मुख्यपृष्ठनए समाचार  संपादकीय : ‘ईडी’ रकम का चूरन!

  संपादकीय : ‘ईडी’ रकम का चूरन!

भर-भर के आश्वासन देने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाथ कोई नहीं पकड़ सकता। पिछले १० वर्षों से देश की जनता को इसका बेहतर अनुभव रहा है। अब प्रधानमंत्री ने एक और झूठे आश्वासन का रंगीन गुब्बारा पश्चिम बंगाल के आकाश में छोड़ा है। पश्चिम बंगाल में गरीबों का लूटा गया पैसा ‘ईडी’ ने जप्त किया है। उसे अब राज्य के गरीबों में बांटेंगे, ऐसा गाजर मोदी ने यहां की जनता को दिखाया है। पश्चिम बंगाल के कृष्ण नगर लोकसभा मतदान क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा के खिलाफ भाजपा ने राजघराने की राजमाता अमृता राय को उम्मीदवारी दी है। मोदी ने अमृता राय से फोन पर संवाद साधा। इस दौरान उन्होंने गरीबों से लूटे गए पैसे गरीबों को वापस करने के गुब्बारे में हवा भरी। मोदी ने यह घोषणा करते हुए कहा कि ‘पश्चिम बंगाल में ईडी ने लगभग तीन हजार करोड़ रुपए जप्त किया है। यह सब सामान्य जनता से लूटा गया पैसा है। इसमें से ज्यादातर रकम नौकरी देने के नाम पर ली गई है। इसलिए सामान्य जनता का यह पैसा उसे वापस मिलना चाहिए, ऐसी हमारी भूमिका है। भाजपा सरकार इसके लिए कोई न कोई रास्ता निकालेगी।’ रिश्वत व अन्य मार्ग से जनता का लूटा गया पैसा उन्हें वापस मिले ऐसा कहने पर किसी को बुरा लगने का कोई कारण नहीं है। सिर्फ मोदी का यह आश्वासन सही साबित होगा कि अब तक के अनेक आश्वासनों की तरह लोकसभा चुनाव खत्म होते ही हवा में गायब हो जाएगा? यह वास्तविक प्रश्न है। मोदी खूब बोलते हैं। भावनाओं को छूकर आश्वासन की खेती करने में माहिर हैं, लेकिन अब तक उनकी फसल हमारी झोली में क्यों नहीं आ सकी। यह प्रश्न आज भी जनता पूछ रही है। फिर से ऐसे प्रश्नों का उत्तर देने की बजाय प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी के लोग बिना हवा के आश्वासनों वाले गुब्बारे आसमान में छोड़ रहे हैं। २०१४ के लोकसभा चुनाव के प्रचार में मोदी और उनकी पार्टी ने ‘महंगाई डायन’ नष्ट करने, कई करोड़ रोजगार निर्माण करने, जीवनावश्यक वस्तुओं को सस्ता करने का आश्वासन दिया था। आज लगातार १० साल मोदी के सत्ता में रहने के बाद भी क्या स्थिति है? न महंगाई हटी और न ही बेरोजगारी। न विकास हुआ, न नए रोजगार की निर्मिति। बहुत से अंतर्राष्ट्रीय कर्मचारी संगठन और मानव विकास संस्था की ताजा रिपोर्ट मोदी सरकार के रोजगार निर्मिति के दावे का चीरहरण करते दिखाई दे रहे हैं। देश के लगभग ८३ प्रतिशत बेरोजगार युवा हैं। इसी प्रकार लगभग ढाई दशक पूर्व बेरोजगारी में सुशिक्षित युवाओं का प्रतिशत ३५.२ था, जो अब सीधे ६५.७ प्रतिशत तक बढ़ गया है। मोदी सरकार के आश्वासनों की सोच ही ऐसी है और इसके बावजूद मोदी अब पश्चिम बंगाल में गरीबों का लूटा हुआ पैसा गरीबों को वापस करने की बात कर रहे हैं। २०१४ के चुनाव प्रचार में विदेश से काला पैसा वापस लाएंगे और प्रत्येक भारतीय के बैंक खाते में १५ लाख रुपए जमा करेंगे, ऐसा मोदी मुंह फाड़कर बोल रहे थे। लेकिन दस साल में न १५ लाख रुपए बैंक खातों में जमा हुए और न ही इस पर मोदी विरोधियों द्वारा किए गए आरोपों पर मोदी ने न मुंह खोला। मोदी अपने शब्द असंभव वादों को निगल गए। अब पश्चिम बंगाल में ईडी की कस्टडी में जमा ३ हजार करोड़ रुपए वहां के गरीबों में बांटने का शब्द भी मोदी चुनाव के बाद निगल सकते हैं। पहले हमारे वो १५ लाख बैंक खातों में कब जमा करोगे वो बताओ। फिर जो ईडी की रकम गरीबों में बांटने का सपना प्रधानमंत्री मोदी दिखा रहे हैं वह ईडी का ही घोटाला है। दहशतवाद कर ईडी ने हजारों करोड़ रुपए भाजपा के खाते में जमा किए। ‘चैरिटी बिगिन्स एट होम’ के तर्ज पर पहले इन पैसों का बंटवारा जनता में करें, फिर ईडी कस्टडी में जमा तीन हजार करोड़ रुपए के गाजर की पुंगी बजाएं। प्रधानमंत्री मोदी मतलब आश्वासनों का घोटाला हैं, यह जनता के ध्यान में आ गया है। १५ लाख के भूलभुलैया में वह फंस गई थी, लेकिन ईडी रकम के तुम्हारे इस चूरन के झांसे में पश्चिम बंगाल की जनता नहीं फंसेगी, इसे ध्यान में रखो!

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