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छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ …मुंबई यूनिवर्सिटी की तानाशाही!

 खतरे में इंजीनियरिंग के छात्रों का शैक्षणिक वर्ष
 कुलपति से की गई शिकायत
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई यूनिवर्सिटी में सीनेट सदस्यों के न होने से कामकाज गैरजिम्मेदाराना, लापरवाही और तानाशाही तरीके से चल रहा है। यूनिवर्सिटी की तनाशाही के कारण इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे ३,००० छात्रों का दूसरा साल खतरे में पड़ गया है। मुक्ता शिक्षक संगठन का आरोप है कि दूसरे साल में प्रवेश के लिए ११ में से ६ विषय को पास करना अनिवार्य होता है। लेकिन शैक्षणिक वर्ष २०२२-२३ में एडमिशन जुलाई के बजाय नवंबर में हुआ, इससे इंजीनियरिंग का एक वर्ष का शैक्षणिक साल छह महीने में निपटा दिया गया है। आरोप है कि युनिवर्सिटी ने इंजीनियरिंग छात्रों की ९० दिन की शैक्षणिक अवधि पूरी नहीं की, जिसे लेकर कुलपति से लिखित शिकायत भी की गई है।
बता दें कि स्नातक स्तर पर इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष में पहले सेमेस्टर में ५ और दूसरे सेमेस्टर में ६ विषय होते हैं। द्वितीय वर्ष में प्रवेश के लिए ११ में से ६ विषयों में उत्तीर्ण होना अनिवार्य होता है। बताया गया है कि दोनों सेमेस्टर तीन-तीन महीने के भीतर ही पूरे कर लिए गए हैं। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने नियमानुसार ३० से ४५ दिनों के बजाय रिजल्ट की घोषणा ११० दिनों के बाद की। इतना ही नहीं छात्रों को पढ़ाई के लिए उचित समय दिए बिना ही परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद चार दिनों के भीतर ही दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित की गई, जिससे इस वर्ष छात्र पांच से अधिक विषयों में फेल हो गए, इससे एटीकेटी वाले छात्रों की संख्या अधिक हो गई। साथ ही दूसरे सेमेस्टर का रिजल्ट न घोषित होने से छात्रों को दूसरे साल में प्रवेश लेने की अनुमति नहीं मिली। इसके बावजूद मुंबई यूनिवर्सिटी की लापरवाह और तानाशाह रवैये के कारण छात्रों से साल भर का शुल्क वसूल किया गया और दूसरे वर्ष में प्रवेश अस्थायी रूप से दिया गया है।
नहीं आया १००% परिणाम
छात्र संगठन के महासचिव डॉ. सुभाष आठवले ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा तीसरे सेमेस्टर को सामान्य छात्रों की तरह पढ़ाया गया। छात्रों को प्रैक्टिकल, मौखिक परीक्षा और हॉल टिकट दिए गए और तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा भी आयोजित की गई। इतना ही नहीं, परिणाम घोषित करते हुए छात्रों को चौथे सेमेस्टर में बैठने की अनुमति तक दी गई। साथ ही अध्यापन कराते हुए २४ फरवरी को आधे से अधिक अंकों का सत्यापन भी घोषित कर दिया गया। लेकिन अभी भी परिणाम १०० प्रतिशत नहीं आया है।
छात्रों को घोषित किया अयोग्य
दूसरे साल का एक महीना बाकी रहते ही मुंबई यूनिवर्सिटी की नींद खुल गई। अब छात्रों को बताया जा रहा है कि उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया है। ऐसे में छात्रों को अब एक वर्ष का ड्रॉप स्वीकार करना होगा और उनका पूरा वर्ष और अब तक किया गया अध्ययन बर्बाद हो जाएगा। उन्हें अगले वर्ष फिर से द्वितीय वर्ष में प्रवेश लेना होगा। अभी भी ऐसे कई छात्र हैं जो अपना दूसरा वर्ष पूरा कर रहे हैं, लेकिन अभी भी वे नहीं जानते कि वे पहले या दूसरे वर्ष में हैं।

 

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