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सब कुछ फिक्स है! … विपक्ष की शिकायतों पर चुनाव आयोग की चुप्पी

ईडी, सीबीआई, आईटी के खिलाफ लगातार शिकायतें दर्ज कर रहा है विपक्ष; आयोग ने कर रखी हैं आंखें बंद
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
चुनाव का समय है और केंद्र सरकार विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों ईडी, सीबीआई, आईटी आदि के दुरुपयोग से बाज नहीं आ रही है। इस बात की शिकायत विपक्ष ने चुनाव आयोग से की है। मगर हैरानी की बात है कि चुनाव आयोग ने इस मामले से अपना पल्ला झाड़ते हुए चुप्पी साध ली है। ऐसा लगता है मानो सब कुछ फिक्स है।
बता दें कि इस मामले में चुनाव के पहले महीने में आदर्श आचार संहिता लागू करने पर चुनाव आयोग ने कहा है कि उसने अपने नेतृत्व को निशाना बनाने के लिए सीबीआई, ईडी और एनआईए जैसी केंद्रीय एजेंसियों के कथित ‘दुरुपयोग’ को रोकने के लिए विपक्षी दलों की याचिका पर न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता है। उसने इस मामले में आंखें बंद कर रखी हैं। हालांकि, आयोग राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए समान अवसर और अभियान के अधिकार की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, लेकिन उसने ऐसा कोई भी कदम उठाना सही नहीं पाया है, जो कानूनी न्यायिक प्रक्रिया की अवहेलना करे।’

लोकसभा चुनाव के वक्त मोदी सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। इस बात की शिकायत विपक्ष ने चुनाव आयोग से की थी। पर चुनाव आयोग ने साफ कह दिया है कि वह इस मामले में कानून के आड़े नहीं आएगा और कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव आयोग ने इस मुद्दे की जांच करने के बाद निष्कर्ष निकाला कि उसके पास हस्तक्षेप करने और एजेंसियों को उनके कानूनी आदेश के अनुसार किए गए कार्यों को रोकने के लिए निर्देशित करने के लिए बहुत कम कानूनी गुंजाइश है, जो उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हैं। उसका मानना है कि कोई भी पीड़ित पक्ष कानूनी उपाय तलाशने के लिए अदालत जाने के लिए स्वतंत्र है, जैसा कि कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले जैसे मामलों में पहले से ही किया जा रहा है। चुनाव आयोग ने कहा कि उसने चुनावों के शुरुआत में ही प्रमुख सचिव (गृह) या अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) और मुख्यमंत्रियों के प्रधान सचिव के रूप में दोहरे प्रभार वाले अधिकारियों को हटा दिया था। चुनाव आयोग के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘जिन छह राज्यों में चुनाव आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए तबादलों का आदेश दिया था, उनमें से चार भाजपा शासित हैं।’ पश्चिम बंगाल के डीजीपी सहित अधिकारियों, डीएम और एसपी के रूप में तैनात गैर-कैडर अधिकारियों और उम्मीदवारों के साथ पारिवारिक संबंध साझा करने वाले अधिकारियों को भी स्वत: ही बदल दिया गया। महिलाओं की गरिमा के खिलाफ बयानों पर सख्त रुख अपनाते हुए चुनाव आयोग ने ऐसी टिप्पणियों की निंदा की थी और सुप्रिया श्रीनेत और दिलीप घोष जैसे उल्लंघनकर्ताओं को भविष्य में सावधान रहने को कहा था।

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