मुख्यपृष्ठनए समाचारसंपादकीय : उरी, राजौरी और बांदीपोरा... उलट गए शांति के कबूतर!

संपादकीय : उरी, राजौरी और बांदीपोरा… उलट गए शांति के कबूतर!

प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह उठते-बैठते कहते रहते हैं कि संविधान की धारा ३७० हटने से जम्मू-कश्मीर में शांति है। लोकसभा चुनाव प्रचार में भी वे ये डींगें हांक रहे हैं। लेकिन क्या जम्मू-कश्मीर सचमुच आतंकवादमुक्त हो गया है? क्या वहां आतंकवादी हमले बंद हो गए? क्या कश्मीर में शांति है? पिछले दो दिनों में राजौरी और बांदीपोरा में हुई घटनाओं ने इन तीनों सवालों का जवाब ‘नहीं’ ही दिया है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के दावों की पोल खुल गई है। दो दिन पहले राजौरी जिले के कुंडा गांव में आतंकियों ने एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी। उसका नाम मुहम्मद रज्जाक है। वह समाज कल्याण विभाग में कार्यरत थे। मस्जिद में नमाज पढ़ने के बाद वह बाहर निकले और उसी वक्त आतंकियों की फायरिंग में उनकी मौत हो गई। मुहम्मद का भाई ताहिर सौभाग्य से बच गया। ताहिर फौज में जवान है। आतंकी शायद ताहिर को ‘टारगेट’ करना चाहते थे, वे उसका अपहरण भी करना चाहते थे, लेकिन वे ऐसा करने में असफल रहे। दुर्भाग्यवश रज्जाक उनकी गोलीबारी के शिकार हो गए। इस हमले के बाद बांदीपोरा जिले में सेना के जवानों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई। दो जवान गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। १५ दिन पहले बारामूला जिले के उरी में भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास हमारे जवानों की आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी। इसका मतलब है कि सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ जारी है। राजौरी में एक मस्जिद के बाहर आतंकवादी गोलीबारी करते हैं, बांदीपोरा और बारामूला जिलों में आतंकवादियों और सेना के जवानों के बीच झड़पें होती हैं, सुरक्षा बल थन्नामंडी तालुका के डोरिमल जंगल में तीन संदिग्धों के छिपे होने की सूचना पर तलाशी अभियान चलाते हैं। कहीं आतंकवादी हमलों में नागरिक मारे जाते हैं, कहीं जवान शहीद होते हैं और कहीं आतंकवादियों का सफाया किया जाता है। यही आज कश्मीर की हकीकत है। फिर भी हुक्मरान यह खोखला ढोल पीट रहे हैं कि कश्मीर में आतंकवाद कम हो गया है। धारा ३७० हटने से पहले कश्मीर में यही हो रहा था और अब भी वही हमले, वही मुठभेड़ और वही मौतें हो रही हैं। फिर जम्मू-कश्मीर में वास्तव में क्या बदलाव आया है? पिछले हफ्ते गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू में बोलते हुए कहा था ‘कश्मीर में आतंकवाद आखिरी सांस ले रहा है।’ इससे पहले कि उनकी बातें हवा में उड़तीं, बारामूला से लेकर राजौरी तक आतंकी हमलों और मुठभेड़ों की तीन घटनाएं हुर्इं। इसमें एक नागरिक की मौत हो गई। इसे कश्मीर में आतंकवाद की ‘आखिरी सांस’ वैâसे कहा जा सकता है? उरी, राजौरी और बांदीपोरा की हालिया घटनाओं ने कश्मीर में शासकों द्वारा छोड़े गए झूठी शांति के गुब्बारों को फोड़ दिया है। दो दिन पहले राजौरी जिले में आतंकी हमले में मारे गए मोहम्मद रज्जाक के पिता मोहम्मद अकबर की भी १९ साल पहले आतंकियों ने हत्या कर दी थी। आज उनका बेटा आतंकियों का ‘निशाना’ बन गया। तो कश्मीर में क्या बदलाव आया है? आतंकियों की गोली से पहले पिता और १९ साल बाद बेटे की मौत होती है तो धारा ३७० हटने से कश्मीर में शांति है, तो आतंकवाद ‘आखिरी सांस’ ले रहा है, ऐसा हुक्मरान किस मुंह से कह रहे हैं? केंद्रीय गृहमंत्री प. बंगाल में प्रचार के दौरान ‘भाजपा को वोट दो, तृणमूल कांग्रेस के गुंडों को उल्टा लटकाएंगे’ जैसी सार्वजनिक धमकियां दे रहे हैं। प. बंगाल का वहां के वोटर देखेंगे, आपको पहले कश्मीर देखना चाहिए। वहां हुए आतंकवादी हमलों ने आपके शांति के कबूतरों को उलटा-लटका दिया है!

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