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मुंबई-ठाणे में भी शिंदे के वांदे! …ढूंढ़-ढूंढ़ कर भी नहीं मिल रहे हैं उम्मीदवार

आयात करने में भाजपा को भी पीछे छोड़ा

सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेना से गद्दारी कर अलग हुए शिंदे गुट ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन अब उनके दावे खोखले साबित हो रहे हैं। शिवसैनिक एकनिष्ठ शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के साथ नजर आ रहे हैं। मुंबई, ठाणे, सहित राज्य की कई लोकसभा सीटों पर शिंदे को प्रत्याशी ही नहीं मिल रहे हैं। शिंदे को इस चुनाव में प्रत्याशियों का टोटा पड़ गया है। ढूंढ़-ढूंढ़ कर भी उन्हें उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं। उन्हें प्रत्याशी भी आयात करने पड़ रहे हैं। उत्तर मध्य सीट के लिए उन्होंने फिल्म अभिनेता और कांग्रेस के पूर्व नेता गोविंदा को आयात किया है। उसी तरह मुंबई में उन्हें दक्षिण मुंबई सीट के लिए प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। ठाणे में भी उनकी हालत बुरी है। ठाणे शिवसैनिकों का गढ़ माना जाता है, वहां प्रत्याशी चयन करने में भी शिंदे के पसीने छूट रहे हैं। यही वजह है कि शिंदे गुट ने गुरुवार को अपने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की है। उसमें भी सिर्फ ८ प्रत्याशियों के नाम अब तक घोषित हुए हैं। कई सीटों पर भाजपा के नेताओं ने भी शिंदे गुट के पक्ष में काम करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में घाती शिंदे की मुशीबतें बढ़ती जा रही हैं। शिंदे गुट के लिए अब ऐसी स्थिति बन गई है कि उन्हें कहना पड़ रहा है कि कोई उम्मीदवार बनेगा क्या?
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने राजन विचारे को अपना प्रत्याशी बनाया। वर्ष २०१४ में भी राजन विचारे ने जोरदार जीत हासिल किया था। वर्ष २०१४ और २०१९ में दोनों बार वे भारी मतों से निर्वाचित हुए। वफादार राजन विचारे ने विकास कार्यों के जोर से इस निर्वाचन क्षेत्र में अपना दबदबा बनाया। एकनाथ शिंदे को अलग होने के बाद भी ठाणे में शिवसेना का दबदबा कायम है।
भले ही भाजपा और गद्दार शिंदे एक साथ आ गए और राज्य की सत्ता हासिल कर ली, लेकिन अगर ठाणे लोकसभा के बारे में बात करें तो यहाँ शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) को कोई समस्या नहीं है। उधर शिंदे के लिए मुसीबत यह है कि भाजपा के पदाधिकारियों ने स्पष्ट रुख अपनाया था कि वे कल्याण क्षेत्र में भी प्रचार नहीं करेंगे। मौके को देखते हुए भाजपा विधायक संजय केलकर और पूर्व सांसद विनय सहस्रबुद्धे ने दावा किया है कि ठाणे लोकसभा सीट भी भाजपा की है।

वफादार बनाम गद्दार
ठाणे लोकसभा के लिए गद्दार गुट के रवींद्र फाटक, विधायक प्रताप सरनाईक, नरेश म्हस्के के नाम की चर्चा हैं, लेकिन शिंदे के खिलाफ आम मतदाताओं में काफी नाराजगी है और ठाणेकर गद्दारों को सबक सिखाने का मौका तलाश रहे हैं। यह जानते हुए कि ठाणे लोकसभा चुनाव गद्दार बनाम वफादार होगा, वे अपना पत्ता साफ होने के डर से बैक फुट पर चले गए हैं। ठेकेदार लोग गद्दार के साथ गए, लेकिन आम वफादार शिवसैनिक मजबूती से शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ खड़े हैं।

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