अपराजित

जीवन है एक लक्ष्य
लक्ष्य को अपने पक्ष में करना है संघर्ष
हाथों की लकीरों को मोड़ना गढ़े पहाड़ खदेड़ना
पर अपने माथे पर कभी शिकन नहीं लाना
नसीब का तो पता नहीं
तत्बीरों पर रखते हैं उम्मीद और कदम बढ़ाते हैं आगे।
बुजुर्गों ने है फरमाया कुछ ऐसा है आजमाया
पीछे का रास्ता है नेक सीखने को चीजें हैं अनेक
जो दिल में मशाल लिए कंधों पर चुनौतियों का बार लिए
चलते हैं जिंदगी की तलाश में
मंजिल उसी की ओर नज़र गड़ाए है खड़ी
मौसम का कोई ठिकाना नहीं
एक रंग है लाता कई रंग है ले जाता
अपनी हिम्मतवार कर अपने को सुधार कर
अपनी जीवनी को अपराजित कर।
-अन्नपूर्णा कौल, नोएडा

अन्य समाचार