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संपादकीय : भवानी माता की लड़ाई!

देश का चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं रहा है और मौजूदा शासकों के गलीचे उठाकर रखने में ही खुद को धन्य मानता है। उन्होंने शिवसेना के प्रचार गीत में दो शब्दों ‘जय भवानी’ और ‘हिंदू’ पर आपत्ति जताते हुए प्रचार गीत से ‘जय भवानी’ शब्द हटाने का फरमान जारी किया है। एक तरफ डरी हुई भाजपा हार के डर से सभी देवी-देवताओं को प्रचार में उतार रही है। नरेंद्र मोदी खुद ‘राम-राम’ करते हुए घूम-घूम कर प्रचार कर रहे हैं। अमित शाह मतदाताओं को रामलला के मुफ्त दर्शन का लालच दिखा रहे हैं। प. बंगाल जैसे राज्य में भाजपा नेता सीधे-सीधे हिंदुत्व का प्रचार कर रहे हैं, तो ऐसे में भाजपा पुरस्कृत चुनाव आयोग को शिवसेना के मशाल गीत में ‘जय भवानी’ और ‘हिंदुत्व’ शब्दों से समस्या होने लगे तो इसे क्या कहें? भवानी माता महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी हैं और महाराष्ट्र भवानी से आशीर्वाद मांगे बिना कोई निर्णय नहीं लेता। छत्रपति शिवाजी महाराज की तलवार को भवानी तलवार कहा जाता है। इतिहास की कथा में स्पष्ट है कि छत्रपति शिवाजी महाराज को यह तलवार तुलजापुर की भवानी माता ने दी थी। दूसरे, महाराष्ट्र में तुलजाभवानी का स्थान महाराष्ट्र की देवी के साढ़े तीन पीठों में से आदिशक्ति का मूल स्थान है। भवानी माते से बैर करना कब्रिस्तान में अपनी ही कब्र खोदने के समान है। मोदी के चुनाव आयोग ने भवानी माता से राजनीतिक पंगा ले लिया और भवानी माता पर प्रतिबंध लगा दिया। इसका खामियाजा मोदी-शाह को भुगतना ही पड़ेगा। सतयुग के दौरान कुंकर नामक राक्षस ऋषि कर्दम की पत्नी अनुभूति पर मोहित हो गया था। जैसे ही उसने उनका सतीत्व भंग करने का प्रयास किया, देवी पार्वती दौड़कर आ गर्इं। उन्होंने राक्षस का नाश कर दिया। त्वरित दौड़कर आने के कारण उन्हें ‘त्वरिता’ या मराठी में ‘तुलजा’ के नाम से जाना जाता है। इन मां तुलजाभवानी का महत्व हिंदू संस्कृति और धर्म में बड़ा है। ऐसा माना जाता है कि देवी ने स्वराज्य की स्थापना के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज को भवानी तलवार दी थी। महाराजा ने प्रतापगड में कुलस्वामिनी तुलजाभवानी की भी प्रतिष्ठापना की। महाराष्ट्र के चार देवता हैं। इसमें महालक्ष्मी, खंडोबा, भवानी और विठोबा हैं। महाराष्ट्र में हर दिन ऐसी भवानी माता का जागर होता है, लेकिन भाजपा पुरस्कृत चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी को ‘अटकाने’ का पाप किया। चुनाव आयोग द्वारा शिंदे गुट को शिवसेना का पारंपरिक चुनाव चिह्न धनुष-बाण दिया गया और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को मशाल चुनाव चिह्न मिला। उस मशाल के प्रचार के लिए एक गीत रचा व संगीतबद्ध किया गया जो इस तरह है-
‘शंघनाद होऊ दे, रणदुंदुभी वाजू दे
नादघोष गर्जू दे विशाल, दुष्ट शक्ती जाळण्या
मार्ग स्पष्ट दावण्या, पेटू दे शिवसेनेची मशाल
हिंदू हा तुझा धर्म, जाणून घे हेच मर्म
जीवन तू त्यास कर बहाल, दुष्ट शक्ती जाळण्या
मार्ग स्पष्ट दावण्या, शिवसेनेची पेटली मशाल
एक स्वप्न, एक चित्र, शिवसेनेची मशाल
जय भवानी, जय भवानी।’
इस ‘मशाल गीत’ की वजह से भाजपा और उसके चाटुकारों की बोलती बंद हो गई, लेकिन उन्होंने चुनाव आयोग को आगे रखकर ‘जय भवानी’ और ‘हिंदू हा तुझा धर्म’ (हिंदू यह तुम्हारा धर्म है) की पंक्तियों पर आपत्ति जताई। भाजपा के चुनाव आयोग का कहना है कि इससे धार्मिक प्रचार होता है। सच तो यह है कि इस गाने में सिर्फ भवानी माता का उद्घोष किया गया है। शिवसेना को वोट दो, ऐसा नहीं कहा गया है। तो आचार संहिता बीच में आई कहां से? अमित शाह रामलला के मंदिर पर वोट मांगते हैं। भाजपा के घोषणापत्र में राम मंदिर का जिक्र बार-बार होता है। भाजपा नेताओं द्वारा सार्वजनिक सभाओं में कहा जाता है कि भाजपा को वोट दीजिए, मुफ्त में रामलला के दर्शन कराएंगे। चुनाव आयोग को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। अब चुनाव आयोग भी ‘हिंदू’ शब्द पर आपत्ति जता रहा है, लेकिन जब प्रधानमंत्री मोदी बार-बार ‘हिंदू हिंदू’ कहते हुए शरीर में भस्म व राख लगाकर प्रचार करते हैं तो क्या यह चुनाव आयोग को नहीं दिखाई देता? शिवसेना की ‘मशाल गीत’ से भवानी माता का नाम हटाना छत्रपति शिवराया और महाराष्ट्र धर्म का अपमान है। इसलिए उद्धव ठाकरे ने यह रुख अपनाया कि भवानी माता और उनका उल्लेख ‘मशाल गीत’ से नहीं हटाया जाएगा। कल ये लोग ‘शिवाजी’ शब्द पर आपत्ति जताएंगे। सवाल केवल हिंदुत्व का नहीं बल्कि महाराष्ट्र धर्म और महाराष्ट्र की अस्मिता का है। मोदी ने कर्नाटक चुनाव में ‘बजरंगबली’ का नारा दिया और कहा कि बजरंगबली के नाम पर भाजपा का बटन दबाएं। श्रीराम, बजरंगबली के नाम पर वोट मांगना अपराध है, लेकिन भाजपा पुरस्कृत चुनाव आयोग ने इस अपराध को उदरस्थ कर शिवसेना के प्रचार गीत के ‘हिंदुत्व’ और ‘भवानी माते’ पर आपत्ति जताई। ये भाजपा के फर्जी हिंदुत्व की हार है। ‘हिंदू आपका धर्म है’ कहने में क्या गलत है? भाजपा को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। भवानी माता देशभक्ति का प्रतीक हैं। भवानी माता छत्रपति शिवराया के हिंदू स्वराज्य की प्रेरणा हैं। देश के शत्रुओं का नाश करने के लिए भवानी माता ने शिवराया को तलवार दी थी। भाजपा इस तलवार का सामना नहीं कर पाएगी। इसलिए भवानी माता पर प्रतिबंध लगाने के नीच षड्यंत्र को विफल किया जाना चाहिए!

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