भाजपा और कांग्रेस को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है। आयोग ने नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के नाम नोटिस जारी किया। यह आचार संहिता के उल्लंघन का मामला है। भले ही यह लड़ाई में एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत यानी ‘क्रॉस कंप्लेंट’ का एक रूप है, फिर भी प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ जारी नोटिस एक तरह से आंखों में धूल झोंकना है। इसे धूल झोंकना इसलिए कहा गया क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मुस्लिम समुदाय’ के बारे में बेहद गलत बयान दिया। मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र का जिक्र करते हुए बांग दी कि यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो हिंदुओं की संपत्ति उन लोगों को बांट देगी जिनके ज्यादा बच्चे हैं। यानी हिंदुओं का धन मुसलमानों में बांटा जाएगा। आपका मंगलसूत्र भी खींच लिया जाएगा। ऐसा बयान देकर मोदी प्रचार में हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा ले आए। मोदी को मुसलमानों को प्रचार में खींचना पड़ा, इसका मतलब है कि चुनाव उनके लिए भारी पड़ रहा है। पहले और दूसरे चरण में मतदाताओं ने भाजपा से मुंह मोड़ लिया है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से इसलिए शिकायत की क्योंकि मोदी ने उस मुद्दे को लेकर लफ्फाजी की, जो कांग्रेस के घोषणापत्र में नहीं है। उस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने मोदी को नोटिस न जारी करते हुए भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को नोटिस जारी किया। चुनाव आयोग का यह तरीका सही नहीं है। एक तो चुनाव की घोषणा होते ही मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहे। वह एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री हैं इसलिए उनके पास कोई विशेष अधिकार, प्रोटोकॉल नहीं है। फिर भी वे तमाम सरकारी बेड़ों और विमानों को साथ लिए प्रचार के लिए घूम रहे हैं। यह आचार संहिता के किस नियम में फिट बैठता है? प्रधानमंत्री पद पर आसीन व्यक्ति जातिगत एवं धार्मिक द्वेष पैâलाने वाले भाषणों के जरिए अगर वोट मांगता हो तो चुनाव आयोग को उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करनी ही चाहिए। प्रधानमंत्री सार्वजनिक सभाओं में महिलाओं के मंगलसूत्र खींचने की बात कहकर आग भड़का रहे हैं। हिंदू संस्कृति में मंगलसूत्र को पवित्र माना जाता है। उस मंगलसूत्र को राजनीति में खींचने का काम नरेंद्र मोदी ने किया। यह हिंदुत्व और हिंदू संस्कृति को स्वीकार्य नहीं है। मोदी को हिंदू महिलाओं के गले के मंगलसूत्र का इस तरह अपमान करने का अधिकार किसने दिया? कहा जाता है कि मोदी ने अपने घर में मंगलसूत्र की प्रतिष्ठा नहीं रखी। मोदी के कार्यकाल में ही मंगलसूत्र का अस्तित्व सबसे ज्यादा संकट में था। नोटबंदी के दौरान कई हिंदू महिलाओं को घर चलाने के लिए मंगलसूत्र बेचने पड़े। लॉकडाउन के दौरान भी महिलाओं को मंगलसूत्र साहूकारों के पास गिरवी रखना पड़ा। बेरोजगारी की जद्दोजहद में कई माताओं, बहनों, पत्नियों को मंगलसूत्र का सौदा करना पड़ा। महंगाई की मार झेल रहीं मजबूर कई महिलाओं के मंगलसूत्र हर दिन सड़कों पर बिक रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई के लिए मंगलसूत्र खत्म हो रहे हैं। माता-पिता और बच्चों के इलाज में रोजाना हजारों मंगलसूत्र खर्च हो रहे हैं। जब मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र किया गया और उनके मंगलसूत्र खींचे गए तो मोदी क्या कर रहे थे? मोदी के कार्यकाल में पुलवामा और कश्मीर में हुए कई आतंकी हमलों में अनगिनत जवानों की वीर पत्नियों ने अपने मंगलसूत्र कुर्बान कर दिए, मोदी को इस बात की खबर नहीं होगी? कश्मीरी पंडित घर नहीं लौटे हैं और उनकी कई महिलाओं ने मोदी युग के दौरान ही अपने मंगलसूत्र खो दिए हैं। देश के लिए मंगलसूत्र का त्याग करने की एक महान परंपरा है, ऐसे मंगलसूत्रों का राजनीतिक कारण के लिए उपयोग करनेवाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए। देश के सूत्र आज उन लोगों के हाथ में हैं, जिन्होंने देश के लिए संघर्ष और बलिदान नहीं किया। महाराष्ट्र में भाजपा ने कुछ ‘मंगलसूत्र चोर’ गैंग के लीडरों को प्रतिष्ठित कर विधायक आदि बना दिया है। इस गैंग द्वारा कोल्हापुर की कई हिंदू महिलाओं के मंगलसूत्र दिनदहाड़े उड़ा दिए जाने की रिपोर्ट है। पिछले पांच साल में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मंगलसूत्रों की चोरी हुई है और वहां ‘योगीराज’ चल रहा है। ‘कांग्रेस की मानसिकता अर्बन नक्सलियों की है माताओं और बहनों, वे आपके मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ेंगे,’ ऐसा मोदी ने कहा, क्योंकि उनका मकसद केवल चुनाव से पहले शांति भंग करना है। मतदाताओं को गुमराह कर वोट मांगने की नौबत नरेंद्र मोदी और उनके लोगों पर आ गई है, यही उनकी पराजित मानसिकता का परिचायक है। मोदी आज प्रधानमंत्री नहीं बनते अगर आजादी से पहले कई क्रांतिकारियों की पत्नियों ने अपने मंगलसूत्रों का त्याग न किया होता और इनमें से ज्यादातर क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी कांग्रेस विचारधारा के थे। देश के स्वतंत्रता संग्राम में अनेक महिलाओं ने मंगलसूत्र दान किए हैं और उस महायज्ञ में मोदीकृत भाजपा की तरफ से किसी तरह की समिधा नहीं डाली गई। मोदी और उनके लोग सत्ता में तानाशाह हैं। इसलिए उन्होंने पवित्र मंगलसूत्र को मुद्दा बनाने की कोशिश की। क्रांतिकारियों के त्याग और बलिदान का मंगलसूत्र भी भारत माता के गले में है। उस मंगलसूत्र में एक भी मोती मोदीमय भाजपा का नहीं है। मोदी ने अपने स्वार्थ के लिए पवित्र मंगलसूत्र पर कीचड़ उछालकर हिंदू संस्कृति और हिंदू धर्म का अपमान किया है। उनके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए, लेकिन चुनाव आयोग का न्याय ही उल्टा है। मंगलसूत्र को छेड़ा मोदी ने और कार्रवाई का डंडा चला नड्डा पर, ये संकेत है कि भाजपा का ‘नाड़ा’ खुल चुका है।