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पंचनामा : रेलवे बेहाल! …१० साल बाद स्थिति सुधरने की बजाय हुई और भी बदतर

४१ करोड़ १० लाख लोगों ने अप्रैल के पहले तीन हफ्तों में की पूरे भारत में ट्रेन से यात्रा
प्राइवेट बसवाले उठा रहे हैं लोगों की मजबूरी का फायदा

अभिषेक कुमार पाठक
गर्मियों की छुट्टियों की शुरुआत के साथ ही उत्तर भारत में शादियों का भी सीजन शुरू हो गया है। हर दिन हजारों यात्री मुंबई से बाहर जा रहे हैं। इसके अलावा १९ अप्रैल को मतदान होने के कारण उत्तर भारत जानेवाले लोगों की संख्या अधिक है। हालांकि, आरक्षित ट्रेन टिकट नहीं मिलने के कारण स्पेशल ट्रेनें भी अपर्याप्त हो रही हैं। इस बाबत यात्रियों का कहना है कि विवाह समारोह के दौरान अनुपस्थिति और मताधिकार से वंचित होने के संकेत दिख रहे हैं। रेलवे प्रशासन से लेकर उत्तर भारत तक नियमित ट्रेनों के साथ-साथ सैकड़ों स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं, लेकिन ये सभी ट्रेनें यात्रियों के लिए नाकाफी साबित हो रही हैं। बता दें कि जो स्थिति टिकट को लेकर १० साल पहले थी, वह अब भी बरकरार है। १० सालों बाद स्थिति और भी बदतर हुई है। एक रेलवे अधिकारी के मुताबिक, इस साल ४१ करोड़ १० लाख लोगों ने अप्रैल के पहले तीन हफ्तों में पूरे भारत में ट्रेन से यात्रा की है, जो इस अवधि में दर्ज की गई अब तक की सबसे अधिक भीड़ है। यह भारी भीड़ शादियों के सीजन की शुरुआत और चल रहे चुनावों से गंभीर रूप से बढ़ गई है। इस अप्रत्याशित भीड़ ने समस्याएं पैदा कर दी हैं जिससे संसाधन कम पड़ गए हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उन वीडियो से भरे पड़े हैं, जिनमें लोग किसी भी तरह से यात्रा करने के लिए मजबूर हैं। आईआर अधिकारियों के अनुसार, पिछले साल इसी अवधि में यात्री ट्रेनों में लगभग ३७ करोड़ यात्रियों ने यात्रा की थी, जबकि २०१९ में यह आंकड़ा ३५ करोड़ का था। बता दें कि गर्मी के १ से २२ अप्रैल तक २२ दिनों में, मध्य रेलवे द्वारा मुंबई से ९०० मेल-एक्सप्रेस के माध्यम से ४० लाख यात्रियों ने यात्रा की है।
तत्काल टिकट के लिए पूरी रात लग रही लाइन
यात्री आरक्षण केंद्र पर कतार में लगने के बाद भी यात्रियों को आरक्षित टिकट नहीं मिल पा रहे हैं। स्पेशल ट्रेनों के लिए यात्री टिकट लेने के लिए परेशान हैं, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पा रहा है। स्पेशल हो या तत्काल, विंडो खुलते ही मिनटभर में टिकट वेटिंग में आ जाता है, इससे हजारों यात्री हताश हो गए हैं। साथ ही जिन ट्रेनों के टिकट यात्रियों के हाथ में हैं, उनमें वेटिंग लिस्ट ३०० से ४०० से ज्यादा है। यात्रियों की मांग के अनुसार, मध्य और पश्चिम रेलवे द्वारा कई स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं, लेकिन स्पेशल ट्रेन का टिकट भी लोगों को मिल नहीं पा रहा है।
हवाई जहाज का किराया
मुंबई से उत्तर भारत की दूरी लगभग १,७००-२,००० किमी है। यात्रा लंबी दूरी की होने की वजह से मुंबई से इन क्षेत्रों के लिए सीधी बस सेवा भी उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा हवाई जहाज का किराया ३ गुना बढ़ा हुआ है। ऐसे में हवाई जहाज का किराया लोगों के बजट के बाहर जा रहा है। बता दें कि आगामी ३-४ दिनों का किराया १५,०००-१७,००० रुपए के करीब है।
प्राइवेट बस वाले कमा रहे हैं चौगुना पैसा
पिछले १ महीने में यात्रियों की बढ़ती मांग ने प्राइवेट बस वालों को कमाने का भरपूर मौका दिया है। मुंबई से प्रयागराज, मिर्जापुर और वाराणसी के लिए ५,००० रुपए प्रति व्यक्ति किराया वसूल रहे हैं। ये बसें कनेक्टिंग बसें हैं, जो कि बोरीवली के नेशनल पार्क से इंदौर जाती हैं, फिर वहां से दूसरी बस इंदौर से मिर्जापुर और वाराणसी की तरफ तक लोगों को छोड़ती हैं।

मुंबई से उत्तर भारत के लिए ट्रेन
स्पेशल ट्रेन                      : १२५
ट्रेन ऑन डिमांड                : ३६०
बिहार के लिए नियमित ट्रेनें    : २३९
यूपी के लिए नियमित ट्रेनें      : ५६७
अन्य रेलवे ट्रेनें                  : ६९

शादी-ब्याह का मौसम शुरू होने से मुंबई से अपने गृहनगर जानेवाले लोगों की संख्या अधिक है। साथ ही ज्यादातर लोग वोट देने के लिए अपने गांव चले गए हैं। हालांकि, ट्रेन की टिकट उपलब्ध नहीं होने के कारण वेटिंग लिस्ट बढ़ गई है।
-सुभाष गुप्ता,
अध्यक्ष- रेल यात्री परिषद
इन दिनों यूपी-बिहार के कई क्षेत्रों में विवाह-शादी और जनेऊ का समय होता है, जिसके लिए बड़ी संख्या में लोग यूपी-बिहार की यात्रा करते हैं। ऐसे में टिकट को लेकर बहुत दिक्कत हो रही है। यात्रियों के पास सुरक्षित यात्रा का विकल्प नहीं बचा है। मेरे बहुत प्रयासों के बाद भी टिकट नहीं मिला। ऐसे में मुझे ट्रेन की बजाए दूसरा विकल्प चुनना पड़ा।
-प्रथमेश झा, यात्री-दरभंगा
४ महीने पहले ही मैंने टिकट बुक किया था। उस वक्त भी वेटिंग टिकट मिला था, जो ४ महीने बाद भी कन्फर्म नहीं हुआ। यह साफ दर्शाता है कि रेलवे की स्थिति में कोई सुधार नहीं है। हमें गांव पहुंचने के लिए दो अलग-अलग जगहों से यात्रा करनी पड़ी और ट्रेन बदलनी पड़ी।
– सुशील कुमार, यात्री-प्रयागराज

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