मुख्यपृष्ठखबरेंउन्नीस गैंगवार और सोलह हमलों में बच निकला था मुख्तार

उन्नीस गैंगवार और सोलह हमलों में बच निकला था मुख्तार

विक्रम सिंह / सुलतानपुर

यूपी के पूर्वांचल में दहशत और आतंक के पर्याय माफिया मुख्तार अंसारी के दुश्मन हजारों थे। जरायम की दुनिया में अक्सर उसकी टकराहट दूसरे अपराधियों से होती रही। करीब बीस साल (२००५) से सलाखों के पीछे रहने वाला मुख्तार १९ बार ‘गैंगवार’ में घिरा। इनमें १६ बार तो वो मौत को सीधे-सीधे मात देने में सफल रहा।
…बृजेश गैंग से हुई भिड़ंत में दहल उठा था पूर्वांचल
जरायम की दुनिया में बृजेश सिंह को वो अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता रहा। दबदबे को लेकर दोनों गैंग अक्सर आमने-सामने आ जाते थे। पहली बार वाराणसी में ही बृजेश सिंह से मुख्तार गैंग की बड़ी ‘गैंगवार’ हुई, जिसमें मुख्तार को गोली लगी और कई लोग मारे गए। इस गैंगवार ने संपूर्ण पूर्वांचल को उस वक्त दहला दिया था।
पुलिस से सीधे एनकाउंटर और बच निकला!
दो बार यूपी पुलिस ने उसे घेर कर एनकाउंटर करने की कोशिश की, लेकिन वो विफल रही। पहली बार लखनऊ में पुलिस के साथ मुख्तार गैंग का एनकाउंटर हुआ। तैयारी थी उसके ‘एनकाउंटर’ की, लेकिन वो गोलियों की तड़तड़ाहट के मध्य निकल भागा। मऊ में दूसरी बार टकराव हुआ पुलिस के साथ। इस दौरान भी वो शातिराना अंदाज में फरार हो गया और कुछ ही दिन बाद उसने गाजीपुर में गिरफ्तारी दी थी।
एके ४७ रायफल का कृष्णानंद राय की हत्या में इस्तेमाल
गाजीपुर की जेल में बंदी रहने के दौरान ही भाजपा विधायक रहे कृष्णानंद राय की हत्या की साजिश मुख्तार ने रच दी थी। उसी ने मुन्ना बजरंगी को इसका जिम्मा सौंप वारदात को अंजाम देने के लिए उसे अत्याधुनिक एके ४७ रायफल की व्यवस्था कराई थी। माना जाता है कि पहली बार एके ४७ जैसे आधुनिक हथियार का इस्तेमाल जयराम में राय की हत्या के लिए किया गया था। इस वारदात के लिए मुख्तार को सीधे तौर पर जिम्मेदार माना गया, लेकिन जेल में होने का उसे लाभ मिला और इस मामले में वह बरी हो गया।

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