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संपादकीय : मोदी की हवा ही नहीं है …फिर भी ‘सर्वे’ की हवा क्यों?

अमरावती की अस्त हो रहीं सांसद नवनीतबाई राणा का व्यवहार और बातें सब झूठे होते हैं। उनके आंसू, उनकी हंसी, उनका बोलना, उनका जाति प्रमाणपत्र और उनका हिंदुत्व प्रेम आदि सब कुछ नकली और झूठे हैं; लेकिन अमरावती की ताई-बाई ने अपने कार्यकर्ताओं से एक ज्वलंत सच कहा है, ‘इस भ्रम में मत रहिए कि मोदी की हवा है। मोदी की हवा-लहर कुछ भी नहीं है, अब हमें ही लड़ना है और जीतना है।’ इतना खौलता सच बताने के लिए अमरावती की ताई-बाई की सराहना की जानी चाहिए। मोदी की हवा २०१४-२०१९ में भी नहीं थी। जैसे ही कृत्रिम वर्षा की जाती है, उसी तरह ‘हवा हवा’ का माहौल तैयार किया जाता है। लोगों को गुमराह करके और मूर्ख बनाकर चुनाव लड़ना ‘हवा’ की निशानी नहीं है। मोदी की जीत असत्य और अधर्म की हवा पर प्राप्त हुई होती है। मोदी और उनके लोगों ने इस बार ‘चार सौ पार’ का माहौल बनाया। वास्तव में उन्हें ‘आठ सौ पार’ आदि का ढोल पीटना चाहिए। नई संसद में उनके सांसदों के लिए सीटों की कमी हुई तो वे चार सौ से अधिक निर्वाचित सांसदों को इंडिया गेट पर बिठाएंगे इस तरह की घोषणा करने में कोई हर्ज नहीं था। हवा इसी तरह तैयार की जाती है। महाराष्ट्र में फडणवीस आदि उनके लोग बेहिचक कहते हैं हम राज्य में पैंतालीस से ज्यादा जीतेंगे। इस पर श्री उद्धव ठाकरे ने अपनी खास शैली में कहा, ‘पूरे देश में ४५ सीटें जीतेंगे शायद वह ऐसा कहना चाहते हों।’ भाजपाई जो मुंह में आए वही आंकड़ा कहते हैं और लोग उन आंकड़ों का मजा ले रहे हैं। सर्वे के जरिए ये लोग हवाबाजी कर रहे हैं। गोदी मीडिया के नाम से कुख्यात कंपनियां ‘पोल’ कंपनियों के साथ हाथ मिलाकर जो मोदी को स्वीकार्य होंगे सर्वे से ऐसे आंकड़े सामने ला रही हैं। यह लोगों को गुमराह करने का तरीका है। मुंबई में शिवसेना को एक भी सीट नहीं मिलेगी। तो क्या मुंबई की सीटें निर्विरोध भाजपा और उसके बेईमान गुट को मिलेंगी? भाजपा और उनके लोगों के उम्मीदवार अभी तक तय नहीं हो रहे हैं। शिंदे-अजीत पवार गुट के उम्मीदवार भाजपा ने ही काट दिए। जिसके चलते लोगों में उनकी नाक कट गई। यह आश्चर्य की बात कही जानी चाहिए कि ये सर्वे करने वाले भाजपा और उसके गुटों को सीधे ऐसी सीटें देते हैं, जहां कोई उम्मीदवार ही तय नहीं हैं या कोई उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं। महाराष्ट्र ही नहीं पूरे देश में भाजपा के पैरों तले जमीन खिसक गई है। इस बार उन्हें ईवीएम भी नहीं बचा पाएगी। इसलिए ‘एक अकेला सब पर भारी’ यह लफ्फाजी ही साबित होगी। कल रामनवमी मनाई गई। भाजपाइयों ने जगह-जगह पर राम के नाम पर मतदाताओं को सोंठ और सूखे नारियल का प्रसाद बांटा, अयोध्या की प्रतिकृति तैयार की फिर भी भाजपा की हवा नहीं चली। राम के स्वागत के लिए फूल, रंगोली और किसानों के मार्ग में कीलें ठोंकने वाली मोदी सरकार के खिलाफ जनता खड़ी है। मोदी भक्तों ने यह माहौल बनाने की कोशिश की कि राम का मंदिर केवल उनकी वजह से खड़ा है। मोदी ही थे जो दंडकारण्य गए