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हिंदुस्थान भयंकर बेरोजगारी की चपेट में … पीएचडी वाले मांग रहे हैं चपरासी की नौकरी! …आरबीआई के भूतपूर्व गवर्नर का चौंकाने वाला खुलासा

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
हिंदुस्थान भयंकर बेरोजगारी की चपेट में है। यह इसी से समझा जा सकता है कि हिंदुस्थान में पीएचडी वाले चपरासी की नौकरी मांग रहे हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा किया है आरबीआई के भूतपूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने, जो देश के सबसे सफल अर्थशास्त्री माने जाते हैं।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर का कहना है कि चीन और साउथ एशिया के दूसरे देशों की तुलना में हिंदुस्थान अपने युवाओं की क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। हिंदुस्थान को अपने लोगों के कौशल को सुधारने पर फोकस करना चाहिए। मोदी सरकार की नीतियों के धुर आलोचक माने जाने वाले राजन ने कहा कि हिंदुस्थान में हर सेक्टर में समस्या है और यही वजह है कि कई इनोवेटर्स विदेश जाकर कंपनियां बना रहे हैं। देश में भयंकर बेरोजगारी है। हालत यह है कि पीएचडी वाले भी रेलवे में चपरासी की नौकरी के लिए अप्लाई कर रहे हैं। राजन ने जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कॉन्प्रâेंस में कहा कि हिंदुस्थान को जीडीपी के सही आंकड़े बताने की जरूरत है। उन्होंने कहा, हम डेमोग्राफिक डिविडेंड के बीच में हैं, लेकिन समस्या यह है कि हम इसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। चीन और कोरिया जब इस स्थिति में थे तो उन्होंने इसका कहीं बेहतर तरीके से फायदा उठाया था, लेकिन हम अपने युवाओं को काम नहीं दे पा रहे हैं। सवाल उठता है कि हम वैâसे रोजगार पैदा कर सकते हैं। मेरा मानना है कि हम लोगों की क्षमताओं को बढ़ाकर ऐसा कर सकते हैं। साथ ही रोजगार की प्रकृति भी बदली जा सकती है। हमें दोनों मोर्चों पर काम करने की जरूरत है। हिंदुस्थान से प्रतिभाओं के पलायन के बारे में राजन ने कहा कि आज कई भारतीय इनोवेटर सिंगापुर या सिलिकॉन वैली जाकर कंपनियां बना रहे हैं। इसकी वजह यह है कि उन्हें वहां काम करना आसान लगता है। उन्होंने कहा, हमें यह पूछना चाहिए कि उन्हें भारत के बाहर जाने की जरूरत क्यों पड़ रही है? इनमें से कई लोग दुनिया को बदलना चाहते हैं और हिंदुस्थान में रहकर खुश नहीं हैं। वे वैश्विक स्तर पर अपना विस्तार करना चाहते हैं। मुझे लगता है कि भारत में युवाओं के वर्ग की मानसिकता विराट कोहली जैसी है। यानी हम दुनिया में किसी से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारत में सर्विसेज, मैन्यूपैâक्चरिंग और एग्रीकल्चरल कंस्ट्रक्शन हर क्षेत्र में समस्या है। देश में बेरोजगारी की दर बहुत ज्यादा है। लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन बहुत कम है। महिलाओं की भागीदारी तो बहुत कम है। पढ़े-लिखे लोगों में बेरोजगारी की दर ज्यादा है। सरकारी नौकरियों के लिए बहुत लोग अप्लाई करते हैं। पीएचडी वाले भी रेलवे में चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं। बेरोजगारी की समस्या पिछले १० साल में पैदा नहीं हुई है, बल्कि यह समस्या कई दशक से बढ़ रही है। हमें यह देखने की जरूरत है कि गलती कहां हुई है और इसे वैâसे दुरुस्त किया जा सकता है। हम लंबे समय तक इस समस्या को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।

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