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मतदाता चले गांव! … पार्टिंयों का बिगड़ा चुनावी गणित

सामना संवाददाता / मुंबई
गर्मी की छुट्टियां शुरू होते ही प्रतिदिन हजारों की संख्या में उत्तर भारतीय अपने गांवों की ओर जा रहे हैं। लोगों का यह प्रवास इसलिए चर्चा का विषय है क्योंकि उनके जाने से उत्तर भारत के राजनीतिक परिदृश्य और मुंबई के चुनावी समीकरण दोनों पर प्रभाव पड़ेगा।
उत्तर भारतीय महत्वपूर्ण वोट बैंक
बता दें कि मुंबई में २० मई को मतदान होना है। उत्तर भारतीय वोट बैंक राजनीतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मुंबई में उत्तर भारतीय मतदाताओं की संख्या करीब ४० लाख है। यह आंकड़ा एक महत्वपूर्ण वोट बैंक बनाता है। प्रदेश में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों में इन उत्तर भारतीय समाज के वोट बैंक को अपनी-अपनी ओर मोड़ने के लिए होड़ मची हुई है।
राजनीतिक बदलाव के संकेत
आगामी १८ अप्रैल से यूपी-बिहार में शादियों का सीजन शुरू होने वाला है और उसी दौरान उत्तर प्रदेश और बिहार में भी १९ अप्रैल को पहले चरण का चुनाव होना है। एक रेल अधिकारी के अनुसार, प्रत्येक ट्रेन की क्षमता १,५०० से १,८०० यात्रियों को ढोने के बीच है, लेकिन ट्रेनें १५० से १७५ प्रतिशत तक अधिक यात्री ढो रही हैं। गर्मियों में लोगों का गांव जाना से न केवल एक चुनौती बल्कि एक राजनीतिक बदलाव का भी संकेत है।

पार्टियों की रणनीति हो सकती है प्रभावित
इन मतदाताओं के गांव जाने की वजह से मुंबई में वोट बैंक का समीकरण बिगड़ने वाला है। चुनाव की तारीख से कुछ हफ्ते पहले इस मतदाता वर्ग का एक बड़ा हिस्सा यूपी और बिहार सहित उत्तर भारत में पहुंच चुका होगा। इतनी बड़ी संख्या में गांव जाना संभावित रूप से मुंबई के चुनावी परिणाम को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे राजनीतिक दलों की रणनीति और गणित दोनों प्रभावित हो सकता है।

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