और वनवासी राम की उंगली पकड़कर अयोध्या ले आए, इस तरह के प्रचार के बावजूद मोदी की लहर तो क्या, हवा भी नहीं तैयार हो पाई। प्रभु श्रीराम ने अपने जीवनचरित्र में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है जिसे भाजपाई भूल गए। संदेश यह है कि झूठ पर बनी इमारत कभी न कभी ढहती जरूर है और सच चाहे कितनी भी गहराई में दबा हो, कभी न कभी बाहर आ ही जाता है। लेकिन इसके लिए लड़ना पड़ता है। त्याग करना पड़ता है। यदि राम को वनवास नहीं हुआ होता तो रामायण नहीं बनती। राम ने रावण को हराया। राम-रावण का युद्ध सत्य और धर्म की रक्षा के लिए हुआ था। राम एकवचनी थे। अपना वचन निभाने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम थे। रावण ने सीता का हरण किया मतलब हिंदू अस्मिता का ही हरण किया। आज के रावण ने देश की अस्मिता, स्वाभिमान, लोकतंत्ररूपी सीता का हरण किया। ऐसे रावण संस्कृति की हवा हमारे देश में वैâसे तैयार होगी? बजरंग ने रावण की लंका जलाई थी और आज जनतारूपी बजरंग तानाशाही की लंका जलाने को तैयार है। रावण का अहंकार ही उसकी हार का कारण बना। इस प्रकार राम ने उनका चौदह चौकड़ियों का राज खत्म कर दिया। आज पूरे देश में माहौल और हवा सत्तावाद और पाखंड के खिलाफ है। कम से कम रावण तो विद्वान था। आज के रावण मूर्ख हैं। इसीलिए नवनीत राणा द्वारा अनजाने में कहा गया सच महत्वपूर्ण हो जाता है। मोदी की कोई हवा नहीं है। सोशल मीडिया पर मोदी विरोधी संदेशों की बाढ़ जारी है और इस बाढ़ से मोदी के भगतगण सदमे में हैं। हिंदू-मुसलमान, भारत-पाकिस्तान, राम मंदिर, इसके आगे भगतगणों की कोई सोच नहीं है। जो भी सोशल मीडिया पर मोदी का पक्ष लेता है, उसे लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक ​​कि ग्रामीण क्षेत्रों में अर्ध-शिक्षित लोग भी मोदी के झूठ और चुनावी बॉन्ड के बारे में बात कर रहे हैं। बढ़ती महंगाई के कारण महिला वर्ग परेशान है। भाजपा का जनाधार रेत का किला था। वह ढह गया है। ‘वॉर रुकवा दी पापा’ मोदी के इस विज्ञापन का मजाक उड़ाया जा रहा है। लोग मोदी और उनके लोगों पर हंस रहे हैं। पिछले १० वर्षों से गुमराह करने वाले देश की जनता को तीसरी बार गुमराह करने में असफल हो रहे हैं। यह चुनाव मोदी और उनके लोगों के हाथ में नहीं रह गया है, बल्कि जनता ने इसे अपने कब्जे में ले लिया है। इसलिए ‘चार सौ पार’ का जुमला यानी पागलपन ही है। गुजरात, राजस्थान आदि इलाकों में पूरा राजपूत समुदाय मोदी के खिलाफ खड़ा हो गया है, लेकिन राजपूतों के मोदी विरोधी उग्र आंदोलन को एक भी मीडिया नहीं दिखा रहा है। यह हास्यास्पद है कि वही मीडिया फर्जी सर्वे करके कहता है कि मोदी जीत रहे हैं। अब कोई मोदी हवा नहीं है और कृत्रिम हवा नहीं बनेगी। बावजूद इसके ‘सर्वे’ की हवा क्यों बनाई जा रही है? भाजपा के सारे मुखौटे उतर गए हैं। इसलिए अमरावती की ताई-बाई ने जो कहा वह सच है कि मोदी की कोई हवा नहीं है। जनता भी अब इतना उग्र रूप धारण कर चुकी है कि यदि लोगों ने फूंक भी मारी तो मोदी और उनके लोग उड़ जाएंगे!

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