मुंबई में ३१ जगहों पर भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। राज्य सरकार के आदेश के बाद मनपा अब इन जगहों पर सेफ्टी नेट लगाने जा रही है। सवाल यह है कि बरसात शुरू हो चुकी है, तो अब तक क्या राज्य सरकार और मनपा सो रहीे थी? इस पर आपका क्या कहना है?
मनपा के एजेंडे में सुरक्षा प्राथमिकता नहीं
यह बेहद निराशाजनक है कि राज्य सरकार और मनपा बरसात के सीजन की शुरुआत के बाद ही जागरूकता दिखाती है। यह पहले से ही ज्ञात था कि मुंबई में कई जगहों पर भूस्खलन का खतरा है, फिर भी कोई उचित कदम नहीं उठाया गया। हर साल की तरह इस साल भी सरकार ने आखिरी वक्त पर सुरक्षा के उपायों को लागू करने का फैसला किया है, जो यह दर्शाता है कि जनता की सुरक्षा उनके एजेंडे में प्राथमिकता पर नहीं है।
निलेश देसाई, मुंबई
लापरवाही माफी योग्य नहीं
राज्य सरकार और मनपा की यह निष्क्रियता अस्वीकार्य है। भूस्खलन की संभावनाएं पहले से ही पता थीं, लेकिन फिर भी कोई ठोस योजना समय पर नहीं बनाई गई। यह आम जनता के जीवन को जोखिम में डालने के समान है। बरसात शुरू होने के बाद सेफ्टी नेट लगाने का निर्णय बताता है कि हमारी सरकार केवल आपदा के बाद प्रतिक्रिया देती है न कि उससे पहले। यह लापरवाही किसी भी तरह से माफी योग्य नहीं है।
संतोष पवार, मुंबई
अधिकारी होते हैं लापरवाह
‘अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत’, यह तो मुंबई मनपा और राज्य सरकार की पुरानी आदत है कि सांप निकल जाने के बाद ही लकीर पिटती है। जब हादसे घटित हो जाते हैं, तब ये लोग जागते हैं। उससे पहले कुछ नहीं करते हैं। मनपा में लापरवाह अधिकारियों का हमेशा से ही बोलबाला रहा है। ये लोग एसी कमरे में बैठकर केवल सेटिंग से काम करते हैं। जमीनी स्तर पर उतरना पड़े तो इनके गले सूखने लगते हैं, ऐसे लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
गजेंद्र चौहान, मुंबई
करना चाहिए परमानेंट उपाय
पिछले महीने सीएम एकनाथ शिंदे ने घाटकोपर जाकर भूस्खलन के लिए खतरनाक इलाकों का दौरा किया था, साथ ही यह भी कहा गया था कि विदेशी तकनीक से जाल लगाए जाएंगे। अगर ऐसा है तो सरकार की तरफ से कोई परमानेंट उपाय क्यों नहीं किए जाते हैं? हर बार मानसून में ऐसी घटनाएं क्यों सामने आती हैं? इसके लिए कोई परमानेंट उपाय करके समस्या की जड़ को ही समाप्त करना उचित होगा।
कमल रावत, मुंबई
हादसे के बाद नेता बहाते हैं घड़ियाली आंसू
मुंबई मनपा की लेट-लतीफी जगजाहिर है। मनपा अधिकारी व सरकार में बैठे मंत्री शायद किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार करते हैं और अगर दुर्घटना हो जाती है, तो जनता के बीच जाकर दो घड़ियाली आंसू बहा कर फोटो सेशन कराते हैं और अपने दफ्तर में दोबारा जाकर बैठ जाते हैं। अगर मनपा अधिकारी सही समय पर इस तरह की सुरक्षा के लिए कदम उठाएं तो बहुत सारी घटनाओं को रोका जा सकता है।
अनवर शेख, विक्रोली
अगले सप्ताह का सवाल?
हाथरस कांड को लेकर आयोजक सवालों के घेरे में तो हैं ही साथ ही सिस्टम पर भी सवाल उठने लगे हैं। तो सवाल उठता है कि हाथरस कांड के गुनहगार कौन है?
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