ऐसे में रंग खेलते समय नारियल का तेल लगाकर निकलें।

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